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    सासाराम (बिहार), 14 मई (आईएएनएस)| लोकसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण में बिहार की आठ सीटों पर 19 मई को मतदान होना है। इसमें से एक सीट काराकाट में नेता से लेकर प्रत्याशी तक सभी मतदाताओं को रिझाने में जुटे हैं। शहरी नेता गंवई अंदाज में लोगों से मिल रहे हैं और उनके बातचीत का अंदाज आम बोलचाल की भाषा का हो गया है, परंतु इस क्षेत्र के मतदाता अभी तक कुछ भी खुलकर नहीं बोल रहे हैं।

    कस्बों और गांवों में गेहूं की फसल काटकर अब बेरोजगार हो चुके किसान दिल्ली, पटना और क्षेत्र की राजनीति पर तो चर्चा करते हैं, परंतु इस क्षेत्र के शहरी इलाके में लोकसभा चुनाव पर लोग कम चर्चा कर रहे हैं।

    ‘लहर’ ‘हवा’ ‘चेहरा’ का असर भी गांव में देखने को मिल रहा है। राजपुर में करीब सभी प्रत्याशियों के चुनावी कार्यालय खुले हैं और प्रत्येक शाम इन्हीं कार्यालयों में अगले दिन के प्रचार के कार्यक्रम की तैयारी होती है। कस्बाई क्षेत्र राजपुर में कुछ स्थानों पर ‘बड़े’ नेताओं का असर जरूर दिखा।

    राजपुर के निवासी छात्र रंजन कुमार जद (यू) कार्यालय के सामने मिले। चुनाव की चर्चा करने पर कहते हैं, “यह चुनाव तो मोदी जी (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) लड़ रहे हैं। सभी लोग उन्हीं पर देख रहे र्है।” प्रत्याशियों के संबंध में पूछने पर वह कहते हैं कि “प्रत्याशी का सवाल ही कहां है।”

    अकोढीगोला में रिक्शा चलाकर अपने परिवार का पेट भरने वाले ब्रजभूषण यहां से सटे बराढ़ी गांव के रहने वाले हैं। वह बड़ी मायूसी से कहते हैं, “यहां तो लोग अपनी ही मस्ती में डूबे हैं, कोई कुछ नहीं बोलता। कौन नेता को वोट देना है, कब देना है कोई कुछ नहीं बताता।”

    ब्रजभूषण कहते हैं कि घर के कुछ लोग आए थे, तब बताया गया कि यहां चुनाव होने वाला है। वोट किसको देंगे के प्रश्न पर वह कहते हैं कि गांव वाले जहां कहेंगे दे देंगे। इसके तत्काल बाद वह कहते हैं, “अरे, वोट देने से क्या हो जाएगा?”

    इधर, नवीनगर में भी पार्टियों के चुनावी कार्यालय खुले हैं। कार्यकर्ताओं में चुनाव को लेकर बहुत ज्यादा उत्साह है। कार्यकर्ता अपने नेताओं के प्रचार में लगे हैं। नवीनगर के लकड़ी व्यवसायी शिव सिंह कहते हैं, “यहां स्थानीय समस्या कोई मुद्दा नहीं है। यहां मुद्दा मोदी और जाति है। मुख्य मुकाबला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और महागठबंधन के बीच है।”

    उल्लेखनीय है कि कुशवाहा, यादव और राजपूत बहुल इस लोकसभा क्षेत्र में राजग प्रत्याशी उपेंद्र कुशवाहा और महागठबंधन के उम्मीदवार महाबली सिंह एक ही जाति के हैं।

    काराकाट सीट पर 2014 में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के उपेंद्र कुशवाहा ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने राजद के कांति सिंह को हराया था। कुशवाहा को 42़ 9 फीसदी वोट मिले थे, जबकि कांति सिंह को 29़ 58 प्रतिशत मतों से संतोष करना पड़ा था।

    इधर, इस क्षेत्र में डेहरी, विक्रमगंज और नवीनगर को शहर कहा जा सकता है। शहर में चुनावी चर्चा गांवों जैसी नजर नहंीं आई। डेहरी के बस पड़ाव पर मिले एक पान दुकानदार रंजीत साह कहते हैं कि “चुनाव से कुछ नहीं होने वाला। नेता जीत कर जाएंगे और फिर भूल जाएंगे। वह कहते हैं, “पिछली बार जो सांसद (उपेंद्र कुशवाहा) बने वे पाला बदल लिए और अब दूसरे को शिक्षा दे रहे हैं। उस समय वह हमलोगों से पूछने आए थे क्या?”

    इसका जवाब खोजने के क्रम में डेहरी में प्रादेशिक मारवाड़ी मंच के अजय अग्रवाल कहते हैं, “लोकतंत्र के इस महापर्व में भले ही मतदाताओं को अपने मताधिकार का इस्तेमाल करना चाहिए। डालमियानगर में रेल कारखाना खोलने, डेहरी व सोन नगर रेलवे स्टेशनों पर महत्वपूर्ण ट्रेनों का ठहराव, किसानों की उपज की खरीदारी के लिए उचित सरकारी व्यवस्था के नाम पर कई चुनाव हो चुके, परंतु अब तक तो कुछ नहीं हुआ।”

    इस बीच अम्बा-नवीनगर मार्ग पर स्थित राजपुर गांव में एक पहाड़ी के करीब शाम में कुछ बच्चों की टोली लट्ट और गिल्ली-डंडा का खेल खेल रही थी तो कुछ युवक और अधेड़ उम्र के लोग गांजा के साथ शाम गुजार रहे थे। अजीत पासवान और रघुवंश सिंह कहते हैं, “वोट तो देबे करब, पर केकरा देब अभी फाइनल नइ होएल है।”

    पिछले चुनाव में रालोसपा राजग के साथ थी, जबकि जद (यू) अकेले चुनाव मैदान में उतरी थी। इस चुनाव में स्थिति अलग है। रालोसपा महागठबंधन का हिस्सा है, जबकि जद (यू) राजग में है। राजनीतिक दलों के चुनावी कार्यालयों में कार्यकर्ता और नेता इसी आधार पर चुनावी गणित की गोटी फिट करने में लगे हैं।

    इस संसदीय क्षेत्र से 27 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। रालोसपा की ओर से उपेंद्र कुशवाहा, राजग की ओर से महावीर सिंह, बसपा की ओर से राजनारायण तिवारी, समाजवादी पार्टी के टिकट पर घनश्याम तिवारी चुनावी मैदान में हैं। काराकाट संसदीय क्षेत्र में औरंगाबाद जिले के तीन और रोहतास जिले के तीन विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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