श्रीलंका में राजनीतिक संकट के बादल हटते नज़र नहीं आ रहे हैं। इस राजनीतिक संकट के रचियता राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना ने ऐलान किया कि श्रीलंका में उपजे राजनीतिक संकट का समाधान आगामी सात दिनों में हो जायेगा। हाल ही में श्रीलंका की अदालत ने महिंदा राजपक्षे को प्रधानमन्त्री पद का दावेदार मानने से इनकार कर दिया और उन पर पाबंदी लगा दी है।
अदालत ने महिदा राजपक्षे के कार्यकाल पर फौरी अंकुश लगाया है। 122 सांसदों द्वारा विवादित सरकार के खिलाफ याचिका दायर करने के बाद अदालत ने कैबिनेट को अपने पद के तरीके के संचालित करने पर रोक लगाई है। अदालत इस मसले पर 12 और 13 दिसम्बर को सुनवाई करेगी।
सुनवाई के दौरान उपस्थित वकील ने बताया कि महिंदा राजपक्षे और उनकी विवादित सरकार को प्रधानमंत्री, मंत्री और कैबिनेट मंत्री की तरह कार्य करने पर पाबंदी लगा दी है। अदालत ने कहा कि पद पर जबरदस्ती कोई प्रधानमन्त्री और मंत्री आसीन हो तो यह एक अपूरणीय क्षति होती है।
श्रीलंका के राष्ट्रपति ने कहा कि जारी राजनीतिक संकट का एक सप्ताह में समाधान हो जायेगा, यह मसला पूरी तरह सुलझ जायेगा। उन्होंने कहा कि मैं यह प्रयास अपनी जनता, आपके और मात्रभूमि के लिए कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि वह सभी राजनेताओं और सियासी दलों की ओर शांति का हाथ बढ़ाएंगे।
उन्होंने कहा कि यह निर्णय आगामी दिनों में श्रीलंका की भलाई के लिए जायेगा। राष्ट्रपति ने खुद का बचाव करते हुए कहा कि इस राजनीतिक उथल पुथल में उनका कोई योगदान नहीं है। उन्होंने कहा कि यह राजनीतिक हालात रानिल विक्रमसिंघे ने अपने निर्णयों और नीतियों से बनाये हैं लेकिन हम उन्हें सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम देश का संरक्षण करेंगे।
विवादित सरकार के खिलाफ सांसदों का विरोध
शुक्रवार को श्रीलंका की संसद के 122 सांसदों ने पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजक्षे को अदालत में चुनौती दी थी। श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना ने नाटकीय अंदाज़ में प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को पद से बर्खास्त कर पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री पद की कमान सौंप दी थी। राष्ट्रपति ने संसद को भी भंग कर दिया था, श्रीलंका में सरकार का कार्यकाल 20 माह में समाप्त होना था और चुनाव की तारीखों का ऐलान किया जाना था।
225 सदस्य सीट वाली संसद में दो दफा विवादित प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था हालांकि इस प्रस्ताव को उनके समर्थको ने नकार दिया था। संसद के स्पीकर ने ध्वनिमत के आधार पर राजपक्षे के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को मंज़ूर करने की बात कही थी।
तमिलों का समर्थन
रानिल विक्रमसिंघे की यूएनपी के समक्ष सदन में 106 सीटें हैं जबकि महिंदा राजपक्षे और मैत्रिपाला सिरिसेना के गठबंधन के लिए समक्ष महज 95 सीट है। श्रीलंका के दोनों विरोध दल सत्ता में बने रहने के लिए सभी पैंतरे आजमा रहे हैं। हाल ही में श्रीलंका के सबसे बड़े संजातीय समूह ने तमिलों के गठबंधन ने रानिल विक्रमसिंघे को अपना समर्थन दिया है। इस गठबंधन के समक्ष 14 सीटें हैं जो विक्रमसिंघे का संसद में बहुमत साबित करती है।
दोबारा रानिल को प्रधानमन्त्री नहीं बनाऊंगा- राष्ट्रपति
गौरतलब हैं कि श्रीलंका के इस राजनीतिक संकट का अंत करने के लिए विवादित प्रधानमन्त्री राजपक्षे ने देश में नए सिरे से संसदीय चुनाव कराने की मांग की है। श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना ने कहा कि वह दोबारा बर्खास्त प्रधानमन्त्री रानिल विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री के पद पर नहीं आसीन करेंगे। उन्होंने कहा था कि यदि रानिल विक्रमसिंघे के दल के समक्ष बहुमत है, फिर भी मैं उनसे मेरे रहते हुए प्रधानमन्त्री पद पर नहीं बैठने दूंगा, मैं विक्रमसिंघे को प्रधामंत्री पद पर नहीं स्वीकार करूँगा।