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    किशमिश फायदे

    किशमिश को सूखे मेवों का राजा कहा जाता है, क्योंकि इसका स्वाद बहुत ही स्वादिष्ट होता है। भारत की हर रसोई में इसका कुछ न कुछ प्रयोग मिल ही जाएगा, चाहे वह मिठाई में उपयोग हो या किसी विशेष व्यंजन में। लेकिन क्या आप जानते हैं, कि किशमिश खाने में जितनी लजीज होती है उतनी ही स्वास्थ की दृष्टि से भी लाभदायक है।

    किशमिश खाने से खून बनता है। इसके अलावा वायु, पित्त और कफ की समस्या दूर होती है। हृदय के लिए तो किशमिश एक वरदान है। किशमिश एसीडोसिस, एनीमिया आदि रोगो को दूर करने के लिए भी बहुत ही लाभदायक है। यदि आप अपना वजन बढ़ाना चाहते हैं, तो किशमिश आपके लिए बहुत उपयोगी है। इसके साथ किशमिश हमारी हड्डियों, दांतों के लिए भी बहुत ही उपयोगी है।

    इस लेख में हम किशमिश के बारे में विभिन्न बातों पर चर्चा करेंगे। इसके बाद किशमिश से शरीर को होनें वाले फायदों के बारे में चर्चा करेंगे।

    किशमिश क्या है?

    किशमिश अंगूर को सुखा कर बनायी जाती है। अंगूर को धूप में या ड्रायर के द्वारा सुखाया जाता है, जिससे अंगूर के दाने सुनहरे, काले और हरे रंग के हो जाते हैं। इसका स्वाद खट्टा मीठा होता है। यह खाने में मुलायम होती है। किशमिश हर किसी को पसंद होती है, विशेषकर बच्चों को।

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    किशमिश का प्रयोग मुख्यता भारतीय व्यंजनों, विशेषकर मिठाई में होता है। किशमिश आयुर्वेद की दृष्टि से स्वास्थ के लिए भी बहुत उपयोगी है। किशमिश पर्वतारोही और यात्रा करने वालों के लिए ऊर्जा का एक अच्छा विकल्प है। किशमिश का प्रयोग हल्के फुल्के नाश्ते के तौर पर भी किया जा सकता है।

    किशमिश के फायदे

    यदि हम किशमिश को स्वाद तथा स्वास्थ्य की दृष्टि से देखें तो यदि हम इसको ‘रत्न’ कह कर पुकारे तो यह गलत नहीं होगा।

    1. कब्ज से छुटकारा

    यदि आप कब्ज की समस्या से परेशान है तो किशमिश आपके लिए बहुत ही लाभदायक साबित हो सकती है। किशमिश पाचन को बेहतर बनाता है और अमाशय रस को बनने में मदद करता है।

    किशमिश लैक्सटिव के रुप में कार्य करती है जो पेट में जाकर घुल जाती है जिससे कब्ज से राहत मिलती है। किशमिश में मौजूद फाइबर गैस्ट्रोइटेस्टिनल मार्ग से विषाक्त और अपशिष्ट पदार्थ को बाहर निकालने में मदद करते हैं।

    कब्ज होने पर किशमिश को दूध के साथ मसल कर घोलकर लेना चाहिए। किसमिस को काला नमक लगाकर भी लिया जा सकता है। इससे आपको कब्ज से आराम मिलेगा।

    किशमिश के पोषक तत्व किशमिश के सूखने से सिकुड़ जाते हैं, जब हम इसका सेवन करते हैं तो यह हमारे शरीर के द्रव्यो से फूल जाती है। जिससे यह हमारे मल के अतिरिक्त जल को अवशोषित कर लेती है और इससे दस्त संबंधी समस्या भी खत्म होती है।

    2. वजन बढाने मे सहायक

    यदि आप अपना वजन बढाना चाहते है तो आप किशमिश का सेवन करें। किशमिश में फ्रुक्टोज (एक प्रकार का पोषक तत्व), ग्लूकोस और अधिक मात्रा में ऊर्जा पायी जाती है जो हमारा वजन बढ़ाने में सहायता करते हैं। किशमिश धावकों तथा पहलवानों, जिन्हें ताकत की विशेष आवश्यकता होती है, उनकी खुराक का एक अहम हिस्सा बन सकता है।

    किशमिश से हमे विटामिन एमिनोएसिड और मिनरल्स जैसे सेलेनियम और फोस्फोरस तथा प्रोटीन प्राप्त होता है। किशमिश दूसरे भोजन से प्रोटीन, विटामिन और अन्य पोषक तत्व अवशोषित करने मे भी सहायक होती है। जिससे हमारे शरीर की ऊर्जा तथा प्रतिरक्षा शक्ति बढती है।

    3. कैंसर से बचाव

    किशमिश मे काट्चिस नामक तत्व पाया जाता है, जो रक्त मे पालीफेनोलिक एन्टीआक्सीडेंट के रूप में होते हैं। एन्टीआक्सीडेंट शरीर के आसपास रहने वाले फ्री रेडीकल्स को शरीर से बाहर निकालता है। फ्री रेडिकल्स उन कारणों में से एक है जो कैंसर की कोशिकाओं को बढाता है, साथ ही मेटास्टेसिस को भी बढाता है। आप किशमिश के द्वारा कैंसर उत्पन्न करने वाले कारणों को रोक सकते हैं।

    4. हाई ब्लड प्रेशर में सहायक

    उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए किशमिश बहुत ही उपयोगी है। इसमे मौजूद मैग्नीशियम, फाइबर, पोटेशियम, कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखने में सहायक होती है।

    कुछ विद्वानों ने यह शोध किया है कि किशमिश में ऐसा क्या मौजूद है जो ब्लडप्रेशर को नियंत्रित करता है। उन्होंने पाया कि किशमिश मे उच्च स्तर में  पोटेशियम मौजूद है जो ब्लडप्रेशर (रक्त चाप) को नियंत्रित रखता है। ब्लड प्रेशर बढने पर 8-10 किशमिश के दानों को एक गिलास ठण्डे पानी मे 10 मिनट भिगो दे फिर पानी मे मसलकर घोल ले। उस पानी का सेवन करे, इससे आपका ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहेगा।

    5. मधुमेह नियंत्रण मे सहायक

    बहुत से शोधों के अनुसार किशमिश खाना खाने के बाद इनसुलिन (शक्कर को नियंत्रित रखने वाला द्रव्य) को नियंत्रित रखता है अर्थात उसे बढऩे नहीं देता है। इनसुलिन बढना मधुमेह के मरीजों के लिए बहुत ही हानिकारक है।

    किशमिश लेप्टिन और धरेलिन नामक हार्मोन्स को भी बढाता है जो हमारे शरीर को बताता है कि कब हमारे शरीर को खाने की आवश्यकता है और कब नही। इन हार्मोन्स के नियंत्रित रहने से मनुष्य अधिक खाने से बच सकता है।

    6. खून बढाने मे सहायक

    किशमिश मे भरपूर मात्रा में लोहा पाया जाता है जो खून की कमी को तुरंत पूरा करती है। किशमिश मे विटामिन बी काम्प्लेक्स भी होता है।जो खून बनाने में मददगार है।

    इसके अलावा इसमें मौजूद कॉपर लाल रक्त कोशिकाओं के बनने मे मदद करता है। किशमिश मे मौजूद कैलोरी, आयरन, ग्लूकोज, विटामिन आदि रक्त बढाने मे मदद करते है। जिन लोगों मे रक्त की कमी है उन्हें गाजर या अनार के जूस मे किशमिश डालकर सेवन करना चाहिए। किशमिश हीमोग्लोबीन बढाने में भी सहायक होती है।

    7. बुखार में सहायक

    किशमिश में मौजूद फीनोलिक फिटोन्यूट्रिएन्ट्स जो अपने जर्मसिडल (कीटाणुनाशक) एंटीबायोटिक तथा एंटीआक्सीडेंट गुणों के लिए जाने जाते हैं। वायरल तथा बैक्टीरियल इन्फेक्शन से लड़कर हमारी बुखार से रक्षा करते है।

    8. आँखों के लिए लाभकारी

    किशमिश में विटामिन ए,ए बीटा और ए-कैशेटीनाइड होता है, जो नेत्रों के लिये बहुत आवश्यक है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते है जो नेत्रों को फ्री रैडिकल्स से लड़ने मे मदद करते है। किशमिश के सेवन से मोतियाबिंद नहीं होता और नेत्रों की रोशनी बढती है।

    9. एसीडोसिस बीमारी से बचाव

    एसीडोसिस एक ऐसी बीमारी है जो रक्त मे एसिडिटी बढा देता है और हमारे श्व़शन तंत्र में दूषित गैसें बढ जाती है। एसिडिटी हमारे शरीर में कई नई बीमारियों को भी पैदा कर देती है जैसे त्वचा सम्बन्धी, आन्तरिक अंगों को नुकसान, गठिया, ट्यूमर, कैंसर तथा हृदय रोग आदि। किशमिश पोटेशियम और मैग्नीशियम का अच्छा स्त्रोत है। ये तत्व PH स्केल के सामान्य घटक माने जाते है।

    10. यौन संबंधी दुर्बलता मे उपयोगी

    किशमिश मे अमीनो एसिड पाया जाता है जो यौंन दुर्बलता दूर करने मे सहायक होती है। किशमिश मे कैल्शियम की प्रचुर मात्रा पायी जाती है। भारतीय संस्कृति में यह बहुत ही सामान्य है कि वर व वधु दोनों को केसर और किशमिश का दूध दिया जाता है।

    11. हड्डियों को मजबूत बनाये

    कैल्शियम हमारी हड्डियों के लिये बहुत ही आवश्यक तत्व है।किशमिश मे कैल्शियम की प्रचूर मात्रा पायी जाती है। किशमिश मे बोरेन नामक माइक्रो न्यूट्रियंट भी प्रचुर मात्रा मे पाया जाता है जो कैल्शियम सोखने तथा हड्डी गठन को अवशोषित करने मे मदद करता है। बोरेन के कारण आस्टियोपोरोसिस से राहत मिलती है। साथ ही किशमिश खाने से घुटने के दर्द की समस्या भी नहीं होती है।

    12. दातों की सुरक्षा

    किशमिश में ओलेनओलेक एसिड (अम्ल) पाया जाता है जो कि एक फिटोकैमिकल है। यह दातों को कीड़े लगने से तथा अन्य परेशानियों से बचाता है। स्ट्रेप्टोकोकस मुटानस और पोरफिरोमोनास गिंगिवालिस दो ऐसे बैक्टेरिया की प्रजातियां है जो दातों मे कीड़े लगने का मुख्य कारण होते है।

    किशमिश इन कीटाणुओं से हमारी रक्षा करती है। यह आपको बहुत ही आश्चर्य जनक लगेगा कि किशमिश जितना अधिक हमारे दातों के संपर्क में रहेगी, उतना ही ओलेनोलिक एसिड हमारे दातों के संपर्क मे रहेगा, जिससे हमारे दातों की बैक्टीरिया से रक्षा होगी।

    सावधानी बरतें

    यदि किशमिश का सेवन अधिक मात्रा में किया जाए तो किशमिश हमारे लिए नुकसानदायक भी हो सकती है। किशमिश में बहुत अधिक मात्रा में कैलोरी पाई जाती है, जो बहुत जल्दी वजन बढ़ाती है।

    किशमिश में फ्रुक्टोज होने के कारण बहुत ही उच्च स्तर का ट्रिग्लीसराइड्स पाया जाता है जो मधुमेह बढ़ाने में सहायक होता है। यदि आपको किशमिश से कोई अन्य बुरे प्रभाव होते हैं तो इसे अपनी खुराक (खाने) में शामिल न करें।