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    पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह

    वर्तमान में देश में चल रहे आरबीआई और केंद्र के बीच गर्मागर्मी के माहौल पर अब पूरे विश्व की नज़रें टिकी हुई है। दोनों को पक्षों की ओर से एक दूसरे के ऊपर बयानबाजी का सिलसिला चल रहा है।

    ऐसे में एक ओर वित्त मंत्रालय चाहता है कि आरबीआई अपनी नीतियों को थोड़ा लचीला बनाए, जबकि आरबीआई का कहना है कि वो देश की अर्थव्यवस्था के हित के चलते वह ऐसा नहीं कर सकती है।

    इसी बीच इस तल्खी को बड़ा मुद्दा बनकर विपक्ष केंद्र को घेरना चाहती है, लेकिन उसकी इस उम्मीदों को झटका लग सकता है और इसका कारण देश के पूर्व प्रधानमंत्री व कॉंग्रेस के बड़े नेता मनमोहन सिंह बनते हुए नज़र आ रहे हैं।

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    मनमोहन सिंह ने 2014 में अपनी बेटी की एक किताब में दिये अपने एक बयान में कहा था कि ‘वित्तमंत्री सबसे ऊपर होता है।” सिंह का यह बयान तब आरबीआई को ही संदर्भ में लेकर था।

    अब केंद्र मनमोहन सिंह के इस बयान का इस्तेमाल इन तल्खी के बीच अपने हथियार के रूप में करने से नहीं चूकेगी। मालूम हो कि 2019 के आम चुनाव को देखते हुए यह समय बेहद संवेदनशील माना जा रहा है।

    फिलहाल खबर आ रही है कि सरकार से तल्खी के चलते आरबीआई के गवर्नर 19 नवंबर को आरबीआई के बोर्ड की मीटिंग में अपने इस्तीफे का ऐलान कर सकते हैं

    गौरतलब है कि आरबीआई देश में एक स्वतंत्र संस्था है, ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा आरबीआई के गवर्नर और डिप्टी गवर्नर की नियुक्ति के अलावा आरबीआई के कामकाज से संबन्धित कोई भी अधिकार नहीं है।

    इसी संदर्भ में आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने हाल ही में अपने एक बयान में कहा है कि सरकार एक बार आरबीआई गवर्नर और डिप्टी गवर्नर की नियुक्ति कर देती है तो इसे इन्हे सुन्न भी चाहिए।

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