अमेरिका की सरकार ईरान पर अतिरिक्त प्रतिबंधों को थोपने पर विचार कर रही है। यह प्रतिबन्ध ईरान की शेष आर्थिक स्थिति को भी बिगाड़ देंगे।
रायटर्स के मुताबिक डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारीयों ने पत्रकारों से कहा कि “ऐसे आर्थिक प्रतिबन्ध पहले कभी नहीं लगाए गए होंगे।”
अधिकारी ने कहा कि “ईरान के साथ हुई साल 2015 में परमाणु संधि को अमेरिका ने मई, 2018 में तोड़ दिया था और प्रशासन नए प्रतिबंधों को संधि तोड़ने सालगिरह के करीब लागू करने पर विचार कर रहा है। हम बस शीतलता का प्रभाव जारी रखना चाहते हैं। ईरान से साथ कारोबार को जारी रखना इस वक्त बेहद भयावह विचार होगा।”
डोनाल्ड ट्रम्प ने बीते माह ऐलान किया था कि “अमेरिका साल 2015 में हुई अंतर्राष्ट्रीय परमाणु संधि से बाहर हो रहा है और उन्होंने वापस ईरान पर दोबारा कठोर प्रतिबन्ध लगाने के आदेश दिए थे।” इस संधि का मकसद तेहरान के परमाणु हथियारों पर प्रतिबन्ध लगाना था।
इस संधि में ब्रिटेन, फ्रांस, अमेरिका, जर्मनी, रूस, चीन और ईरान शामिल था ताकि ईरान को परमाणु बम बनाने से रोका जा सके। इस बड़े अमेरिका ने ईरान पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों को हटा दिया था।
अधिकारी ने बताया कि “ट्रम्प प्रशासन द्वारा आगामी सप्ताह में अतिरिक्त कार्रवाई करने की उम्मीद है। यह संधि तोड़ने की सालगिरह के दैरान हो सकता है। हालाँकि एक साथ प्रतिबंधों को लगाने में कुछ समय लग सकता है और ट्रेज़री डिपार्टमेंट इसके बाबत कार्य में जुटा हुआ है।”
अमेरिका ने ईरान से तेल खरीदने वालो को कड़ी चेतावनी दे रखी थी लेकिन आठ तेल खरीददारों को छह माह की रियायत बरती थी। इसमें भारत भी शामिल था। अधिकारी ने कहा कि “अमेरिका के समक्ष रियायत छीनने का का भी हक़ है और इस पर कार्य हो रहा है।”
रियायत वाले देशों की संख्या कम करने से ईरान से तेल का निर्यात भी काफी कम हो जायेगा। ईरानी तेल के निर्यात का अमेरिका ने शून्य लक्ष्य तय किया था और इसमें कोई बदलाव नहीं आया हैं। ऐसे परिवर्तन को अमेरिका का घरेलू तेल उत्पादन मदद करेगा।
रियायत लिए बैठे देशों की समयसीमा मई को समाप्त हो रही है। ईरान से प्रतिदिन तेल का निर्यात 11 लाख बैरल होता है। रियायत के आठ देशों की फेरहिस्त में से इटली, ताइवान और ग्रीस का नाम हटाया जा सकता है।
पहले से लगे प्रतिबंधों से परेशान है ईरान
ईरान नें हालाँकि बार-बार पहले ही कहा है कि अमेरिका द्वारा पिछले साल लगाए गए प्रतिबंधों से उनकी अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर पड़ा है। राष्ट्रपति हसन रूहानी नें अमेरिका के प्रतिबंधों को आर्थिक आतंकवाद की तरह बताया था।
हाल के समय में ईरान तेज बाढ़ का शिकार हुआ है। रायटर्स के मुताबिक इस बाढ़ में अब तक 45 लोगों की मौत हो चुकी है।
अब हालाँकि ईरान नें कहा है कि इस बाढ़ से अधिक क्षति अमेरिका के प्रतिबंधों की वजह से हुई है।
ईरान के विदेश मंत्री जावेद ज़रीफ़ नें कहा है कि अमेरिका के प्रतिबन्ध की वजह से ईरान इस समस्या को हल करने का उपाय नहीं निकाल पा रहा है।
.@realDonaldTrump ‘s "maximum pressure"—flouting UNSC Res 2231 & ICJ ruling—is impeding aid efforts by #IranianRedCrescent to all communities devastated by unprecedented floods. Blocked equipment includes relief choppers: This isn't just economic warfare; it's economic TERRORISM. pic.twitter.com/EEKTMiXLEi
— Javad Zarif (@JZarif) April 1, 2019
कल रात ईरानी विदेश मंत्री नें ट्वीट कर कहा कि डोनाल्ड ट्रम्प नें गमभीर प्रतिबन्ध लगाये हैं, जिसकी वजह से सहायता नहीं पहुँच पा रही है। उन्होनें कहा कि ये आर्थिक प्रतिबन्ध, आर्थिक आतंकवाद है।
अमेरिका अब हालाँकि पहले से गंभीर प्रतिबन्ध लगाने की सोच रहा है और ईरान के तेल व्यापार को समाप्त करने की योजना बना रहा है।