जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष का बिहार में मुख्यधारा की राजनीति में प्रवेश करना कोई नई बात नही हैं। कन्हैया कुमार बिहार के बेगूसहाय से इस बार के लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।
इस से पहले, शकील अहमद खान जो बिहार के कटिहार जिले के कदवा से कांग्रेस के विधायक हैं, 1992-93 में जेएनयूएसयू के अध्यक्ष थे और पूर्वीवर्ती वर्ष में संघ के उपाध्यक्ष भी थे।
जब की खान ने छात्र संघ चुनवों में भारत के वामपंथी-संबद्ध छात्र महासंघ के रूप में लड़ा था, विश्वविद्यालय की राजनीति से निकल कर उन्होंने कांग्रेस को ज्वाइन कर लिया था।
जेएनयू ने राजनीति में मेरी रुचि को आकार दिया जो अंतत: मेरे जीवन के लिए मेरा भविष्य बन गया। मेरा यह कहना बेईमानी नही होगा कि कांग्रेस में शामिल होने का यह कदम अवसरवादी नही था। जो कि दो दशक पहले की बात हैं तब देश का राजनीतिक माहौल अलग था।
खान ने कहा भव्य पार्टी के साथ राजनीतिक करियर बनाना मेरे दिमाग में था। लेकिन में उस पार्टी से जुड़ा रहा , जहां मैं सभी बाधाओं के बावजूद शामिल हुआ था।
शकील अहमद खान 1999 में कांग्रेस में शामिल हुए और 2015 में पहली बार कदवा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने गए थे।
इस के अलावा, गया के शेरघाटी के रहने वाले जनता दल के विधानपार्षद तनवीर अख्तर 1991-92 में जेएनयूएसयू के अध्यक्ष थे। इस दौरान अहमद खान उपाध्यक्ष बने। अख्तर ने जेएनयूएसयू का चुनाव कांग्रेस से संबद्ध छात्र संगठन नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया से लड़ा था। वह जेएनयू से बाहर आने के बाद विधानपरिषद के सदस्य बन गए।
2016 में, जेएनयू में एक कार्यक्रम में कथित तौर पर राष्ट्रविरोधी नारे लगने के बाद कन्हैया पर राजद्रोह का मामला दर्ज हुआ था। इस साल अपने गृहनगर बेगूसराय से चुनाव का आगाज कर रहे है। जो 29 अप्रैल को होने हैं।
भाकपा के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए, वह भाजपा के दिग्गज गिरिराज सिंह और आरजेडी के तनवीर हसन के खिलाफ बेगूसराय के चुनावी मैदान में उतरेंगे।
कई अध्यक्ष थे, चंद्रशेखर प्रसाद, जो 1993 में छात्र संघ के लिए उपाध्यक्ष चुने गए इसके बाद अध्यक्ष बने। बांका के पूर्व सांसद, बिहार के जमुई जिले के गिधौर के मूल निवासी, दिग्विजय सिंह, जिनकी मृत्यु 2010 में हो गई थी वह डेमोक्रेटिक सोशालिज्म संगठन से 1982 में जेएनयूएसयू के महासचिव बने थे।