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    इराक में फैले आईएस

    सीरिया में इस्लामिक संगठन आईएसआईएस के आतंकियों के खात्मे के दावे किये जा रहे हैं। वहीँ आतंकी समूह पड़ोसी मुल्क इराक में अपनी पैंठ मज़बूत कर रहे हैं। जुलाई 2017 में इराक के प्रधानमंत्री हैदर अल आबादी ने मोसूल की राजधानी में नौ माह के संघर्ष के बाद जीत का ऐलान किया था। इसके पांच माह बाद प्रधानमंत्री ने तीन सालों के युद्ध अंत करते हुए आईएस को परास्त करना का ऐलान किया था।

    सुरक्षा विभागों के अनुसार जिहादियों के स्लीपर सेल बगदाद के पर्वतीय और रेतीले क्षेत्रों में हमेशा से रहे हैं और अभी भी सीरिया की सेना की पंहुच से बाहर है। यह अधिकतर ग्रामीण सुन्नी बहुल क्षेत्रों में रहते हैं जैसे सलाहुद्दीन, किरकुक, अंबर, दियाला और निनेवेह मौसूल का घर है।

    जिहादी निरंतर नागरिकों और मिलिट्री को निशाना बनाते हुए रक्तपात हमला करते हैं। इराकी जनरल नज्म अल जुबरी ने कहा कि “प्रत्येक दिन स्लीपर सेल के खिलाफ अभियान शुरू किया जाता है। लड़ाई के दौरान मारे गए जिहादियों की सूची नियमित रूप से इराकी सेना जारी करती है। मोसुल को अहथियाने के बाद 2500 आतंकियों को गिरफ्तार किया गया है।

    इराकी फ़ेडरल पुलिस के जनरल सकेर कविन के कहा कि “आतंकियों ने पुलिस के खिलाफ कई मौकों पर 55 बार बम से हमले किया थे और इससे इलेक्ट्रिसिटी इंफ्रास्ट्रक्चर तबाह हो गया था।”

    अमेरिकी समर्थित कुर्दिश सीरियन फाॅर्स की आक्रमकता के कारण जिहादी पूर्वी सीरिया के आखिरी छोर पर खड़े है। शनिवारको कुर्दिश सेना ने अपनी जीत का दावा किया था।

    सुरक्षा सूत्र के मुताबिक विभाग 600 स्क्वायर किलोमीटर के दायरे को सुरक्षित रखने का प्रयास कर रही है। लड़ाकों के  पास काफी अधिक हथियार है। सीमा से सटे पर्वतीय और रेतीले रास्तों को पार करने के लिए वह वाहनों का इस्तेमाल करते हैं और यह इलाक़ा इराकी सेना की पंहुच से बाहर है।

    आईएसआईएस के अंतिम दिन

    साल 2003 में अमेरिका द्वारा इराक पर आक्रमण करने के बाद तानाशाह सद्दाम हुसैन, अल कायदा के जिहादियों और अन्य सुन्नी हथियार बंद समूहों ने सुरंगे खोदी थी। ऐसे क्षेत्र सुन्नी आदिवासियों के लिए पैतृक घर होते थे।

    दक्षिणपंथी समूह के मुताबिक इराक में आईएस जिहादियों की उपस्थिति 18 लाख लोगों को विस्थापित कर देगी। इनमे से कई उस क्षेत्र के आदिवासी समूह होंगे। एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक सालों से अपने घरों में हिंसा और संघर्ष देखते हुए आदवासी समुदाय के अधिकतर सदस्य शिविरों में रह रहे हैं और इनमे से अधिकतर ने हमले के भय से वापस घर जाने से इंकार कर दिया है।

    रिपोर्ट के अनुसार “वे अपने खुद के रिश्तेदारों पर भी भरोसा नहीं कर सकते है क्योंकि कई लोग विवादित संपत्ति मामले में आईएस को एक-दूसरे के खिलाफ भी इस्तेमाल करते हैं। वहां की महिलाओं का सुरक्षा बलों, शिविरों के प्रशासकों और स्थानीय अधिकारीयों द्वारा बलात्कार और यौन उत्पीड़न किया जाता है। बच्चे नहीं भूलते है कि उनकी माँ और परिवारों को अपमानित किया गया था। मानव अधिकार समूहों ने आईएस से जुड़े संदिग्धों की जल्द सुनवाई पर अपनी चिंता व्यक्त की है।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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