भारत के नागरिक कुलभूषण जाधव के केस की सुनवाई अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक अदालत में 18 फरवरी से शुरू होगी। इस मामले की सुनवाई के लिए पाकिस्तान का प्रतिनिधि समूह हेग के लिए रवाना हो चुका है। आईसीजे में अपने पक्ष को मज़बूत करने के लिए पाक्सितान कई सबूतों को पेश करेगा और सवालों को उठाएगा।
सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान कुलभूषण जाधव के पासपोर्ट की विश्वसनीयता पर सवाल उठाएगा, जिसमे जाधव की पहचान बदलकर ‘हुसैन मुबारक पटेल’ का नाम दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान छह मुद्दों पर भारत पर हमला करेगा और खुद का बचाव करेगा।
भारत के मुताबिक जाधव को ईरान से अगवा किया गया था, जहां वह नौसेना से रिटायर होने के बाद कारोबार के लिए गए थे और उनका सरकार को कोई लेना देना नहीं है। हालाँकि भारत इस आरोप को साबित करने में नाकाम रहा है, जबकि कई बार भारत से इसके खिलाफ सबूत पेश करने को कहा गया है।
पाक की दलील
भारत के अनुसार कुलभूषण जाधव भारतीय नौसेना का रिटायर अधिकारी है लेकिन नई दिल्ली सबूत नहीं पेश कर पायी कि क्यों और कब वह सेवानिवृत्त हुए, क्योंकि गिरफ्तारी के समय वह 47 वर्ष के थे।
भारत ने कुलभूषण जाधव के पास मिले फेक भारतीय पासपोर्ट पर टिपण्णी करने से इंकार कर दिया था, जिसे जाधव में भारत में आवाजाही के लिए लगभग 17 बार इस्तेमाल किया था। भारत ने कहा कि यह पासपोर्ट जालसाजी थी लेकिन कोई सफाई नहीं दी थी।
भारत ने आईसीजे से कुलभूषण जाधव को भारत वापस भेजने के आदेश देने का आग्रह किया है। हालाँकि आईसीजे ने पाक द्वारा भारत को कॉन्सुलेर एक्सेस न देने पर स्पष्ट कहा है कि यह अस्थानीय अदालत के पुनर्विचार और प्रभावी समीक्षा के बाद ही मुमकिन हो पायेगा। कुलभूषण जाधव और उनके परिवार ने 10 अप्रैल 2017 को पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 199 का इस्तेमाल करते हुए जाधव से मुलाकात की थी।
विएना संधि, 1963
भारत ने 8 मार्च 2017 को पाकिस्तान के खिलाफ वैश्विक अदालत में अर्जी दी थी। भरता ने कहा कि पाकिस्तान में साल 1963 में हुई विएना संधि का उल्लंघन किया है और इसके बाद वैश्विक अदालत ने जाधव की मृत्यु दंड की सज़ा पर कार्रवाई पूरी होने तक रोक लगा दी थी।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पाकिस्तान ने कहा कि वियना संधि, 1963 केवल वैध राजनयिकों पर लागू होता है। इसके अंतगर्त जासूसी गतिविधियां नही आती है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी होती है।
ब्रिटेन के कानूनी सलाहकार
भारत यह समझाने में विफल रहा है कि क्यों ब्रितानी कानूनी जानकार गलत कहेंगे कि पाकिस्तान उच्चायोग और शीर्ष अदालत ने सैन्य अदालत प्रक्रिया की प्रभावी समीक्षा और पुनर्विचार मुहैया की है।
भारत के नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले की सुनवाई आगामी हफ्ते चार दिनों तक अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक अदालत में होगी। इस दौरान भारत और पाकिस्तान इस मुक़दमे से सम्बंधित दस्तावेज पेश करेंगे। यह मौखिक सुनवाई चार दिनों तक होगी जिसकी शुरुआत 18 फरवरी और अंत 21 फरवरी को होगा। पहले चरण की बहस की शुरुआत 18 फरवरी को भारत करेगा और फिर दुसरे चरण पाकिस्तान अपने मुद्दे को रखेगा।