अमेरिका ने ईरानी तेल खरीदने की रिआयत वाले देशों की को झटका देने का ऐलान सोमवार को कर देगा। अमेरिका ने बीते वर्ष प्रतिबंधों के बावजूद भारत समेत आठ देशों को ईरान से छह माह तक तेल खरीदने की रिआयत दी थी। इसका मतलब या तो देश ईरान से तेल निर्यात पूरी तरह से खत्म कर दे या अमेरिकी प्रतिबंधों मार झेले।
रिपोर्ट के अनुसार, वह इन देशों को ईरान से तेल आयात पूरी तरह बंद करने को कहेंगे या फिर अमेरिकी प्रतिबंध के लिए तैयार हो जाने की चेतावनी देंगे।
विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने वाशिंगट पोस्ट को रविवार को बताया कि अमेरिका दो मई के बाद किसी भी देश को ईरान से तेल आयात करने की कोई छूट नहीं देगा
पिछले साल नवंबर में विदेश विभाग ने आठ देशों को ईरान से तेल आयात के बदले अन्य विकल्प तलाशने के लिए 180 दिनों की छूट दी थी।
रिआयत का अंत
अमेरिका के राज्य सचिव माइक पोम्पिओ सोमवार को ऐलान करेंगे कि “2 मई से अमेरिकी राज्य विभाग मौजूदा समय में ईरान से तेल खरीदने वाले देशों को रिआयत देने के मूड में नहीं है।” बीते वर्ष नवंबर में राज्य विभाग ने आठ देशों को 180 दिनों की मोहलत दी थी ताकि वैकल्पिक स्त्रोतों को खोजा जा सके।
अमेरिका के राष्ट्रपति ईरान पर परमाणु कार्यक्रम को खत्म करने और मध्य एशिया में चरमपंथियों के समर्थन को रोकने के लिए अधिक दबाव डालना चाहते हैं। आठ देशों में से तीन ग्रीस, इटली और ताइवान ने पहले ही ईरान से तेल निर्यात घटाकर शून्य कर दिया है।
ईरान के तेल के सबसे बड़े उपभोक्ता चीन और भारत है। अगर यह दोनों देश ट्रम्प की मांगो की अवहेलना करते हैं तो इसका असर द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ सकता है। दक्षिण कोरिया और जापान पहले से ही ईरान के तेल पर कम निर्भर थे। इस कदम का प्रभाव वैश्विक तेल बाज़ार पर भी होगा।
तेल का संकट
बीते गुरूवार को डोनाल्ड ट्रम्प ने इस मसले पर संयुक्त अरब अमीरात के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन ज़ायेद अल नाह्यान से चर्चा की थी। अमेरिकी राज्य विभाग के आला अधिकारी ने बताया कि “ईरानी तेल को शून्य करने की नीति सचिव पोम्पिओ की उपज है। उन्होंने राष्ट्रपति के साथ मिलकर इस पॉलिसी को सख्त बना दिया है। शर्तों के मुताबिक अब किसी देश को रिआयत नहीं दी जाएगी, अब हम शून्य आयात का ऐलान कर सकते है।”
डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि “मैं ईरानी सरकार को बातचीत के लिए वापस लाना चाहता हूँ और पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा दस्तखत किये गए समझौते से बेहतर डील करना चाहता हूँ।” हालाँकि ईरान ने ट्रम्प के आदेशों को नकार दिया और कहा कि “उनका ऐसा करने का कोई इरादा नहीं है।”
अमेरिकी राज्य विभाग ने कहा कि “इस नीति का मकसद ईरान के विघातक व्यवहार की कीमत को बताना है और उनके कार्यकाल में सुरक्षा और शान्ति पर मंडरा रहे व्यापक खतरों का अधिक सख्ती से खुलासा करना है।”