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    डॉलर बनाम भारतीय रुपया

    यूं तो हम सभी रुपये के गिरते स्तर से परेशान है। डॉलर के मुक़ाबले कमज़ोर होते रुपये से न सिर्फ तेल की कीमतों में उछाल आ गया है बल्कि अन्य क्षेत्र भी इससे प्रभावित हुए हैं।

    कुल मिलकर देश को इससे काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। माना ये जा रहा है कि अभी हालत में सुधार के आसार नज़र नहीं आ रहे हैं। लेकिन एक क्षेत्र ऐसा भी है जिसमें रूपए की गिरती कीमत फायदा पहुंचा रही है। वो है निर्यात।

    जैसा कि हम जानते हैं कि यदि कोई वस्तु देश से बहार भेजी जाती है है तो उसके बदले में हमें विदेशी मुद्रा हासिल होती है, जो कि वर्तमान में भारतीय मुद्रा से ज्यादा कीमत रखती है।

    भारत सबसे ज्यादा निर्यात, सेवाओं का करता है। आईटी सेक्टर हमेशा से ही निर्यात का बड़ा साधन रहा है और इस समय कमज़ोर रूपए के सामने आईटी सेक्टर निर्यात के जरिये अच्छा व्यापार कर रहा है।

    इसी वजह से आईटी सेक्टर में पिछली तिमाही में अच्छी ग्रोथ देखने को मिली है। बाकी क्षेत्रों के मुक़ाबले आईटी सेक्टर का निर्यात ज्यादा रहा है और इसी वजह से इस दौरान आईटी को मिलने वाले राजस्व में भी बढ़ोतरी हुई है।

    कमजोर रुपए की वजह से निर्यात बढ़ रहा है.

    स्त्रोत: ब्लूमबर्ग

    इस चित्र में आप देख सकते हैं कि किस प्रकार अगस्त के बाद रुपए के गिरने की वजह से निर्यात में वृद्धि दिखने को मिली है।

    और इस तरह कमज़ोर होते रुपये के सामने सिर्फ निर्यात ही टिक पाया है।

    आपको बताते चलें कि वर्तमान में रुपया का प्रदर्शन एशिया भर में सबसे कमज़ोर रहा है। ऐसे में किसी भी तरह के आयत पर भारत को अब और भी ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है।

    अब देखना ये है कि रूपये कीमत में सुधार कब तक देखने को मिलता है। हालांकि सरकार ने इसपर किसी भी तरह का आश्वासन अभी तक नहीं दिया है।

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