अल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा लिखे गए पत्रों की नीलामी करीब 2.9 मिलियन डॉलर में हुई है, बीबीसी नें इस बात की जानकारी दी। इस नीलामी में ईश्वर पर लिखे गए अल्बर्ट आइंस्टीन के पत्र की कीमत 1.5 मिलियन डॉलर बताई जा रही है।
74 वर्षीय नोबेल विजेता वैज्ञानिक ने अपने किसी काम के सिलसिले में जर्मन फिलोस्फेर एरिक गुत्किंद को 3 जनवरी 1954 को डेढ़ पन्नों का पत्र लिखा था। एरिक ने अपनी पुस्तक ‘चूज लाइफ: द बिबिकल कॉल तो रिवोल्ट’ की प्रति अल्बर्ट आइंस्टीन को भेजी थी।
सूत्रों के मुताबिक इस चिट्ठी में विज्ञान और धर्म की बहस है। ख़बरों के मुताबिक उन्होंने यह पत्र अपनी मृत्यु से एक वर्ष पूर्व लिखा था, इसमें धर्म और फिलोसफी पर अपने पूर्ण विचार पेश किये थे। अल्बर्ट आइंस्टीन ने इस पत्र में ईश्वर पर लिखा कि ‘ मेरे लिहाज से ईश्वर का अर्थ मानव कमजोरी के भाव और फल है’। ‘बाइबिल सम्मानितों का संग्रह है लेकिन प्राचीन दिव्य चरित्रों की गाथा है’। ‘दिव्य चरित्र बचकाना हर्कत्न के बढ़कर नहीं है’।
उन्होंने कहा कि कोई व्याख्या, कोई सूक्ष्म मेटे जीवन में कोई परिवर्तन नहीं ला सकता है। अल्बर्ट आइंस्टीन जर्मन के पैदा हुए एक यहूदी धर्म से ताल्लुक रखते थे, यहूदियों से मोहब्बत और पहचान को वह स्वीकार करते थे। लेकिन उनका मानना था कि अन्य धर्मों की तरह यहूदी धर्म में भी भरसक अन्धविश्वास है।
विशेषज्ञ पीटर क्लार्नेट ने बताया की अल्बर्ट आइंस्टीन का यह पत्र धर्म और विज्ञान के बहस को परिभाषित करता है। उन्होंने कहा कि अल्बर्ट आइंस्टीन के पात्र और दस्तावेज समय समय पर नीलामी के लिए रखे जाते हैं , उसके लिए ऐसे पत्रको की कतई आवश्यकता नहीं है।
अल्बर्ट आइंस्टीन ने साल 1939 में अमेरिका के राष्ट्रपति फ्रेंक्लिन रोस्स्वेल्ट को एक पत्र लिखा था। इस चिट्ठी में खतरनाक परमाणु बम तकनीक थी। इस चिट्ठी को 2 मिलियन डॉलर में बेचा गया था।