मंगलवार को दिल्ली के रोहतास नगर में केजरीवाल ने भाषण दिया। इस कार्यक्रम में आप प्रमुख केजरीवाल ने दावा किया कि जो काम कांग्रेस व भाजपा सरकार मिलकर इतने सालों में नहीं कर पाई वह उनकी सरकार ने महज 48 महीनों में कर दिखाया है।
उन्होंने जनता से कहा कि वे इस साल अगस्त में फिर योजनाओं का उद्घाटन करने के लिए रोहतास नगर आएंगे। यदि वे नहीं आ पाएं तो साल 2020 में दिल्ली में होने वाले चुनाव में जनता उन्हें वोट न दे।
गुरुवार को आप सरकार के चार साल पूरे होने वाले हैं। ऐसे में संबोधन के दौरान उन्होंने जनता को सारे पुराने वादे याद दिलाए। जो काम उनकी सरकार ने किया, जो काम बाकी है वह सब गिनाए और कहा कि दो प्रमुख वादे मुफ्त पानी व बिजली देने का वादा सरकार ने बखूबी निभाया है।
शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी बदलाव आया है। पिछले साल सरकार ने घर-घर जाकर सरकार सेवा देने की जो कवायद शुरु की थी उन्होंने जनता को वह भी गिनवाया।
उन्होंने कहा कि शासन प्रबंध के सामने अभी भी कई चुनौतियां है। एक आकंलन से प्राप्त निष्कर्षों के अनुसार सरकार को अभी प्रदूषण व सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को सुधारने की दिशा में काफी काम करना है।
सरकार को गैरसरकारी क्षेत्रों में भी अभी काम बाकी है। शहर को मुफ्त वाई-फाई देने की योजना भी अबतक कागज पर ही है।
लेकिन पार्टी का मानना है कि मोदी सरकार के हस्तक्षेप के बावजूद दिल्ली सरकार ने जो भी उपलब्धियां हासिल की है वह बहुत है।
आप मिनिस्टर सतेंद्र जैन ने कहा कि केंद्र ने प्रदेश के काम में अड़चन डालने की खूब कोशिश की, बावजूद इसके पार्टी ने दिल्ली वालों के हित का काम किया।
वहीं विपक्ष अध्यक्ष मनोज तिवारी का इससे पूरी तरह असहमत है। उनका मानना है कि आम आदमी पार्टी अपने वादे पूरे करने में पूरी तरह से नाकाम रही है और इसलिए वे उनके वर्षगांठ को ‘काला दिन’ के रुप में मनाएंगे।
कांग्रेस लीडर सर्मिष्ठा मुखर्जी का कहना है कि आम आदमी पार्टी जो भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए बनी थी. पारदर्शिता की समर्थक थी अब वह नहीं रह गई है। तभी तो जिन लोगों ने आप का गठन किया वो आज पार्टी में नहीं है।
कॉमन क़ॉज नाम की एक संस्था जो सरकार की पारदर्शिता व जबावदेही पर नजर रखती है उससे जुड़े विपुल मुगदल ने कहा कि शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में आप सरकार का रिकार्ड पूरी तरह पारदर्शी है।
उन्होंने कहा कि हमें आप सरकार से औऱ भी ज्यादा आशा थी जो वह पूरी नहीं कर पाई। क्योंकि आप मे शामिल लोग केवल राजनेता नहीं है, उनका नाता जन आंदोलनों से जुडा़ हुआ है। पॉलिटिकल फंड्स का खर्चा आम आदमी पार्टी के बेवसाइट पर दर्ज है।’
कथित तौर पर इसी खर्च के कारण पार्टी के सीनियर नेताओं प्रशांत भूषण व योगेंद्र यादव ने पार्टी छोड़ दी थी।
मुख्य बातें-
शिक्षा-
2018-19 के बजट के मुताबित शिक्षा जगत को कुल 13,977 करोड़ रुपये का आवंटन मिला था, जो कुल बजट का 26% था
2017-18 के बजट में शिक्षा विभाग का हिस्सा कुल बजट के एक चौथाई था। गठन के बाद सरकार शिक्षा सुधार में ही लगी रही
आप के सरकारी स्कूलों में हैपिनेस करिकुलम और नए कक्षाओं के निर्माण जैसे प्रयासों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसंशा मिली
उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि ‘स्कूलों के बाहर, देशभर में ऐसा माहौल है जहां लोग मंदिर-मस्जिद की राजनीति कर रहे हैं, लेकिन दिल्ली सरकार स्कूल निर्माण और शिक्षा को बढ़ावा देने की राजनीति कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि 29 जनवरी को सरकारी स्कूलों में 11,000 नए क्लासरुम बनाने के लिए शिलान्यास किया गया है।
डोर-स्टेप डिलीवरी-
एलजी के साथ एक लंबे झगड़े के बाद सरकार ने आखिरकार बीते साल सितंबर में 40 सार्वजनिक सेवाओं के लिए डोर-स्टेप सेवा योजना शुरु की
सरकार ने हाल ही में 30 और सेवाओं को इससे जोड़ने की घोषणा की। जिससे लोग ऑनलाइन आवेदन कर घर बैठे ड्राइविंग लाइसेंस और विवाह प्रमाण पत्र जैसी सेवाओं पा सकेंगे। परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा, “इन सेवाओं के साथ इस पहल के माध्यम से प्रदान की जाने वाली सरकारी सेवाओं की कुल संख्या 70 हो जाएगी।”
मुफ्त पानी व सस्ती बिजली-
दिल्लीवासियों को सस्ती बिजली और मुफ्त पानी देने के क्षेत्र में भी सरकार ने काम किया।
जो निवासी एक माह में 20 किलोलीटर से कम पानी का उपयोग करते हैं, उन्हें मुफ्त पानी मिल रहा हैं। जबकि बिजली की दरों में भी कमी आई है।
केजरीवाल का कहना है कि उन्होंने निजी डिस्कॉम से रेडटेप को कम करके यह बिजली मुहैया कराया है। मार्च 2018 में, सरकार ने बिजली दरों में 32% तक की कमी की।
हालांकि, दिल्ली कांग्रेस प्रमुख शीला दीक्षित ने बिजली दरों को कम करने के लिए क्रेडिट मांगने के लिए आप सरकार को फटकार लगाई। उन्होंने कहा, “विधानसभा चुनाव में आप ने झूठे वादे किए कि बिजली आधी दर पर उपलब्ध कराई जाएगी और लोकसभा चुनावों के लिए उसी रणनीति का इस्तेमाल कर रही है। बिजली की दरें पहले से कहीं अधिक महंगी हो गई हैं।”
प्रदूषण व परिवहन-
प्रदूषण को कम करने के लिए दिल्ली सरकार का ऑड-इवेन फार्मूला भी कुछ समय के बाद फेल हो गया।