अमेरिका द्वारा ईरान की इलीट रेवोलुशनरी गार्ड्स को आतंकी संगठन करार देने पर सऊदी अरब ने अमेरिका के इस निर्णय का स्वागत किया है। सऊदी विदेश मंत्रालय के हवाले से स्थानीय न्यूज़ एजेंसी ने लिखा कि “अमेरिका के निर्णय ने सऊदी अरब की अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से लम्बे समय से जारी मांग का पालन किया है जो ईरानी समर्थित आतंकवाद का मामला था।”
सूत्र ने अमेरिका के कदम का स्वागत किया और कहा कि यह व्यवहारिक और गंभीर कदम है। वांशिगटन के सोमवार को निर्णय के तहत अमेरिका ने पहली बार किसी अन्य देश की सेना को विदेशी आतंकी संगठन करार दिया है, इसका मतलब अगर कोई भी ईरान की सेना के साथ सौदेबाजी करता है तो उसे अमेरिका में जेल हो सकती है।
ईरान की सेना में 125000 सैनिक है जो देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। तेहरान ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिका की सेना को मध्य एशिया में आतंकी संगठन करार दे दिया है। अमेरिका के सैनिक मध्य एशिया के अफ्रीका से अफगानिस्तान तक कई देशों में तैनात है।
सुन्नी बहुल सऊदी अरब और शिया बहुल ईरान के बीच लम्बे अंतराल से दुश्मनी का दौर जारी है जो भूरणनीतिक हितो और धार्मिक अंतरों पर आधारित है। कच्चे तेल के दो विशाल उत्पादनकर्ता दशकों से मध्य एशिया में जारी जंग में एक-दुसरे के परस्पर विरोधी पक्षों का चयन करते हैं।
रियाद ने साल 2016 में तेहरान के साथ अपने कूटनीतिक संबंधों को तोड़ दिया था क्योंकि ईरान के प्रदर्शनकारियों ने शिया काजी को फांसी पर चढाने को लेकर तेहरान में स्थित दूतावास के बाहर प्रदर्शन किया था। डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन के सऊदी अरब के साथ काफी नजदीकी सम्बन्ध है।
सऊदी अरब की सेना का यमन में हमलो से सैंकड़ो की संख्या में नागरिकों की मौत और तुर्की में सऊदी के दूतावास में पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या पर भी अमेरिका ने सऊदी अरब का समर्थन किया था।