पाकिस्तान और चीन ने रविवार को कहा कि कश्मीर के मामले को वार्ता के जरिये हल करने की जरुरत है। बीजिंग ने पाकिस्तान की संप्रभुता, अखंडता, आज़ादी और राष्ट्रीय गौरव की सुरक्षा का समर्थन किया है। दो दिन पहले ही पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री इमरान खान ने कहा कि “जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाने के भारत के निर्णय ने इस्लामाबाद की सुरक्षा और अखंडता को चुनौती दी है।”
चीन और पाक का बयान
चीन के विदेश मंत्री दो दिनों के पाकिस्तानी दौरे पर थे और दोनों पक्षों की बातचीत के बाद एक संयुक्त बयान जारी किया गया था। बयान के मुताबिक, पक्षों को विवाद और मसलो को परस्पर सम्मान और बराबरी के आधारों पर वार्ता के जरिये हल करने की जरुरत है।
चीन ने कहा कि “वह क्षेत्र की स्थिति को करीबी से देख रहा है और मामले को जटिल बनाने वाली एकतरफा कार्रवाई का विरोध करता है। कश्मीर विवाद को संयुक्त राष्ट्र के विशेषाधिकार, सम्बन्धित यूएन नियमो और द्विपक्षीय समझौते के आधार पर शांतिपूर्ण तरीके से हल करना चाहिए।”
भारत ने 5 अगस्त को जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा छीन लिया था और इसके बाद दोनों देशो के बीच शब्दों की जंग जारी है। इस्लामाबाद ने भारत के साथ सबही व्यापारिक संबंधो को तोड़ दिया था और इस मामले को यूएन सुरक्षा परिषद् में उठाने को कहा था। साथ ही यूएन मानवाधिकार परिषद् और अंतरराष्ट्रीय न्यायिक अदालत में इस मामले को ले जाने की धमकी दी थी।
वांग ने पाकिस्तान के प्रधनामंत्री इमरान खान और राष्ट्रपति आरिफ अल्वी से मुलाकात की थी। खान ने कहा कि “कश्मीर में पाबंदियो ने मानवधिकार हालातो को बेहद बिगाड़ दिया है। बयान के मुताबिक, दोनों देशो सदाबहार दोस्ती की प्रतिबद्धता को दोहराया है।
बयान के मुताबिक चीन और पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में तालिबान और अमेरिका के बीच शान्ति समझौते की प्रगति का स्वागत किया है और अफगानिस्तान में शान्ति और स्थिरता लाने का आग्रह किया है। जम्मू कश्मीर के वापस समान्य जीवन की तरफ आने के भारत के बयान को पाकिस्तान ने ख़ारिज किया है।
भारत अधिकृत जम्मू कश्मीर विश्व की सबसे बड़ी जेल है जहां भारतीय सैनिको की भारी संख्या तैनात है। 5 अगस्त को भारत के गैरकानूनी और एकतरफा निर्णय का मकसद यूएन के नियम के विरुद्ध जाकर भूगौलिक ढाँचे में परिवर्तन करना है।”