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    अमेरिका उन सभी पर प्रतिबन्ध थोपेगा जो ईरान से तेल या रेवोलूशनरी गार्ड्स के साथ कारोबार करेगा और तेल में कोई भी रियायत नहीं बरती जाएगी। ईरान के कच्चे तेल में 80 फीसदी की कमी आयी है क्योंकि अमेरिका ने दोबारा प्रतिबन्ध थोप दिया था।

    अमेरिका की ईरान को चेतावनी

    राष्ट्रपति ट्रम्प ने साल 2015 में हुई परमाणु संधि को बीते वर्ष तोड़ दिया था। अमेरिका के ट्रेज़री विभाग के सचिव सीगल मंडेलकर ने कहा कि “हम ईरान पर दबाव बनाना जारी रखेंगे और जैसे राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा, ईरान के तेल में किसी तरीके की कोई रियायत नहीं बरती जाएगी।”

    मंडेलकर ने कहा कि “अमेरिका के दबाव के कारण ईरान के तेल व्यापार ने गंभीर गोता लगाया था।” ट्रम्प ने ईरान तेल व्यापार पर दोबारा प्रतिबन्ध थोप दिए थे और तेहरान को परमाणु गतिविधियों को सीमित करने के लिए जबरन मज़बूर कर रहा है।

    इसके प्रतिकार में ईरान ने परमाणु संधि की अपनी प्रतिबद्धतओं से पीछे हटने की धमकिद ी थी ताकि यूरोपीय देशो पर तेहरान के हितो और अर्थव्यवस्था का संरक्षण करने का दबाव बना सके। फ्रांस ने ईरान को 15 अरब डॉलर देने का प्रस्ताव रखा था, अगर तेहरान पूरी तरह साल 2015 की संधि पर वापस आ जाता है। यह वांशिगटन को पाबंद न करने का कदम है।
    संधि को बचाने के लिए तेहरान तेल दोबारा बेचना शुरू करना चाहता है। दो ईरानी अधिकारीयों और एक राजनयिक ने 25 अगस्त को कहा कि ईरान प्रतिदिन न्यूनतम 700000 बैरल तेल का निर्यात करना चाहता है, अगर पश्चिम तेहरान के साथ परमाणु संधि को बचने के लिए वार्ता करने चाहते है तो।
    रविवार को ईरान ने कहा कि उनका तेल टैंकर एड्रिअन दरया 1, जिसे ब्रिटेन ने गिब्राल्टेर के बंदरगाह से जुलाई में जब्त कर लिया था, ने अपने तेल को आभ्यंतरिक क्षेत्र में उतारा है। बीते महीने ट्रेज़री ने इस टैंकर को ब्लैकलिस्ट कर दिया था और इसकी तस्वीरें टार्टस के सीरियन बंदरगाह में सेटेलाइट से ली गयी थी। 
    मण्डेलकर ने कहा कि “यह सिर्फ टैंकर के लिए ही नहीं बल्कि दुनिया में किसी भी कंपनी के लिए सख्त चेतावनी है। कंपनियों और सरकार को समझना होगा कि या ईरान के साथ कारोबार या अमेरिका के साथ कारोबार करने का विकल्प है।”
    3 सितम्बर को ईरान के राष्ट्रपति हसन रहने ने कहा कि “तेहरान कभी भी अमेरिका के साथ द्विपक्षीय वार्ता का आयोजन नहीं करेगा। लेकिन अगर वह थोपे गए सभी प्रतिबंधों को हटा देगा तो वह ईरान व अंता पक्षों के बीच परमाणु समझौते की बातचीत एम् शामिल हो सकता है।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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