अंतरराष्ट्रीय न्यायिक अदालत में पाकिस्तान के वकील खावर कुरैशी ने कहा कि “कश्मीर में नरसंहार की वारदात को साबित करना पाकिस्तान के लिए अत्यधिक मुश्किल हो जायेगा।” कुरैशी का बयान तब आया जब पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे को लेकर अंतरराष्ट्रीय अदालत में जाने की धमकी दे रहा है।
भारत ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटा दिया था जिसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव काफी बढ़ गया था। वकील ने कहा कि “साल 1948 की संधि के तहत पाकिस्तान आईसीजे का रुख कर सकता है। जिस पर दोनों दक्षिण एशियाई देशो ने दस्तखत किये हैं।”
खावर ने पाकिस्तानी चैनल के साथ वार्ता के दौरान कहा कि “संयुक्त राष्ट्र का प्रमुख अदालत आईसीजे हैं। यहाँ एक संधि हुई है जिसे जेनोसाइड कन्वेंशन ऑफ़ 1948 है और इसके भारत और पाकिस्तान दोनों ही सदस्य है। राज्य जिसने नरसंहार किया है या इस एरोक रहा है, उसकी सुनवाई आईसीजे के समक्ष हो सकती है।”
उन्होंने कहा कि “सबूतों के आभाव में पाकिस्तान के लिए आईसीजे में इस मामले को ले जाना बहुत मुश्किल हो जायेगा। पाकिस्तान ने कश्मीर मामले का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की कोशिश की है हालाँकि अधिकतम देशो ने इसे भारत का आंतरिक मामला करार दिया है।
पाकिस्तान ने कई वैश्विक नेताओं के साथ बातचीत की थी। उन्होंने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस, अबू धाबी के क्राउन प्रिंस और फ्रांस के राष्ट्रपति इम्मानुएल मैक्रॉन और जॉर्डन के राजा किंग अब्दुल्लाह से इस मामले पर दखल देने का आग्रह किया था।
पाकिस्तान के विदेश मन्त्री शाह महमूद कुरैशी ने मंगलवार को कहा कि “भारत के साथ वार्ता के जरिये हम कश्मीर मसले का शांतिपूर्ण समाधान निकालना चाहते हैं।”
दुन्या न्यूज़ की रिपोर्ट के मुताबिक, मंत्री ने कहा कि “पाकिस्तान की विदेश नीति को आंतरिक और बाहरी मुद्दों को ध्यान में रखकर बनायीं जाती है। प्रभावी विदेश नीति के साथ ही पाकिस्तान ने दुनिया में अपना नाम बनाया है।”