भारतीय टीम की ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एकदिवसीय श्रृंखला की घोषणा सोमवार को की गई थी। यही नही बल्कि उसके बाद न्यूजीलैंड के खिलाफ खेली जाने वाली 5 वनडे और 3 टी-20 मैचो के लिए भी टीम का ऐलान हो गया है। जहां एकदिवसीय सीरीज में कोई बड़ा बदलाव तो देखने को नहीं मिला लेकिन न्यूजीलैंड के खिलाफ टी-20 सीरीज के लिए धोनी दोबारा टीम में चुने गए है। इससे पहले धोनी को वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी-20 टीम में जगह नही दी गई थी। जिससे उनके प्रशंसको को लगा था कि अब धोनी कभी टी-20 टीम में नजर नही आएंगे।
हालॉंकि, कुछ महीनो में ही धोनी ने खेल के सबसे छोटे प्रारूपो मे वापसी कर ली है और वह न्यूजीलैंड के खिलाफ फरवरी में में 93वां टी-20 मैच खेलते नजर आएंगे।
जाने ऐसे तीन कारण जिससे धोनी की टी-20 टीम में इतनी जल्दी वापसी हुई है-
धोनी का अमूल्य अनुभव-
रांची में जन्में इस खिलाड़ी ने हाल में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपने 14 साल पूरे किये है, उन्होने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपना डेब्यू 2004 में किया था। उनके करियर की एक लड़खड़ाती शुरुआत से उन्होने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखा था, लेकिन देखते ही देखते वह टीम के लिए एक मजबूत स्तंभ बन गए और उन्होने उसके बाद कभी पिछे मुड़कर नही देखा।
धोनी को वेस्टइंडीज के खिलाफ पहली बार टी-20 सीरीज से बाहर रखा गया था जिसने सबको हैरानी में डाल दिया था। लेकिन वह निर्णय टीम के लिहाज से देखा जाए तो सही था क्योकि धोनी के बल्ले से उस वक्त नही निकल रहे थे। वही कार्तिक जो उनकी जगह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी-20 सीरीज में खेलते नजर आए थे उन्होने अच्छा प्रदर्शन किया और उन्हें आगे भी टी-20 सीरीज में जगह दी गई है, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी-20 सीरीज में कभी वह स्टंप के पीछे नजर नही आए।
ऋषभ पंत की लगातार असफलताए-
जब धोनी को टी-20 टीम से बाहर किया गया था, तो हर किसी को यही लगा की अब ऋषभ पंत धोनी की जगह टीम में अपनी जगह पक्की करने को तैयार है। हालांकि दिल्ली का यह खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी-20 सीरीज में अपनी छाप छोड़ने में नाकाम रहा और कोई बड़ी पारी नही खेल सका।
ऋषभ पंत की खराब फॉर्म उनके लिए दोबारा वनडे टीम में वापसी करना चिंता का सबब बन सकता है। अब भारतीय टीम के प्रशंसक चाहते है कि धोनी अपने बल्ले से कीवियों के खिलाफ कुछ आग उगले और टीम में अपनी वापसी को मजबूत बनाए।
विश्व कप से पहले धोनी को खेलने के लिए समय चाहिए-
अब 2019 इंग्लैंड में होने वाले विश्वकप के लिए सिर्फ 6 महीने ही बाकी है। तो हर टीम अपने उन खिलाड़ियो को मैच खेलने के ज्यादा से ज्यादा मौके दे रही है जिन्हें वह विश्वकप टीम में शामिल करना चाहती है।
भारत की टीम को अब विश्वकप 2019 से पहले सिर्फ 13 एकदिवसीय मैच और खेलने है। तो ऐसे में धोनी को हर मैच खेलना ज्यादा जरूरी है।
धोनी साल 2018 में अपने बल्ले से सिर्फ 20 की औसत से ही रन बना पाए है। यह धोनी के करियर का अबतक का सबसे खराब साल था जो कि इस साल अपने बल्ले से एक अर्धशतक तक नही निकाल पाए।
अगर धोनी अभी से सारे टी-20 और एकदिवसीय मैच खेलते है तो छह महीने में भारतीय टीम को 18 अंतरराष्ट्रीय मैच और खेलने है। जहा पर टी-20 में बल्लेबाजी करने कि डिमांड एकदिवसीय मैचो से अलग होती है। जब से धोनी ने लाल गेंद के क्रिकेट खेलने से सन्यास लिया है तब से वह रणजी ट्रॉफी मैच खेलते हुए भी नजर नही आए है।