Sun. Dec 22nd, 2024
    मणिशंकर अय्यर

    गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान में महज 1 दिन का समय शेष रह गया है। पहले चरण के लिए चुनाव प्रचार थम चुके हैं। अब प्रत्याशी घर-घर जाकर मतदाताओं को रिझा रहे हैं। भाजपा, कांग्रेस समेत सभी सियासी दलों ने चुनाव प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। मतदाताओं को रिझाने के लिए सभी सियासी दल अपनी-अपनी सियासी बाजी चल चुके हैं। गुजरात की सियासत का मिजाज इस बार कुछ अलग ही नजर आ रहा था। कल तक कांग्रेस के जातीय कार्ड के दांव के आगे सत्ताधारी दल भाजपा पस्त नजर आ रही थी। पाटीदार, ओबीसी और दलित आन्दोलन के चलते बने त्रिशंकु जातीय समीकरण में भाजपा उलझ कर रह गई थी। मगर कल दिग्गज कांग्रेसी नेता मणिशंकर अय्यर द्वारा पीएम मोदी को ‘नीच’ कहने के बाद गुजरात की सियासत में भूचाल आ गया है।

    पीएम मोदी ने कल अपनी रैली में मणिशंकर अय्यर के इस बयान को अपनी जाति से जोड़कर चुनावी ‘ट्रम्प कार्ड’ चल दिया है। अब यह दांव भाजपा के लिए कितना कारगर साबित होता है यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा पर एक बात तय है कि कांग्रेस को इसका नुकसान उठाना पड़ेगा। अगर बीते 3 विधानसभा चुनावों से तुलना करें तो कांग्रेस गुजरात में इस बार काफी मजबूत बनकर उभरी थी। कांग्रेस दशकों बाद भाजपा को कड़ी टक्कर देती नजर आ रही थी। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी के धुआँधार चुनाव प्रचार और जातीय आन्दोलनों की वजह से भाजपा गुजरात में बैकफुट पर नजर आ रही थी। ऐसी नाजुक परिस्थितियों में मतदान के ठीक पहले मणिशंकर अय्यर का यह बयान गुजरात में भाजपा के लिए संजीवनी का काम कर सकता है।

    गुजरात में भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान उसके परंपरागत वोटबैंक रहे पाटीदार समाज के कटने से हुआ है। गुजरात का पाटीदार समाज पिछले 2 दशकों से भाजपा का समर्थक था और भाजपा के सत्तासीन होने में पाटीदार समाज के मतदाताओं की अहम भूमिका थी। 2015 में आरक्षण की मांग को लेकर शुरू हुए पाटीदार आन्दोलन के बाद गुजरात में भाजपा के कोर वोटबैंक कहे जाने वाला पाटीदार समाज पर भाजपा की पकड़ कमजोर होने लगी। पाटीदार आन्दोलन के अगुआ हार्दिक पटेल ने गुजरात की सत्ताधारी भाजपा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था और लोगों से भाजपा को वोट ना देने की अपील की। अब हार्दिक पटेल खुलकर कांग्रेस के साथ आ चुके हैं और भाजपा के खिलाफ चुनाव प्रचार भी कर रहे हैं।

    गुजरात की सत्ताधारी भाजपा सरकार के खिलाफ आन्दोलनरत ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर पहले ही कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं और बतौर कांग्रेस उम्मीदवार राधनपुर से चुनाव भी लड़ रहे हैं। दलित नेता जिग्नेश मेवानी भी परोक्ष रूप से कांग्रेस का समर्थन कर रहे हैं और कांग्रेस समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर वडगाम से चुनावी मैदान में हैं। ऐसे में भाजपा के लिए जातीय समीकरण को साध पाना बहुत मुश्किल दिख रहा था। कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर के ‘नीच’ वाले बयान का पीएम मोदी और भाजपा पूरा फायदा उठा रहे हैं। भाजपा दलितों, आदिवासियों और अन्य पिछड़े वर्ग के मतदाताओं को को अपने पक्ष में कर जातीय आन्दोलनों की वजह से हुए नुकसान की भरपाई करने की ताक में है।

    मुझे “नीच’ बोलना गुजरात के बेटे का अपमान : मोदी

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 दिसंबर को हुई अपनी रैलियों में कांग्रेस के बयानों से ही उसे मात दे दी। शुरुआत उन्होंने कांग्रेस की वंशवाद की राजनीति पर तंज कसकर की। जनता को सम्बोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि गुजरात विधानसभा चुनाव भाजपा के विकास में एजेण्डे में लोगों के यकीन और कांग्रेस की वंशवादी राजनीति के बीच का चुनाव है। सम्बोधन के दौरान पीएम मोदी ने खुद के लिए ‘गुजरात का बेटा’ शब्द का इस्तेमाल किया और कहा कि भले मैं नीच जाति से हूँ पर मैंने काम हमेशा ऊँचे किए हैं।

    पीएम मोदी ने कहा, “कांग्रेस के जो भी नेता गुजरात में चुनाव प्रचार में आ रहे हैं वह गुजरात के बेटे के खिलाफ झूठ फैला रहे हैं। एक साधारण परिवार से आने वाले व्यक्ति का अच्छे कपड़े पहनना कांग्रेस को भाता नहीं है। गुजरात इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा। जो झूठ वो फैला रहे हैं, उसे कोई गुजराती स्वीकार नहीं करेगा।”

    कांग्रेस से निलंबित हुए अय्यर

    मणिशंकर अय्यर के बयान के बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने ट्वीट कर उनसे माफी मांगने को कहा था। मणिशंकर अय्यर ने दलील दी थी कि वो हिन्दीभाषी नहीं है इस वजह से उन्होंने ‘लो’ के लिए ‘नीच’ शब्द का उपयोग किया। अय्यर ने कहा था कि अगर इसका कोई और मतलब निकलता है तो वह इसके लिए माफी चाहेंगे। हालाँकि तब तक भाजपा इस मुद्दे को तूल दे चुकी थी और यह सुर्खियों में छा गया था। कांग्रेस ने तत्काल अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए मणिशंकर अय्यर को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया था और उन्हें इस बयान के लिए ‘कारण बताओ’ नोटिस जारी कर दिया था। अब भाजपा और पीएम मोदी अय्यर के इस बयान को कांग्रेस की मानसिकता और ‘गुजरात के बेटे’ के अपमान से जोड़कर अपना सियासी मतलब साध रही है।

    लालू ने किया अय्यर का समर्थन

    भाजपा और उसके समर्थक दल मणिशंकर अय्यर के इस बयान की कड़ी निंदा कर रहे हैं। एक ओर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने मणिशंकर अय्यर के इस बयान से अपना पल्ला झाड़ लिया था और उन्हें माफी मांगने को कहा था वहीं बिहार में कांग्रेस की सहयोगी आरजेडी के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने परोक्ष रूप से मणिशंकर अय्यर के बयान का समर्थन किया है। लालू यादव ने कहा कि राजनीति में घटिया जुबान और सभ्यता भूलने की शुरुआत नरेंद्र मोदी ने ही की थी। लालू यादव ने कहा कि राहुल गाँधी 2019 में नरेंद्र मोदी के खिलाफ गैर भाजपाई दलों के प्रधानमंत्री उम्मीदवार रहेंगे। लालू यादव का यह बयान ऐसे समय में आया है जब कांग्रेस चौतरफा आलोचनाओं से घिरी हुई थी। अब यह देखना है कि उनका समर्थन कांग्रेस को गुजरात में कितना सहारा दे पाता है।

    उल्टा पड़ा था कांग्रेस का ‘चायवाला’ दांव

    गुजरात विधानसभा चुनाव काफी समय पहले से ही देश के सियासी पटल पर छाया हुआ है। अगस्त महीने में हुए गुजरात राज्यसभा चुनावों में अहमद पटेल को मिली जीत ने शंकर सिंह वाघेला की बगावत से मृतप्राय पड़ी कांग्रेस को पुनर्जीवित किया था। इसके बाद से ही कांग्रेस गुजरात में अपने चुनावी प्रचार अभियान में जुट गई थी और सियासी माहौल अपने पक्ष में करने की पुरजोर कोशिश कर रही थी। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने गुजरात में पार्टी के पक्ष में सियासी जमीन तैयार करने के लिए कड़ी मेहनत की थी। उनकी यह मेहनत रंग भी लाई थी और उनके धुआँधार प्रचार अभियान को व्यापक जनसमर्थन मिल रहा था। कांग्रेस ने गुजरात में भाजपा के खिलाफ आन्दोलनरत जातियों को भी साध लिया था और दशकों बाद कांग्रेस भाजपा के सामने लड़ाई में थी। पर यूथ कांग्रेस के ‘चायवाले’ बयान की वजह से कांग्रेस बैकफुट पर आ गई थी।

    गुजरात विधानसभा चुनाव
    यूथ कांग्रेस द्वारा बनाया गया चायवाला मेमे

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने गुजरात दौरों पर इस चायवाला प्रकरण को तूल देने का काम किया। मीडिया इस शब्द से काफी पहले से परिचित थी और इस वजह से इसे अच्छी-खासी कवरेज भी मिली। पीएम मोदी ने अपनी विशेष सम्बोधन शैली से इस चायवाला प्रकरण को ‘तिल का ताड़’ बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। अपने सम्बोधनों में भी पीएम मोदी ने इसका जिक्र किया था और इसे गरीबों से जोड़ा था। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस उनको इसलिए नापसंद करती है क्योंकि वह एक चायवाले थे और गरीब तबके से आते हैं। पीएम मोदी अपने सम्बोधनों में गुजराती को प्रमुखता दी थी और जनता से आसानी से जुड़ने के लिए पूर्णतया गुजराती में ही भाषण दिया था। कांग्रेस अभी ‘चायवाला’ विवाद से उबार नहीं पाई थी कि तभी ‘नीच’ वाले बयान ने उसे बैकफुट पर धकेल दिया।

    ‘चायवाला’ ने बिगाड़ा था कांग्रेस का माहौल

    गुजरात में चुनाव प्रचार के शुरूआती चरण से ही कांग्रेस मजबूत नजर आ रही थी। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने गुजरात में समय पूर्व प्रचार अभियान शुरू कर दिया था और आर्थिक मोर्चे पर पीएम मोदी और भाजपा को घेरना शुरू कर दिया था। फिर वह चाहे जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स बताना हो या नोटबंदी को विफल साबित करना, हर मुद्दे पर राहुल अपना पक्ष मजबूती से रखते नजर आए। सोशल मीडिया पर भी राहुल और कांग्रेस की छवि सुधरी थी और ‘विकास पागल हो गया’ कैम्पेन ने कांग्रेस की उम्मीदों को नई ऊँचाइयाँ दी थी। अपने चुनावी दौरों के दौरान राहुल ने कभी भी पीएम मोदी पर पर्सनल अटैक नहीं किया और वह मुद्दों पर आधारित राजनीति करते नजर आए थे। राहुल गाँधी इसे विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का मजबूत बिंदु बनाना चाह रहे थे।

    कांग्रेस के लिए सबकुछ अच्छा चल रहा था तभी यूथ कांग्रेस ने पीएम मोदी पर ‘चायवाला’ मेमे बनाकर ट्वीट किया। कांग्रेस ने इस मुद्दे से पल्ला झाड़ने की कोशिश की पर भाजपा ने इसे चुनावी मुद्दा बना लिया। राजकोट में अपने पहले ही सम्बोधन में पीएम मोदी ने चायवाला को मुद्दा बना लिया और इसे गरीबी से जोड़ दिया। सभा को सम्बोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा था, “कांग्रेस मुझे नापसंद करती है, क्‍योंकि मैं गरीब परिवार से हूँ। इसलिए नापसंद करती है। हाँ, एक गरीब परिवार का व्‍यक्‍ति देश का प्रधानमंत्री बन गया है। हाँ, मैंने चाय बेची है, लेकिन मैंने देश बेचने का पाप नहीं किया। मैं कांग्रेस से आग्रह करता हूँ, वे गरीबों का मजाक न उड़ाएं।” कांग्रेस के पक्ष में बना माहौल ‘चायवाला’ प्रकरण की वजह से खराब होने लगा था।

    सत्ता विरोधी लहर से जूझ रही थी भाजपा

    पिछले 2 सालों से गुजरात में सरकार विरोधी लहर दिखाई दे रही थी। गुजरात का हर वर्ग किसी ना किसी मुद्दे को आधार बनाकर सत्ताधारी भाजपा सरकार के खिलाफ सड़क पर उतर चुका था। भाजपा पिछले 2 दशकों से गुजरात की सत्ता पर काबिज है। इतने लम्बे समय से सत्तासीन रहने की वजह से गुजरात के लोगों में भाजपा के प्रति नाराजगी बढ़ी है। हालाँकि भाजपा के शासनकाल में गुजरात ने बहुत तरक्की की है और वह आज देश के समृद्ध राज्यों की सूची में अग्रणी स्थान पर काबिज है। 2014 लोकसभा चुनावों के वक्त पूरे देश में सत्ता विरोधी लहर चल रही थी। तब भाजपा प्रचण्ड बहुमत से सत्ता में आई थी। परिवर्तन समय की मांग है और शायद गुजरात की जनता अब परिवर्तन चाह रही थी। पर व्यक्तिगत बयानबाजी और ओछी टिप्पणियों की वजह से कांग्रेस की राह मुश्किल होती नजर आ रही है।

    घट रही थी भाजपा की लोकप्रियता

    पिछले 6 महीनों से गुजरात में सत्ताधारी दल भाजपा की लोकप्रियता में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई है। अगस्त में हुए गुजरात राज्यसभा चुनावों में अहमद पटेल को मिली जीत ने बगावत का दंश झेल रही गुजरात कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम किया था और पार्टी को पुनर्गठित करने का प्रयास किया था। कांग्रेस उसी वक्त से विधानसभा चुनावों की तैयारी में जुट गई थी और नतीजन आज अरसों बाद गुजरात में भाजपा को कड़ी चुनौती मिलती दिख रही है। गुजरात में भाजपा की लोकप्रियता घटने के प्रमुख कारणों में से एक है नेतृत्व की कमी। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस की तरह गुजरात भाजपा भी किसी लोकप्रिय और सशक्त चेहरे की कमी से जूझ रही है। 6 महीने पहले कराए गए सर्वे के नतीजों और हालिया सर्वे के नतीजों में यह स्पष्ट दिखाई देता है कि कांग्रेस धीरे-धीरे ही सही पर भाजपा के करीब पहुँचती जा रही है।

    एबीपी न्यूज-लोकनीति-सीएसडीएस के द्वारा कराए गए ताजा सर्वे के नतीजे भाजपा के पक्ष में हैं और राज्य में भाजपा की सरकार बनने का दावा कर रहे हैं। सर्वे के नतीजों में भाजपा को 90-100 सीटें मिलने का दावा किया गया है वहीं कांग्रेस को 70-80 सीटें मिलने की उम्मीद है। यह नतीजे इसी एजेंसी द्वारा अगस्त में गुजरात राज्यसभा चुनावों के वक्त कराए गए सर्वे के नतीजों से बिलकुल अलग है। उस वक्त में भाजपा को 144-152 सीटें मिलनी की बात कही गई थी वहीं कांग्रेस को 26-32 सीटों पर सिमटते दिखाया गया था। मौजूदा सर्वे में भाजपा को 44 फीसदी मत मिलने की बात कही गई थी वहीं कांग्रेस को 43 फीसदी वोट मिलने का अनुमान था। पिछले चुनावों में भाजपा-कांग्रेस के बीच 11 फीसदी रहा मतान्तर लगभग बराबरी पर आ चुका था।

    पुरानी गलतियों से कब सीखेगी कांग्रेस

    यह पहला मौका नहीं है जब किसी कांग्रेस नेता ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर कोई व्यक्तिगत टिप्पणी की हो। कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं ने इससे पहले भी पीएम मोदी पर कई बार अशोभनीय टिप्पणी की है और खामियाजा हर बार कांग्रेस को ही भुगतना पड़ा है। 2014 लोकसभा चुनावों के वक्त मणिशंकर अय्यर ने मोदी को ‘चायवाला’ कहा था जिसका भाजपा ने पूरा फायदा उठाया और उसे एक विशेष तबके की सहानुभूति भी मिली। 2007 में गुजरात विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान सोनिया गाँधी ने मोदी को ‘मौत का सौदागर’ कहा था। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के समय कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने पीएम मोदी पर ‘जवानों के खून की दलाली’ का आरोप लगाया था। कांग्रेस ने जब-जब मोदी पर व्यक्तिगत निशाना साधा है उसका दांव उल्टा ही पड़ा है। आखिर कब तक कांग्रेस वही गलतियां दोहराती रहेगी और कब सबक सीखेगी।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।