Mon. Dec 23rd, 2024
    जंतर मंतर

    जयपुर के महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने दिल्ली स्थित जंतर-मंतर का निर्माण करवाया था। ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति और उनसे सम्बन्धित गणनाएं करने के लिए उनके द्वारा बनवाए गए 5 जंतर-मंतर में से यह एक था। खगोलीय गणनाएं करने के लिए उन्होंने पश्चिम मध्य भारत में कुल 5 जंतर-मंतर बनवाए थे। जिन शहरों में जंतर-मंतर स्थित है उनमें दिल्ली, जयपुर, वाराणसी, मथुरा और उज्जैन के नाम शामिल हैं। वर्ष 1724 से 1734 के मध्य इनका निर्माण कराया गया गया था। खगोलीय और ज्योतिष गणनाओं के लिए उपयोगिता के अतिरिक्त जंतर-मंतर की पहचान देश की प्राचीन खगोलीय विरासत के तौर पर भी है और यह देश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में भी शुमार है।

    इनमें दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्थित जंतर-मंतर सर्वाधिक प्रसिद्द है पर पिछले कुछ वर्ष से यह किसी और कारणों से सुर्खियों में रहा है। जंतर-मंतर पिछले कुछ वर्षों से राष्ट्रव्यापी धरना-प्रदर्शन और आन्दोलनों का केंद्र बना हुआ है। दिल्ली स्थित विश्वविद्यालयों के छात्र, सामजिक कार्यकर्ता और राजनीतिक दलों के नेता अक्सर जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे नजर आ जाते हैं। देश में पर्यावरण सुरक्षा और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए गठित एनजीटी ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वह तत्काल जंतर-मंतर पर होने वाले सभी प्रदर्शनों पर रोक लगाए। प्रदर्शनरत लोगों को वैकल्पिक तौर पर अजमेरी गेट स्थित रामलीला मैदान में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया गया है।

    पर्यावरण हितों के लिहाजन जरुरी

    एनजीटी ने दिल्ली सरकार को जंतर-मंतर क्षेत्र में होने वाले प्रदर्शनों और इकठ्ठा होने वाले लोगों को तत्काल रोकने का आदेश दिया था। गुरूवार को इस सम्बन्ध में आदेश जारी करते हुए न्यायमूर्ति आर एस राठौड़ की अध्यक्षता वाली एक सदस्यीय पीठ ने नई दिल्ली नगर पालिका परिषद को निर्देश दिया की कनॉट प्लेस के निकट स्थित जंतर-मंतर रोड से ध्वनि विस्तारक यंत्रों, जन उद्घोषणा प्रणालियों और अस्थायी ढांचों को तत्काल हटाया जाए। पीठ ने प्रतिवादी दिल्ली सरकार को इस सम्बन्ध में आदेश जारी किया है। इस सम्बन्ध में एनजीटी ने दलील दी है कि जंतर-मंतर क्षेत्र में लगातार होने वाले प्रदर्शन वायु प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम, 1981 समेत अन्य पर्यावरणीय कानूनों का भी उल्लंघन है।

    एनजीटी ने अपने आदेश में कहा है कि जंतर-मंतर के आस-पास रहने वाले लोगों को भी शांतिपूर्ण और आरामदायक जीवन जीने का अधिकार है। प्रदर्शनों की वजह से उनकी जीवनशैली प्रभावित होती है और उनके आस-पास का वातावरण भी प्रदूषित होता है। उनके आस-पास का वातावरण भी प्रदूषण मुक्त होना चाहिए। स्थानीय निवासियों वरुण सेठ और अन्य द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने यह आदेश सुनाया। याचिकर्ताओं द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया था कि जंतर-मंतर क्षेत्र में राजनीतिक दलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्रों और गैर सरकारी संस्थानों द्वारा किए जाने वाले विरोध-प्रदर्शनों और आन्दोलनों से ध्वनि प्रदूषण होता है। याचिका में कहा गया था यह क्षेत्रीय निवासियों के शांति के अधिकार, सम्मान के साथ जीने के अधिकार, स्वस्थ वातावरण में जीने के अधिकार और नींद लेने के अधिकार का उल्लंघन है।

    आन्दोलनों का केंद्र बन चुका था जंतर-मंतर

    जंतर-मंतर पिछले कुछ समय से राष्ट्रव्यापी विरोध-प्रदर्शनों और आन्दोलनों का केंद्र बन चुका था। जंतर-मंतर पर हुए प्रमुख विरोध-प्रदर्शनों में तमिलनाडु के किसानों का प्रदर्शन, बीएचयू छेड़छाड़ के विरुद्ध प्रदर्शन, रोहिंग्या मुसलमानों के समर्थन में हुए प्रदर्शन, भूतपूर्व सैनिकों का प्रदर्शन, गोरखालैण्ड की मांग को लेकर हुआ प्रदर्शन और मॉब लॉन्चिंग की घटनाओं के खिलाफ हुआ प्रदर्शन शामिल हैं। देश की राजधानी दिल्ली में स्थित होने के कारण जंतर-मंतर पर होने वाले प्रदर्शनों को राष्ट्रीय मीडिया का अच्छा कवरेज मिलता था। यही वजह थी कि जंतर-मंतर हर किसी के लिए प्रदर्शन करने की पसंदीदा जगह बन गया था। इन आन्दोलनों और प्रदर्शनों के कारण होने वाले शोर-शराबे से आस-पास के निवासियों को दिक्कत होती थी। अक्सर जंतर-मंतर पर कैंडल मार्च का आयोजन भी होता था और इस वजह से वायु प्रदूषण होता था।

    जंतर मंतर
    आन्दोलनों का केंद्र बन चुका था जंतर मंतर

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।