Wed. May 8th, 2024

    जम्मू कश्मीर के मुख्य चुनाव आयुक्त शालीन काबरा ने शनिवार को राज्य में नगर निगम और पंचायत के लिए चुनावों के तारीखों की घोषणा की। राज्य की मुख्य पार्टियाँ नेशनल कांफ्रेंस और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी(पीडीपी) द्वारा इस चुनाव में हिस्सा न लेने की घोषणा पहले ही की जा चुकी हैं, लेकिन चुनाव आयुक्त और केंद्र सरकार पर इस बहिष्कार का कोई असर नहीं हो पाया हैं।

    राज्य चुनाव आयुक्त काबरा ने कहा, “नगरपालिकाओं के लिए मतदान चार चरणों में कराये जाएँगे। , मतदान 8,10,13,16 अक्टूबर को कराए जाएँगे।”

    “इससे पहले मतदान पर बहिष्कार किए जाने की वजह से कई नगरपालिका निगमों और स्थानिक संस्थाओं में सदस्य चुनकर नहीं जा पाएं हैं, जिसकी वजह से राज्य में आतंकवादी गतिविधियों और आम नागरिकों को हो रही परेशानी में इजाफा हुआ हैं। नगरपालिका निगम के लिए चुनाव कराए जाने के बाद नवम्बर में पंचायत के लिए चुनाव कराए जाएँगे।”

    “दो महानगरपालिका, तीन म्युनिसिपल कौंसिल और 72 म्युनिसिपल कमिटीज के लिए चुनाव 8 से 16 अक्टूबर के बीच कराए जाएँगे। इससे पहले चुनाव 2005 में कराए गए थे, जिनका कार्यकाल पांच साल बाद 2010 में समाप्त हो चूका हैं। कार्यकाल समाप्त होने के बाद अब आठ साल बीत चुके हैं।”

    चुनाव आयुक्त काबरा ने कहा, “1,145 वार्डों में से 90 वार्डों को अनुसूचित जाती के उम्मीदवारों के लिए और  38 वार्डों को अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित किया गया हैं। 31 वार्ड अनुसूचित जातियों के महिला उम्मीदवारों के लिए और 12 वार्ड अनुसूचित जनजाति की महिला उम्मीदवारों के लिए आरक्षित किआ गया हैं। 322 वार्डों को महिलाओं के लिए आरक्षित किया जा चूका हैं।”

    “इस चुनाव में इवीएम मशीनों का इस्तेमाल किया जाएगा। कश्मीर से बाहर रह रहे कश्मीरी नागरिक पोस्टल बैलट के जरिए मतदान कर सकते हैं”

    राज्य चुनाव आयोग के इस फैसले को नातिओंला कांफ्रेंस और पीडीपी के नेताओं ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया। पीडीपी के प्रवक्ता रफ़ी मीर ने कहा, “यह एक दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय हैं। हमें लगता था की राज्यपाल सत्यपाल मालिक चुनाव घोषित करने से पहले ऑल पार्टी मीटिंग बुलाएंगे और उसके बाद घोषणा करेंगे। हम पार्टी के फैसले के साथ हैं, हम इस साल चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगे।”

    नेशनल कांफ्रेंस के जनरल सिक्रेट अली मुहम्मद सागर ने कहा, “चुनाव की घोषणा करने से पूर्व किसी से भी राय नहीं ली गयी यह बात दुर्भाग्यवश हैं। ऐसे चुनावोंका कोई मतलब नहीं होता हैं। शुक्रवार को जम्मू में तीन आतंकवादी मारे गए और एक नागरिक की भी मौत हुयी, ऐसी परिस्थिति में केंद्र सरकार चुनाव कराना चाहती हैं। और केंद्र सरकार इस चुनाव से क्या सन्देश देना चाहती हैं?”

    By प्रशांत पंद्री

    प्रशांत, पुणे विश्वविद्यालय में बीबीए(कंप्यूटर एप्लीकेशन्स) के तृतीय वर्ष के छात्र हैं। वे अन्तर्राष्ट्रीय राजनीती, रक्षा और प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज में रूचि रखते हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *