समय रहते तेल आपूर्ति कि कमी से निपटने के लिए भारत की बड़ी तेल कंपनियां जैसे आईओसी आदि ने अपने तेल खरीद अनुबंध के तहत सऊदी अरब व इराक जैसे देशों से अतिरिक्त तेल खरीदने के विकल्प को पहले से ही स्थापित कर रखा है।
अमेरिकी प्रतिबंध के बाद मुमकिन है कि भारत ईरान से तेल की खरीद ना करे, ऐसे में देश में कच्चे तेल की कमी उत्पन्न हो जाना लाज़मी है, लेकिन ऐसी ही परिस्थितियों से निपटने के लिए देश की सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों ने ईरान और सऊदी अरब के साथ अतिरिक्त तेल खरीद के प्रतिबंध पर पहले ही हस्ताक्षर कर रखे हैं।
देश ने ईरान के साथ 2018-19 के वित्तीय वर्ष के लिए करीब 250 लाख टन कच्चे तेल की खरीद का अनुबंध कर रखा है, लेकिन ईरान पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से अब देश को तेल आपूर्ति के पुख्ता विकल्प की खोज करनी पड़ रही है।
ज्ञात हो कि देश ने वित्तीय वर्ष 2017-2018 में ईरान से 226 लाख टन कच्चे तेल की खरीद की थी।
तेल कंपनी से संबन्धित एक अधिकारी ने मीडिया को बताते हुए कहा है कि “हमने अपने आपूर्तिकर्ताओं से वैकल्पिक मात्रा में भी तेल आयात करने के विकल्प को सुरक्षित रखा है, इससे हमें अपनी जरूरत का पूरा तेल मिल जाएगा। ऐसे में ईरान पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से देश में तेल की आपूर्ति प्रभावित नहीं हो पाएगी।”
भारत विश्व में तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है, जो अपनी जरूरत का करीब 80 प्रतिशत तेल आयात करता है। इसी क्रम में ईरान भारत के लिए तीसरा सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश है।
हालाँकि काफी हद तक मुमकिन है कि ईरान पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद देश कुछ समय तक ईरान से तेल आयात करता रहे। इसके लिए संबन्धित मंत्रालय व तेल कंपनियों के बीच एक बैठक पहले ही हो चुकी है।