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    उपभोक्ता व्यवहार Consumer behaviour in hindi

    विषय-सूचि

    उपभोक्ता व्यवहार सिद्धांत क्या है? (theory of consumer behaviour in hindi)

    उपभोक्ता व्यवहार का लक्ष्य यह विश्लेषण करना है की एक उपभोक्ता अधिकतम संतुष्टि पाने के लिए अपनी आय को विभिन्न उपयोगों के लिए आवंटित करता है। इस सिद्धांत के अंतर्गत विभिन्न वस्तुओं की मांग एवं विभिन्न उपयोगों में आय के आवंटन के बारे में मुख्य रूप से विश्लेषण किया जाता है।

    उपभोक्ता सिद्धांत का विश्लेषण करने के लिए हमें पहले इसकी जांच करनी होती है की उपभोक्ता चीज़ों को किस प्रकार वरीयता देता है एवं हमें उनके द्वारा उपभोग की गयी वस्तुओं द्वारा उनको मिली संतुष्टि को जांचना होता है।

    उपयोगिता क्या है? (what is utility)

    अर्थशास्त्र में उपयोगिता शब्द का अभिप्राय किसी पदार्थ के उपभोग से मिलने वाली संतुष्टि से है। अर्थात उपयोगिता किसी वस्तु की वह शक्ति है जो किसी व्यक्ति की आवश्यकता को पूरा करती है।

    समग्र उपयोगिता क्या होती है ?

    किसी भी दी गयी वस्तु की सभी इकाइयों के उपभोग से मिली कुल संतुष्टि को ही समग्र उपयोगिता कहा जाता है। इसे TU से सूचित किया जाता है।

    TU = MU1 + MU2 + MU3 + … MUn

    सीमान्त उपयोगिता क्या होती है?

    किसी वस्तु की एक और इकाई का उपभोग करने से मिलने वाली संतुष्टि को सीमान्त उपयोगिता कहा जाता है। इसे MU से सूचित किया जाता है।

    MU = TUn – TUn-1

    उपभोक्ताओं जब वस्तुओं एवं सेवाओं का जब उपभोग करते हैं तो उससे उन्हें संतुष्टि मिलती है। इस संतुष्टि को मापने के दो तरीके होते हैं :

    1. गणनावाचक उपयोगिता दृष्टिकोण (cardinal measurement of utility)
    2. क्रमवाचक उपयोगिता दृष्टिकोण (ordinal measurement of utility)

    1. गणनावाचक उपयोगिता (cardinal measurement of utility)

    इस तरीके को सीमान्त उपयोगिता विश्लेषण भी कहा जाता है। इसके अंतर्गत उपयोगिता को अंकों में मापा जा सकता है एवं इस इकाई को युटिल नाम दिया गया है।  इसके अंतर्गत जो वस्तुएं ग्राहक को ज्यादा संतुष्टि देंगी उन्हें ज्यादा युटिल दिए जाते हैं।

    सीमांत उपयोगिता क्षीणता का नियम:

    इस नियम के अन्तरगत यदि एक उपभोक्ता किसी वस्तु की ज्यादा उपभोग करता है तो उसे पहले हर इकाई पर ज्यादा संतुष्टि मिलती है लेकिन जैसे वह ज्यादा इकाइयों का उपभोग करने लगता है वैसे उसे हर इकाई के साथ संतुष्टि कम होती जाती है।

    ऊपर दी गयी सारणी में जैसा की आप देख सकते हैं यहाँ जब संतरे की एक इकाई का उपभोग किया गया तो अधिकतम संतुष्टि मिली लेकिन आगे इकाइयों के साथ संतुष्टि कम होना शुरू हो गयी। यहाँ तक की यह रिनात्मक भी हो गयी।

    ऊपर दिए गए चित्र में जैसा की आप देख सकते हैं :

    • पहली इकाई का उपभोग करने पर अधिकतम संतुष्टि मिली जिससे MU ओने अधिकतम स्तर पर था। TU ऊपर की और बढ़ रहा है।
    • इसके बाद MU हर इकाई के साथ कम होने लगा लेकिन यह धनात्मक रहा जिससे TU घटते दर से ऊपर की और बढ़ रहा है।
    • इसके बाद MU शून्य हो गया जब TU अपने अधिकतम स्तर पर पहुंचा था।
    • शून्य के बाद MU रिनात्मक हो गया जिससे TU नीचे गिरने लगा।

    2. क्रमवाचक उपयोगिता (ordinal measurement of utility)

    उपयोगिता को मापने के इस तरीके को अनधिमान वक्र विश्लेषण भी कहा जाता है। इसके अनुसार संतुष्टि को संख्याओं में नहीं मापा जा सकता है। इसके अंतर्गत जो वस्तुएं ज्यादा संतुष्टि प्रदान करती हैं उनको बड़ी रैंक दी जाती है। इसके अंतर्गत उपभोक्ता अपनी आय किन्हीं दो वस्तुओं के उपभोग में व्यय करता है। वह कोशिश करता है की इन दोनों वस्तुओं का ऐसा बंडल चुने जिसमे अधिकतम संतुष्टि मिले।

    अनधिमान वक्र क्या होता है ?

    ऐसे ही कुछ बंडल होते हैं जिनके उपभोग से समान संतुष्टि मिलती है। इन बंडलों को रेखाचित्र पर दर्शाने पर जो वक्र बनता है वह अनाधिमान वक्र कहलाता है।

    दिए गए वक्र में जैसा की आप देख सकते हैं यहाँ 3 विभिन्न बंडल दे रखे हैं। ये तीनों बंडल उपभोक्ता को समान स्तर की संतुष्टि देते हैं।

    इन बंडल में से ग्राहक को ऐसा बंडल चुनना होता है जो उसको अधिकतम संतुष्टि दे सके एवं उसके बजट एवं आय के अनुकूल हो। ऐसा करने के लिए बजट रेखा बनायी जाती है। 

    जैसा की आप देख सकते हैं की एक ग्राहक को यदि अधिकतम संतुष्टि वाला बंडल चुनना है टी उसे बजट लाइन बनानी होगी जो बताती है की अपनी आय से ग्राहक कोण कोण से बंडल खरीद सकता है। जब अनधिमान वक्र एवं बजट रेखा सबसे बड़े बंडल पर आपस में काटती हैं वाही अधिकतम संतुष्टि वाला बंडल होता है।

    इस लेख से सम्बंधित यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

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    By विकास सिंह

    विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

    One thought on “उपभोक्ता व्यवहार का सिद्धांत : परिभाषा, अर्थ, विशेषता, सूत्र एवं उदाहरण”

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