अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दावा किया कि प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने उनसे कश्मीर मुद्दे में तीसरे पक्ष के तौर पर मध्यस्थता करने का आग्रह किया था। अमेरिका के राज्य विभाग ने कहा कि “कश्मीर मामला भारत और पाकिस्तान के दरमियान एक द्विपक्षीय मामला है और अमेरिका में सहायता को तैयार है।”
अमेरिकी राज्य विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि “दोनों पक्षों की बातचीत के लिए कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है, ट्रम्प प्रशासन भरात और पाक की बैठक का स्वगत करता है और अमेरिका इसमें मदद करने को तैयार है। भारत और पाकिस्तान के बीच किसी सफलतापूर्वक बातचीत की नींव तभी होगी जब इस्लामाबाद अपनी सरजमीं से चरमपंथियों और आतंकवादियों के खिलाफ ठोस और अपरिवर्तनीय कदम उठाएंगे।”
कश्मीर मुद्दे में मध्यस्थता
उन्होंने कहा कि “यह कार्रवाई प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी की प्रतिबद्धताओं और पाकिस्तान के कर्तव्यों के अनुरूप है। हम तनाव को कम करने और वार्ता के लिए बेहतर माहौल तैयार करने के प्रयासों का समर्थन करना जारी रखेंगे। सर्वप्रथम आतंकवाद के सभी प्रारूपो को खत्म करना होगा। जैसा कि राष्ट्रपति ने इंगित किया था, हम सहायता के लिए तैयार है।”
इस दिन की शुरुआत में ट्रम्प ने कहा था कि मोदी ने उनसे मध्यस्थता करने का आग्रह किया था डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था कि “दो हफ्ते पहले मैं प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के साथ था और हमने इस विषय पर बातचीत की थी। उन्होंने वाकई कहा था कि आपको एक मध्यस्थ्ताकार बनना चाहिए। मैंने पूछा कहा? उन्होंने कहा कश्मीर क्योंकि इस मामले को लटके हुए सालो हो गए हैं। मैं सुनकर हैरत में आ गया कि कितने वर्षों से यह ममला चल रहा है।”
उन्होंने कहा कि “इसका समाधान होना चाहिए, वह भी ऐसा ही सोचते है। शायद मैं उनके साथ बातचीत करूँगा और हम देखेंगे कि हम क्या कर सकते हैं।” अमेरिकी राज्य विभाग ने अपने बयान में ट्रम्प के दावे की पुष्टि नहीं की है। बहरहाल डोनाल्ड ट्रम्प के दावे को भारत ने सिरे से खारिज किया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि “पाकिस्तान के सभी सभी विवादस्पद मुद्दों पर द्विपक्षीय चर्चा की जाएगी। इस्लामाबाद के साथ किसी भी बातचीत के लिए सबसे पहले सीमा पार आतंकवाद पर लगाम लगनी चाहिए। शिमला समझौता और लाहौर ऐलान भारत और पाकिस्तान को सभी मसलो को द्विपक्षीय वार्ता से सुलझाने का आधार मुहैया करता है।”