उर्जित पटेल के इस्तीफे को क्रेडिट नेगेटिव बताते हुए S&P वैश्विक रेटिंग ने कहा की RBI के कामकाज में सरकार का बढ़ता दखल पिछले कुछ वर्षों में RBI कि वजाह से बैंकिंग सेक्टर में आये ठोस सुधारों को कमज़ोर कर सकता है।
S&P का उर्जित पटेल के इस्तीफे पर बयान
रायटर्स के मुताबिक S&P ने उर्जित पटेल के इस्तीफे एवं RBI के कामकाज पर बयान देते हुए कहा की यह केंद्रीय बैंक के काम करने की आजादी में कोई भी भौतिक परिवर्तन की आशा नहीं रखता है।
अपने फैसले खुद लेने एवं अपनी नीतियां खुद बनाने के लिए ही एक केंद्रीय बैंक जाना जाता है लेकिन सरकार के बाहरी दबाव के चलते इसकी सवतनतर को क्न्हात्रा होता है एवं इससे देश की वित्तीय स्थिरता पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है। कुछ सालों में RBI ने अलग अलग सेक्टर्स में जो सुधार किये हैं उन्हें भी सरकार के दखल से खतरा है।
RBI का पपरिसंपत्ति परिपत्र
रिपोर्ट की माने तो 12 फरवरी 2018 के RBI के परिपत्र के बाद तनावग्रस्त परिसम्पतियों की मान्यता में काफी सुधार आया था। यह परिपत्र तत्कालीन गवर्नर उर्जित पटेल के होते हुए दिया गया था। इसमें उन्होंने सार्वजनिक बैंकों के पूंजीकरण के लिए आम तोर से ज्यादा करने की ज़रुरत है। ऐसा करने से सार्वजनिक बैंकों की पूँजी के स्टार में सुधार आएगा।
S&P के अनुसार सार्वजनिक बैंकों के मौलिक मुद्दों को देखते हुए संकटग्रस्त बैंकों पर पूंजीकरण के पुनर्निर्माण के लिए RBI का यह कदम एक दम उचित है। S&P ने यह भी कहा की नए दिवालियापन ढाँचे एवं अदालतों देखते हुए तनावग्रस्त परिसम्पतियों का रेसोल्युशन अगले 12-18 महीनों के भीतर होने की संभावना है।
RBI के अधिकारों पर प्रतिबन्ध का प्रभाव
S&P के अनुसार यदि RBI के अधिकारों पर किसी भी तरह का प्रतिबन्ध लगाया जाता है तो यह इसके जनादेश को कमज़ोर कर सकता है। हाल ही में केंद्रीय बैंक ने निजी बैंकों में शासन सुधारने की क्षमता का प्रदर्शन किया है जिसे हम स्वस्थ कामकाज एवं नवीनीकरण के रूप में देखते हैं l