देश के सबसे बड़े अस्पताल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की तरफ से स्वतंत्रता दिवस पर देशवासियों को एक अमूल्य सौगात भेंट की गई है। अब एम्स में होने वाले 500 रूपये से कम के सभी टेस्ट मुफ्त होंगे। एम्स में अभी इस योजना पर काम चल रहा है और इसके जल्द ही लागू होने की उम्मीद है। अगले कुछ दिनों में यह प्रस्ताव स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजा जाएगा। एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि फिलहाल इस योजना पर काम चल रहा है। इसके लागू होने की सूरत में अस्पताल के प्राइवेट वार्डों की फीस में बढ़ोत्तरी की जाएगी। इस प्रस्ताव के लागू होने पर एम्स में ब्लड टेस्ट, यूरिन टेस्ट, शुगर टेस्ट, अल्ट्रासाउंड, ईसीजी और एक्स-रे जैसे कई टेस्टों के लिए मरीजों को अपनी जेब ढ़ीली नहीं करनी पड़ेगी।
अनुमानतः प्रतिदिन एम्स में प्रतिदिन 10,000 मरीज ऐसे आते हैं जो इन टेस्टों को करवाते हैं। वहीं लगभग 2,000 लोग ऐसे आते हैं जो अस्पताल में भर्ती होते हैं। एम्स हर साल इन टेस्टों, एडमिशन फीस और रजिस्ट्रेशन फीस से ही 101 करोड़ रूपये कमा लेता है। एम्स ने मरीजों को होने वाली परेशानियों का अध्ययन और उसका निवारण करने के लिए डॉक्टरों की 15 सदस्यीय कमेटी बनाई थी। इस कमेटी ने अपने अध्ययन में मरीजों के सुझाव और उनकी समस्याओं को शामिल किया था।
एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बताया कि अस्पताल में फिलहाल तकरीबन 226 प्राइवेट रूम है। मुफ्त टेस्ट के प्रस्ताव के लागू होने के बाद इस रकम की भरपाई के लिए इन प्राइवेट वार्डों की फीस में बढ़ोत्तरी करनी होगी। इससे प्राइवेट वार्डों में भर्ती होने वाले मरीजों और उनके परिजनों पर कोई अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा। बता दें कि किसी भी प्राइवेट अस्पताल में एक प्राइवेट रूम का चार्ज 5,000 से 10,000 रूपये तक है वहीं एम्स में आज भी यह सुविधा इन प्राइवेट अस्पतालों के मुकाबले काफी सस्ती है। ऐसे में अगर प्रति रूम चार्ज में 500 रूपये तक की भी बढ़ोत्तरी की जाती है तो यह मुफ्त टेस्टों की भरपाई करने के लिए पर्याप्त होगी और इससे मरीजों की जेब पर भी कोई खास असर नहीं पड़ेगा।