केंद्र सरकार ने गुरुवार को देश के 6 हवाई अड्डों के प्रबंधन की जिम्मेदारी निजी कंपनियों को देने का फैसला किया। इन एयरपोर्ट में जयपुर और अहमदाबाद हवाई अड्डा भी शामिल है।
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि निजी भागीदारी के माध्यम से दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू, कोच्चि और हैदराबाद में पांच हवाई अड्डों के बेहतरीन प्रबंधन ने सरकार को ये फैसला लेने के लिए प्रोत्साहित किया इसलिए छह और हवाई अड्डों के प्रबंधन में इसी तरह की पद्धति को अपनाया गया है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय हवाईअड्डे प्राधिकरण के जिन छह हवाई अड्डों को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के अंतर्गत देने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दी उनके नाम है अहमदाबाद, जयपुर, लखनऊ, गुवाहाटी, तिरुवनंतपुरम और मंगलुरू हवाई अड्डा।
कैबिनेट के एक बयान के मुताबिक निजी भागीदारी से एयरपोर्ट के बुनियादी सुधार, सर्विस, विशेषज्ञता और कमर्शियल फायदे में मदद मिलेगी। कैबिनेट ने कहा कि हम पहले दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और कोच्चि एयरपोर्ट के अनुभवों को देख चुके हैं।
पीपीपी मॉडल के जरिये सरकार के राजस्व में वृद्धि होती है और लोगों को सही सुविधाएँ भी मिलती है। सरकार का मानना है कि ये कदम भारत में विदेशी निवेश के रास्तों को खोलेगा।
भारत के नागर विमानन मार्केट में पिछले 4 सालों में 19 फ़ीसदी की बढ़त दर्ज की गई है और 2025 तक ये अमेरिका और चीन के बाद तीसरे नंबर पर होगा। सरकार का उद्देश्य विमान यात्रियों की संख्या को बढ़ाना है। 2017 में ये संख्या 265 करोड़ था। सरकार का मानना है कि लोगों को जितनी सुविधाएं मिलेंगी उतना ही उनका झुकाव विमान यात्रा की तरफ होगा।
कैबिनेट ने 996 कंपनियों में 65 मिलियन “दुश्मन शेयर” बेचने का भी फैसला किया। ये ऐसे लोग हैं जो विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए। ये शेयर 20,323 शेयरधारकों के पास थे और गृह मामलों के मंत्रालय के अधीन है। क़ानून मंत्री प्रसाद ने कहा कि मौजूदा मूल्यांकन के मुताबिक सरकार इन शेयरों का कुल मूल्य 3,000 करोड़ रुपये मानती है। 996 फर्मों में से केवल 588 कार्यात्मक हैं, जिनमें से 139 सूचीबद्ध हैं।