क्यूएस की एशियाई विश्वविद्याल्यों रैंकिंग में भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान मुंबई को 33 वां पायदान हासिल हुआ है। बुधवार को क्यूएस ने एशिया के विश्वविद्याल्यों की रैंकिंग की घोषणा की थी। आईआईटी मुंबई के बाद आईआईटी दिल्ली और आईआईटी मद्रास ने क्रमशः 40 वां और 48 वां स्थान हासिल किया है।
बीते वर्ष की क्यूएस की एशियाई विश्वविद्याल्यों की रैंकिंग में आईआईटी मुंबई को 34 वां पायदान जबकि आईआईटी दिल्ली को 40 वां पायदान हासिल हुआ था।
इस रैंकिंग में सिंगापुर की नेशनल यूनिवर्सिटी ने बाजी मारी है जबकि दूसरे स्थान पर हांगकांग की यूनिवर्सिटी है। तीसरे स्थान पर सिंगापुर की नान्यांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी है।
प्रतिष्ठित भारतीय विज्ञान संसथान बंगलोर ने 50 वां स्थान हासिल किया है। जबकि आईआईटी खरगपुर ने 53 वां, आईआईटी कानपुर ने 61 वां, आईआईटीरूड़की ने 86 वां और आईआईटी गुहावटी ने 107 वां स्थान हासिल किया है।
दिल्ली यूनिवर्सिटी को 62 वां और हैदराबाद यूनिवर्सिटी को 106 वां पायदान मिला है। साथ ही कोलकाता यूनिवर्सिटी को 134 वां पायदान मिला है।
क्यूएस ने हाल ही में उच्चतम भारतीय विश्वविद्याल्यों की एक फेरहिस्त जारी की थी। इस सूची में आईआईटी बॉम्बे ने सर्वश्रेष्ठ स्थान हासिल किया था। एशियाई देशों के लिए लिए क्यूएस 11 मानकों पर सूची तैयार करती है। लगभग हर सूची में आईआईटी संस्थानों का दबदबा बना रहता है।
यूनियन ग्रांट कमीशन के पूर्व सदस्य वी एस चौहान ने बताया कि आईआईटी संस्थानों की अनुसंधान तकनीक उम्दा है और उन्हें दिया जाने वाला अनुदान मज़बूत है।
नतीजतन ये संसथान उम्दा प्रदर्शन कर रहे हैं। उम्मीद है स्वायत्ता प्रदान करने के बाद कुछ अन्य यूनिवर्सिटी भी इस सूची में शुमार होगी। उन्होंने कहा कि यक़ीनन इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश से भारत के विश्वविद्याल्य उन्नति करेंगे।