भारतीय दूरसंचार नियामक यानि ट्राई ने फ्री और ओपन इंटरनेट न्यूट्रैलिटी पर अपनी सिफारिशें दी है। ट्राई ने कहा है कि अब टेलिकॉम कंपनियों को बिना किसी भेदभाव के इंटरनेट एक्सेस उपलब्ध कराना होगा। आप को बता दें कि दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने नेट न्यूट्रैलिटी को समर्थन देते हुए टेलिकॉम आॅपरेटर्स के साथ इंटरनेट संंबंधी सेवाओं पर किसी तरह के भेदभाव को रोकने के लिए लाइसेंस शर्तों में संशोधन करने की सिफारिश की है।
ट्राई ने अपनी सिफारिशों में कहा है कि इंटरनेट एक्सेस सेवाओं के संबंध में ऐसी शर्तें निर्धारित की जानी चाहिए, जिससे टेलिकॉम कंपनियों के साथ भेदभाव नहीं हो सके। यही नहीं इससे कोई भी टैलिकॉम कंपनी अपनी नेट स्पीड घटा या बढ़ा नहीं सकेगी। ट्राई ने अपनी इस सिफारिश में ये भी कहा है कि टेलीकॉम कंपनियां करार करके नेट सेवाएं दें।
लाइसेंस एग्रीमेंट में संशोधन की भी सिफारिश करते हुए ट्राई ने कहा कि सर्विस प्रोवाइडर को बिना किसी भेदभाव के एक ही तरह का केंटट उपलब्ध करवाना चाहिए। नेट न्यूट्रैलिटी का यह सिद्धांत केवल सेंडर या रिसीवर, नेटवर्क प्रोटोकॉल या फिर यूजर्स इक्वीपमेंट्स के संबंध में अलग-अलग हो सकता है, लेकिन किसी कंपनी विशेष की नेट सेवाओं के लिए नहीं।
नेट न्यूट्रैलिटी संशोधन शर्तों के मुताबिक सर्विस प्रोवाइडर ऐसा कोई अनुबंध नहीं करेगा जिससे प्रेषक, रिसीवर, प्रोटोकॉल यहां तक कि यूजर्स इक्वीपमेंट्स प्रभावित हो। हांलाकि ट्राई ने अपने नियमों में दूरसंचार के अपने निजी कॉन्टेंट डिलीवरी नेटवर्क में संशोधन के जरिए छूट दी है।
ट्राई ने कहा
- इंटरनेट एक्सेस सेवाओं को बिना किसी भेदभाव के नियंत्रित किया जाना चाहिए।
- अब कोई भी टेलिकॉम कंपनी इंटरनेट स्पीड को कम या तेज नहीं कर सकेगी।
- इंटरनेट एक्सेस सेवाओं के शर्तों में यह संशोधन सेंडर, रिसीवर, नेटवर्क प्रोटोकॉल, यूजर्स इक्विपमेंट पर लागू होगा, ना कि विशेष सेवाओं के लिए।
- सर्विस प्रोवाइडर के ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा।