कर्नाटक (Karnataka) हाई कोर्ट के द्वारा शिक्षण संस्थानों में हिज़ाब को बैन करने के बाद से ही मुस्लिम समुदाय से जुड़े मुद्दों पर कई और तरह के प्रतिबंध की मांग उठने लगी है।
इसी क्रम में ताजा-तरीन मांग कर्नाटक के मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव और बीजेपी MLA एम.पी. रेनुकाचार्य ने मदरसों को बैन करने की मांग कर दी है। वहीं कुछ अन्य संगठनों द्वारा आगामी उगादी पर्व (गुड़ी पड़वा) को लेकर राज्य में हलाल मीट के बिक्री पर भी रोक लगाने की मांग की गई है।
कर्नाटक में इन दिनों बीजेपी सरकार के आगे ऐसे कई मांगे उठने लगी है और अचानक ही विभाजनकारी राजनीति हावी होती हुई दिख रही है। हालांकि बीजेपी के ही कुछ नेताओं ने इसका विरोध भी किया है।
कर्नाटक:मंदिरों के नजदीक मुस्लिम व्यापारियों पर बैन की मांग
इस मामले से जुड़ी पहली मांग कर्नाटक के शिवमोग्गा (Shivamogga) जिले से उठी जब कोटे-मरिकम्बा यात्रा (Kote Marikamba Jatra – 5 दिनों तक चलने वाला एक पर्व) के आयोजकों ने मुस्लिम दुकानदारों को टेंडर ना देने का फैसला किया।
अब यह मांग कर्नाटक के अन्य क्षेत्रों में भी फैलता जा रहा है। दक्षिण कन्नड़, उडुपि, तुमकुर, हासन, चिकमंगलूर, तथा कई अन्य जिलों से ऐसी ही मांगें उठनी शुरू हो गई।
प्रसिद्ध चेन्नाकेशव मंदिर, बेलूर, तुमकुर स्थित सिद्धलिंगेश्वर मंदिर, सदियों पुराना बप्पानाडू मन्दिर आदि ने कहा है कि हिन्दू त्योहारों और मेला में, खासकर मार्च से लेकर मई तक के महीनों में, मुस्लिम व्यापारियों को दुकान लगाने नहीं दिया जाएगा।
यह मामला जब कर्नाटक विधानसभा में कांग्रेस प्रतिनिधि द्वारा उठाया गया तो तो प्रदेश की बीजेपी सरकार ने इस प्रतिबंध को कानूनी तौर पर सही ठहराया।
राज्य के कानून मंत्री जे सी मधुस्वामी ने कहा कि यद्यपि वह या उनकी पार्टी ऐसे प्रतिबंधों को बढ़ावा नहीं देती लेकिन 2002 में तत्कालीन कांग्रेस पार्टी की राज्य-सरकार द्वारा बनाये गए कानून The Karnataka Hindu Religious Institution and Charitable Endowment Act 2002, के Rule 31 के अनुसार यह प्रतिबंध कानूनी तौर पर सही है।
क्या है 2002 का यह कानून?
The Karnataka Hindu Religious Institution and Charitable Endowment Act 2002, के Rule 31 के मुताबिक हिन्दू मंदिरों और ऐसे संस्थानों में अचल संपत्तियों-जैसे जमीन या मंदिर-भवन इत्यादि पर गैर मुस्लिम व्यक्ति को लीज पर देने की मनाही करता है। परंतु यह कानून दुकानों आदि जैसे व्यवसायों को गैर मुस्लिम को दिए जाने से मना नहीं करता है।
इसलिए राज्य सरकार या उसके किसी भी प्रतिनिधि द्वारा इस कानून का सहारा लेकर उपरोक्त मांग को जायज़ ठहराने की वकालत खोखली राजनीति ही कही जा सकती है।
हालाँकि, राज्य के 2 MLAs, जो BJP से ही ताल्लुक रखते हैं, ने इस प्रतिबंध का विरोध भी किया है और राज्य सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की भी मांग की है। MLC ए. एच. विश्वनाथ और MLA अनिल बेनके ने भिन्न-भिन्न जगहों पर कमोबेश एक ही तरह की बात करते हुए इन प्रतिबन्धों को गलत और गैर लोकतांत्रिक बताया।
मदरसों पर कर्नाटक में प्रतिबंध की मांग
कर्नाटक के मुख्यमंत्री श्री बसवराज बोम्मई के राजनीतिक सचिव और विधायक रेनुकाचार्य ने हाल में एक बयान दिया कि वे मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से मदरसों पर प्रतिबंध लगाने की मांग करेंगे क्योंकि मदरसे सिर्फ “राष्ट्र विरोधी तत्वों” का निर्माण कर रहे हैं।
इस से पहले राज्य के शिक्षा मंत्री बी सी नागेश ने कहा था कि मदरसे के छात्र आधुनिक प्रणाली के तहत शिक्षा नहीं ग्रहण कर रहे हैं ; अगर मदरसों ने इक्षा जाहिर की तो राज्य सरकार सभी के लिए एकसमान शिक्षा की व्यवस्था कर सकती है।
कर्नाटक : अब उगादी पर्व पर हलाल मीट पर प्रतिबंध की मांग
अब कर्नाटक के भीतर एक नई मांग सामने आई है। हिदुंत्ववादी समूह हिन्दू जनजागृति समिति ने उगादी पर्व समारोह के दरमियान लोगों से हलाल मीट का बहिष्कार करने का आह्वान किया है।
हिंदुस्तान टाइम्स में छपे इस समिति के प्रवक्ता मोहन गौड़ा के बयान के मुताबिक ” उगादी पर्व के दौरान यहाँ (कर्नाटक में) मीट की खरीदारी खूब होती है और इसी दौरान हमलोग हलाल मीट के विरोध में अपना कार्यक्रम चला रहे हैं। इस्लाम के अनुसार हलाल मीट सबसे पहले अल्लाह को चढ़ाया जाता है। इसलिए वही मीट हिन्दू देवी देवताओं को नहीं चढ़ाया जा सकता।”
एक और प्रतिष्ठित मीडिया प्रतिष्ठान द क्विंट में छपे ख़बर के मुताबिक कर्नाटक के गृह मंत्री A. ज्ञानेंद्र ने कहा है कि राज्य में हलाल मीट पर प्रतिबंध की मांग मुस्लिम समुदायों द्वारा हिज़ाब-विवाद पर हाई कोर्ट के आदेश के पालन ना करने के बदले में उठी है।
वहीं कर्नाटक के मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने कहा है कि राज्य सरकार इन प्रतिबन्धों से जुड़े मांगो पर एक गंभीर विचार विमर्श करेगी और जल्दी ही अपना पक्ष सबके सामने रखेगी।
Karnataka CM Basavaraj Bommai on being asked about some rightist groups calling upon Hindus to boycott ‘halal-cut’ meat, said, “Halal issue has just started, we have to study it. It’s an ongoing practice. Now serious objections have been raised. I will look into it.” pic.twitter.com/tH8fn94ymF
— ANI (@ANI) March 30, 2022
“Economic Jihad”: हलाल मीट मामले पर बीजेपी जनरल सेक्रेटरी T. S. रवि
The halal meat business is a kind of ‘economic jihad’. The concept of Halal meat means that they can do business among themselves & consume Halal meat only among their people. What’s wrong in pointing it as wrong said BJP General Secretary CT Ravi yesterday in Bengaluru pic.twitter.com/y4j4NSPbiM
— ANI (@ANI) March 31, 2022