ईरानी विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को जोर देते हुए कहा कि मौजूदा समय में उन्हें अमेरिका के साथ मध्यस्थता की कोई जरुरत नहीं है। वह वांशिगटन के साथ सैन्य संघर्ष के अवसरों को कम करना चाहते हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्बास मौसवी ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि “ईरान को कोई तनाव या संघर्ष की संभावनाएं महसूस नहीं होती है।”
उन्होंने कहा कि “चिंताओं का सृजन अन्य लोग करते हैं। हमें मौजूदा वक्त में किसी मध्यस्थता पर यकीन नहीं है।” अमेरिका ने मध्य पूर्व में अपनी सेना में वृद्धि की है इसलिए ईरान के साथ गतिरोध भी जारी है। अमेरिका ने पर्शियन गल्फ में एक युद्धपोत और एक बी-52 बमवर्षक की तैनाती को मंज़ूरी दी थी।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने साल 2015 में ईरान और वैश्विक ताकतों के साथ हुई परमं संधि से अमेरिका को बाहर निकाल लिया था और इसके बाद ईरान पर सभी प्रतिबंधों को वापस थोप दिया था। ईरान ने इस माह की शुरुआत में परमाणु संधि की कुछ प्रतिबद्धताओं का पालन नहीं करने का निर्णय लिया था।
इसके साथ ही ईरान ने वैश्विक ताकतों को एक अल्टीमेटम भी जारी किया था कि अगर वह ईरान को प्रतिबंधों से निजात न दिला पाए तो वह वापस परमणु कार्यक्रम की शुरुआत कर सकते हैं।
प्रवक्ता ने चेतावनी दी कि “अगर तेहरान को प्रतिबंधों से निजात का प्रस्ताव नहीं दिया गया तो वह परमाणु संधि के कई महत्वपूर्ण भागो का पालन करने में असमर्थ हो जायेगा। अमेरिका और ईरान के बीच हालात बिगड़ते जा रहे हैं और जापान व स्विट्ज़रलैंड जैसे देशों ने मध्यस्थता का प्रस्ताव दिया है।
तेहरान ने आग्रह किया कि वह अभी अमेरिका की सरकार के साथ सीधे तौर पर बातचीत का कोई आयोजन नहीं रखेंगे जबकि ट्रम्प ने कहा था कि अगर ईरान वार्ता को तैयार है तो वांशिगटन बातचीत करना पसंद करेगा। मौसवी ने कहा कि “ईरान ने मध्यस्थता का प्रस्ताव देने वाले देशों का विचारो को सुना है लेकिन हालिया हफ्तों की कूटनीतिक यात्राओं में कोई विशेष सन्देश उन्हें नहीं मिला है।”