भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा रविवार को यूनाइटेड किंगडम के लिए दो छोटे पृथ्वी अवलोकन उपग्रह (एर्थ ऑब्जरवेशन सॅटॅलाइट) को प्रक्षेपित किए जाएँगे। नोवासर और एस 1-4, इन दो उपग्रहों का कुल 889 किलोग्राम वजन हैं। रविवार सुबह 10:00 बजे सतीश धवन सेंटर, श्रीहरिकोटा से इन उपग्रहों को प्रक्षेपित किया जाएगा। इन उपग्रहों को जमीनी सतह से 583 किलोमीटर की ऊँचाई पर सूर्य-समक्रमिक कक्षा में स्थापित किया जाएगा।
सूर्य-समक्रमिक उपग्रह(सन सिंक्रनाइज़्ड सॅटॅलाइट) का मतलब, जब एक उपग्रह सालभर अपनी जगह को बदलता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके, कि सूर्य की रोशनी का कोण पृथ्वी के सतह पर किसी विशेष भौगोलिक क्षेत्र से गुज़रने पर समान होता है।
पहला उपग्रह, एस 1-4, यह 444 किलोग्राम वजन वाला एक हाई रिज़ॉल्यूशन ऑप्टिकल एर्थ ऑब्जरवेशन सॅटॅलाइट है। यह ब्रिटेन की आपदा निगरानी क्षमताओं में सुधार करेगा। इसका उपयोग पर्यावरण और संसाधनों की निगरानी के लिए भी किया जाएगा
445 किलोग्राम वजन वाले नोवासर में सिंथेटिक एपर्चर रडार है, जिसका उपयोग पृथ्वी की सतह के मानचित्रण के लिए किया जा सकता है। और इसका उपयोग जंगलों, जमीन और बर्फ के कवर का निरिक्षण करने के लिए किया जाएगा। यह बाढ़ की निगरानी में भी मदद करेगा। इसका उपयोग पर्यावरण की निगरानी, संसाधनों और शहरी प्रबंधन का सर्वेक्षण, और आपदा निगरानी के लिए किया जाएगा।
उपग्रहों को भारत के पोलार वेहिकल (पीएसएलवी – सी 42) की मदत से अपनी निर्धारित कक्षा में प्रस्थापित किया जाएगा। पोलार सॅटॅलाइट लांच वेहिकल ने 25 वर्षों की अवधि में 52 भारतीय और 237 वाणिज्यिक अंतर्राष्ट्रीय उपग्रहों को अपनी कक्षा में प्रक्षेपित किया है। इस मिशन में पीएसएलवी की सबसे हल्की कोर-कॉन्फ़िगरेशन का उपयोग किया जाएगा।
यह इसरो के एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड के तहत एक वाणिज्यिक मिशन है। यह मिशन भारत के क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह शृंखला में सातवे उपग्रह को प्रक्षेपित किए जाने के बाद, पांच महीने के अंतराल के बाद लिया गया है।