भारत के गृह मंत्रालय ने यात्रियों के लिए 2160 वर्ग मीटर के भव्य टर्मिनल के निर्माण लिए मंज़ूरी दे दी है। भारत सरकार के मुताबिक इसकी लागत 190 करोड़ रूपए होगी। इस टर्मिनल में रोजाना 5000 यात्री ठहर सकते हैं। इसमें सिख आस्था का प्रतिक खंडवा भी लगाया जायेगा, जो एकजुटता और मानवता के मूल्यों का प्रतिनिधित्व करेगा।
अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर 300 फ़ीट ऊँचे तिरंगे को फहराया जायेगा। यह गलियारा पाकिस्तान के करतारपुर में स्थित दरबार साहिब से जुड़ेगा। इस स्थल पर सिख धर्म के संस्थापक आने जीवन के अंतिम 18 वर्ष रहे थे। यह टर्मिनल 50 एकड़ में फैला हुआ है जिसका विकास दो चरणों में किया जायेगा।
अधिकारी के मुताबिक पहले चरण के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। पहले चरण में 15 एकड़ में निर्माण कार्य होगा। दूसरे चरण में यात्रियों के लिए अस्पताल, आवास और अन्य सुविधाओं का विकास किया जायेगा। लैंड पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया के जिम्मे यह कार्य सौंपा गया है और सरकार ने इसके निर्माण कार्य को गुरु नानक की 550 वीं सालगिरह यानी नवंबर 2019 तक पूरा करने को कहा है।
भारत ने पुष्टि की कि भारत और पाकिस्तान की मुलाकात करतारपुर गलियारे के तौर-तरीकों पर चर्चा करने और उसे अंतिम रूप देने के लिए अट्टारी-वाघा बॉर्डर पर 14 मार्च को आयोजित होगी।
भारत ने 24 नवंबर को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने लाहौर से 124 किलोमीटर दूर नरोवाल में इस गलियारे की नींव रखी थी। करतारपुर पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में आता है और नरोवाल जिले में पड़ता है। भारत सरकार ने इस निर्णय को 22 नवम्बर 2018 को लिया था, क्योंकि यह प्रस्ताव लम्बे समय से अटका हुआ था। भारत सरकार ने आज पाकिस्तान के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा के साथ ही करतारपुर गलियारे का आंकड़े साझा किये हैं।
इसकी स्थापना के संस्थापक गुरुनानक देव ने साल 1522 में की थी। साथ ही उन्होंने अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष यही स्थल पर व्यतीत किये थे। करतारपुर गलियारे के माध्यम से भारत के श्रद्धालु पाकिस्तान के गुरूद्वारे की यात्रा बिना वीजा के कर पाएंगे।