दिल्ली की तरफ मार्च करते किसानों में कर्ज के बोझ तले दबे वो किसना है जो इस उम्मीद में है कि सरकार उनका ऋण माफ़ कर उनके जीवन को थोडा आसान बना दे, इन समूहों में वो बेटी भी है जिसके पिता ने कर्ज के बोझ तले दब कर आत्महत्या कर ली, विधवाएं हैं जिनके पति कृषि संकट की भेंट चढ़ गए, वो आदिवासी है जिनकी जमीने औद्योगिकीकरण के नाम पर उनसे ले ली गई।
कृषि संकट से परेशान ये किसान दिल्ली की सड़कों पर फसलों के दाम बढ़ाना, कर्ज माफ़ी, स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू करना, और अन्य मांगों के साथ संसद की तरफ बढ़ रहे हैं।
किसान निजामुद्दीन, सब्जी मंडी स्टेशन, आनंद विहार टर्मिनल और बिजवासन से मार्च में आये जबकि स्वराज इण्डिया के योगेंद्र यादव ने बिजवसन से रामलीला मैदान में ‘चलो दिल्ली’ रैली का नेतृत्व किया, आगे जाकर इसमें हरियाणा, राजस्थान और उड़ीसा से आये किसान भी सम्मिलित हो गए।
किसानो को ले कर कर दो स्पेशल ट्रेन महाराष्ट्र के मिराज और बेंगुलुरु से आज दिल्ली पहुँचने की संभावना है।
सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर और पत्रकार पी. साईनाथ ने रैली को अपना समर्थन दिया और कहा कि आज किसानो की जो हालत है वो पहले कभी नहीं हुई। बड़ी संख्या में महिला किसान और दिल्ली विश्विद्यालय के छात्र भी किसानो को राहत देने हेतु केंद्र सरकार पर दवाब बनाने के लिए किसानों की रैली में हिस्सा ले रहे हैं।
शुक्रवार को ‘अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति’ के नेतृत्व में किसान रामलीला मैदान से संसद मार्ग की तरफ भाजपा सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ मार्च करेंगे।
कई मशहूर लेखक, बुद्दिजीवी और कलाकारों नयनतारा सहगल, के. सत्चिदानंदन, गणेश देवी और दामोदर मौजो ने किसानो के प्रति सहानुभूति जताई और उनकी मांगो को अपना समर्थन दिया।
रामलीला मैदान में लाल टोपी पहने और लाल झंडे लहराए किसानों का सागर सा उमड़ पड़ा, उनमे से कुछ किसान 36 घंटों का सफ़र तय करके आये थे। भरे हुए मैदान में वो नारे लगा रहे थे ‘अयोध्या नहीं क़र्ज़ माफ़ी चाहिए’ .
कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने ट्विटर पर आम आदमियों से किसानों को समर्थन देने के लिए उनकी रैली में शामिल होने की अपील की।
गाज़ियाबाद के एसएसपी उपेन्द्र अग्रवाल ने कहा है कि दिल्ली बॉर्डर पर फ़ोर्स तैनात कर दी गई है। किसी भी ट्रैक्टर, ट्रौली को दिल्ली में प्रवेश करने की इजाजत नहीं है।