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    कुमार विश्वास

    नव वर्ष का शुरूआती महीना सियासी लिहाज से बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। जनवरी, 2018 की 16 तारीख की को देश में 5 सीटों के लिए राज्यसभा चुनाव होने हैं। इसमें दिल्ली की 3, उत्तर प्रदेश की 1और सिक्किम की 1 राज्यसभा सीट शामिल हैं। इनमें सबसे ज्यादा चर्चा जिसकी हो रही है वो हैं दिल्ली की 3 राज्यसभा सीटें। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार है और पार्टी अपने 3 पसंदीदा उम्मीदवारों को राज्यसभा भेज सकती है। ऐसे में राज्यसभा चुनावों को लेकर पार्टी के भीतर खेमेबाजी शुरू हो गई है। आप के संस्थापक सदस्य और दिग्गज नेता कुमार विश्वास के समर्थकों ने दिल्ली स्थित आप कार्यालय पर डेरा डाल दिया है।

    देशभर से पार्टी कार्यकर्ताओं का जमावड़ा दिल्ली स्थित आप कार्यालय के बाहर हो रहा है। कुमार विश्वास को राज्यसभा भेजने की मांग लगातार जोर पकड़ती जा रही है। एक तरफ आप नेता आशुतोष, संजय सिंह अपनी खेमेबाजी में लगे हुए हैं वहीं कुमार विश्वास के समर्थक उन्हें राज्यसभा भेजे जाने की मांग पर अड़े हुए हैं। दिल्ली स्थित आप कार्यालय के बाहर एकत्र हुए आप कार्यकर्ताओं का कहना है कि कुमार विश्वास पार्टी की आवाज हैं और उन्हें राज्यसभा में भेजना ही चाहिए। आप के कार्यालय के बाहर जमा हुए कार्यकर्ताओं का कहना है कि कुमार विश्वास राज्यसभा जाने के लिए सबसे योग्य उम्मीदवार हैं इसके बावजूद पार्टी उन्हें दरकिनार कर रही है। कुमार विश्वास को न्याय मिलना चाहिए।

    पार्टी दफ्तर के बाहर एकत्र कार्यकर्ता अपने साथ कम्बल, चादर लेकर आए हैं। ऐसा लग रहा है कि कुमार विश्वास को राज्यसभा भेजे जाने तक उनके समर्थक यहीं डेरा डालने वाले हैं। समर्थकों का कहना है कि कुमार विश्वास कार्यकर्ताओं की आवाज और आप की विचारधारा है। उनका मानना है कि कुमार विश्वास राज्यसभा सांसद बनने के लिए पूरी तरह योग्य उम्मीदवार हैं और पार्टी को उन्हें राज्यसभा भेजना चाहिए। कुमार विश्वास ने आप की सियासी जमीन तैयार करने में अहम योगदान दिया है और वह स्थापना के वक्त से पार्टी से जुड़े हुए हैं। मौजूदा हालातों में आप के दो फाड़ होने की आशंका बढ़ गई है।

    कुमार विश्वास के समर्थक हाथों में तख्तियां लिए आप कार्यालय के बाहर जमा हैं और लगातार उन्हें राज्यसभा भेजे जाने की मांग कर रहे हैं। दरअसल बीते कुछ दिनों से जिस तरह की खबरें आ रही हैं अगर उनकी मानें तो कुमार विश्वास का एक बार फिर दरकिनार होना तय माना जा रहा है। उनकी जगह आप के अन्य दूसरे नेताओं को राज्यसभा भेजे जाने की तैयारी है। इसकी भनक लगने के बाद देशभर से कुमार विश्वास के समर्थक दिल्ली स्थित आप कार्यालय के बाहर एकत्र हो रहे हैं और पार्टी के रुख पर अपना विरोध जता रहे हैं। इस वजह से आम आदमी पार्टी में खेमेबाजी की आशंका बढ़ गई है।

    अगर हाल के कुछ महीनों पर नजर डालें तो दिग्गज आप नेता कुमार विश्वास ने कई मुद्दों पर पार्टी स्टैण्ड से अलग राय रखी है। फिर चाहे वह गुजरात में कांग्रेस को समर्थन ना देने की बात करना हो या फिर गुजरात चुनावों के बाद भाजपा को बधाई देना। आप के राष्ट्रीय अधिवेशन में भी कुमार विश्वास के तेवरों में तल्खी नजर आई थी और उन्होंने मंच से पार्टी नेताओं और उनकी कार्यशैली पर सवाल उठाए थे। इस वजह से केजरीवाल और पार्टी के लिए कुमार विश्वास पर भरोसा करना मुश्किल हो रहा है।

    दिल्ली की 3 सीटों पर 16 जनवरी, 2018 को राज्यसभा चुनाव होना है। पूर्ण बहुमत से सत्ता में होने की वजह से इन तीनों सीटों पर आप उम्मीदवारों का चुना जाना तय है। आप पहले इन सीटों पर बाहर के क्षेत्र विशेष के व्यक्तियों को राज्यसभा भेजने के बारे में सोच रही थी पर बात बन नहीं सकी। पार्टी के अंदर के जिन नामों की चर्चा हो रही थी उनमें आप के संस्थापक सदस्य आशुतोष, संजय सिंह, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल के नाम शामिल थे। पार्टी सूत्रों से पता चला है कि अरविन्द केजरीवाल ने राज्यसभा भेजने के लिए संजय सिंह के नाम पर मुहर लगा दी है।

    दिल्ली स्थित आप कार्यालय में कुमार विश्वास के समर्थक माहौल उनके पक्ष में करने में जुटे हुए हैं। देशभर से आप कार्यकर्ता, पदाधिकारी, पार्षद, विधायक पार्टी दफ्तर पहुँच रहे हैं और कुमार विश्वास को राज्यसभा भेजे जाने की मांग कर रहे हैं। ये सभी लोग व्यक्तिगत रूप से लगातार कुमार विश्वास के संपर्क में हैं और पार्टी में अंदरूनी रूप से उनका समर्थन कर रहे हैं। पार्टी दफ्तर के बाहर एकत्र समर्थकों ने माहौल गर्म बना के रखा हुआ है। हालाँकि अरविन्द केजरीवाल ने अपने एक पुराने ट्वीट को रिट्वीट कर कुमार विश्वास को परोक्ष रूप से जवाब दे दिया है। माना जा रहा है कि केजरीवाल खेमा कुमार विश्वास को राज्यसभा भेजे जाने का पक्षधर नहीं है।

    बीते कुछ दिनों में कई वजहों से अरविन्द केजरीवाल और कुमार विश्वास में दूरियां लगातार बढ़ी हैं। अब दोनों में वह याराना नहीं दिखता जो अन्ना के आन्दोलन या दिल्ली विधानसभा चुनावों के वक्त दिखता था। कुमार विश्वास के रुख को लेकर आप नेताओं में अविश्वास लगतार बढ़ रहा है क्योंकि वह कई बार पार्टी स्टैण्ड के खिलाफ बोल चुके हैं। कुमार विश्वास के राज्यसभा जाने की राह में यही सबसे बड़ा रोड़ा बन रहा है। अब सबकी नजरें आप की पॉलिटिकल अफेयर कमेटी की बैठक पर हैं। इस बैठक के बाद आप के राज्यसभा उम्मीदवारों की उम्मीदवारी का औपचारिक ऐलान होगा।

    कुमार विश्वास समर्थकों का एक ही प्रश्न है कि आखिर कुमार विश्वास को राज्यसभा क्यों नहीं भेजा जा सकता? हमेशा उन्हीं के साथ भेदभाव क्यों होता है? ऐसे में आप में एक बार फिर दो फाड़ होते नजर आ रहे हैं। कुमार विश्वास ने अभी तक खुलकर अपने लिए राज्यसभा सीट नहीं मांगी है पर वह कह चुके हैं कि अगर पार्टी उन्हें राज्यसभा भेजेगी तो वह जरूर जाएंगे। उम्मीद है कि आप की पॉलिटिकल अफेयर कमेटी की बैठक में वह निश्चित तौर पर इसकी मांग करेंगे।

    आप के संथापक सदस्य और पार्टी की आवाज कहे जाने वाले कुमार विश्वास ने कल दिल्ली स्थित पार्टी दफ्तर के बाहर एकत्र समर्थकों को अपने ट्विटर हैंडल पर सम्बोधित करते हुए लिखा था, “मैंने आप सबसे हमेशा कहा है कि पहले देश, फिर दल और बाद में व्यक्ति है। पारदर्शिता और स्वराज के लिए संघर्ष करें। मेरे हित-अहित के लिए नहीं। अभिमन्यु के वध में भी उसकी विजय है।” कुमार विश्वास ने अपने समर्थकों से पार्टी के निर्णय का सम्मान करने का अनुरोध किया है।

    यह पहला मौका नहीं है जब कुमार विश्वास ने केजरीवाल खेमे को निशाने पर लेते हुए कोई तंज कसा हो। इससे पहले भी कई बार वह मंचों और ट्विटर से खुले तौर पार्टी द्वारा उठाए गए कई कदमों से अपनी असहमति जता चुके हैं। उनकी इसी बेबाकी और तल्खमिजाजी की वजह से केजरीवाल खेमा उनकी खिलाफत करता है। कुमार विश्वास का खिलाफत करने की एक और बड़ी वजह है देशभर में कुमार की जबरदस्त लोकप्रियता।

    कुमार विश्वास भले ही आप में किसी बड़ी भूमिका में ना हो और पार्टी ने उन्हें आगे ना किया हो पर पार्टी कार्यकर्ताओं और संगठन में उनकी अच्छी पकड़ है। विशेषकर युवा वर्ग में कुमार विश्वास अन्य किसी भी आप नेता से अधिक लोकप्रिय हैं। अन्ना के आन्दोलन के वक्त युवाओं को जोड़े रखने का काम कुमार विश्वास ने ही किया था। कुमार विश्वास के भाषणों में वह प्रभाव है जो आम जनता को अपने साथ जोड़े रखने के लिए जरुरी होता है। बतौर वक्त उनकी काबिलियत शक योग्य नहीं है। विपक्षी नेता भी उनके इस हुनर की तारीफ करते हैं।

    कुमार विश्वास के काव्य कौशल और भाषा शैली के विपक्षी नेताओं समेत बड़े राजनीतिज्ञ भी प्रशंसक हैं। कुमार विश्वास के राज्यसभा जाने पर उनको राष्ट्रीय पहचान मिलना तय है जिससे केजरीवाल आप में सहायक की भूमिका में आ सकते हैं। गुजरते वक्त के साथ-साथ अरविन्द केजरीवाल का जादू कम होता जा रहा है। बीते कुछ समय में देशभर में आप की लोकप्रियता में गिरावट आई है और कुमार विश्वास पार्टी की कार्यशैली और लचर प्रबंधन को इसका जिम्मेदार ठहरा चुके हैं। 2019 में कुमार विश्वास आप के चेहरे के तौर पर केजरीवाल का विकल्प बन सकते हैं। इस वजह से केजरीवाल खेमा पहले ही कुमार विश्वास का पत्ता काटकर उन्हें दरकिनार करने की कोशिश में लगा है।

    कुमार विश्वास की राज्यसभा सीट के लिए दावेदारी को कमजोर करने के लिए अजमेर लोकसभा उपचुनावों में भी उनका नाम उछाला जा रहा है। आम आदमी पार्टी की राजस्थान इकाई के 5 सदस्य सोमवार शाम दिल्ली स्थित आप कार्यालय पहुँचे थे। उन्होंने आम आदमी पार्टी की मुख्य कार्यकारिणी मानी जाने वाली पॉलिटिकल अफेयर कमेटी के सदस्यों से मिलने के लिए समय माँगा था। उन्होंने मांग की थी कि राजस्थान आप प्रभारी कुमार विश्वास को अजमेर लोकसभा चुनावों में उम्मीदवार बनाया जाए।

    इन्होंने तर्क दिया था कि अजमेर कुमार विश्वास की ससुराल है। राजस्थान के युवाओं में कुमार विश्वास की अच्छी पकड़ है और वह राज्य में 2,000 से अधिक कवि सम्मलेन कर चुके हैं। वह राजस्थान में एक जाना-पहचाना चेहरा भी हैं। ऐसे में उनकी दावेदारी से आप की जीत संभावनाएं बढ़ जाएंगी। हालाँकि इसे राज्यसभा चुनावों के मद्देनजर कुमार विश्वास की दावेदारी को खारिज करने की साजिश के तौर पर भी देखा जा रहा है।

    भाजपा सांसद और केंद्रीय मंत्री संवर लाल जाट के आकस्मिक निधन से खाली हुई अजमेर लोकसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं। भाजपा की तरह से अभी कोई नाम सामने नहीं आया है पर कांग्रेस की ओर से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और अजमेर के पूर्व सांसद रहे सचिन पायलट की दावेदारी तय मानी जा रही है। आम आदमी पार्टी की राजस्थान इकाई के कुछ नेताओं ने राज्य के पार्टी प्रभारी कुमार विश्वास से अजमेर उपचुनावों में उतरने की मांग की है।

    बता दें कि कुमार विश्वास के राजस्थान आप का प्रभारी बनने के बाद पार्टी की छात्र इकाई ने छात्रसंघ चुनावों में जबरदस्त प्रदर्शन किया था। ऐसे में कुमार विश्वास को उपचुनावों में उतारने की मांग उठ रही है। यह मांग ऐसे वक्त में उठी है जब कुमार विश्वास के समर्थक दिल्ली स्थित आप कार्यालय के बाहर उन्हें राज्यसभा भेजे जाने की मांग पर अड़े हैं। माना जा रहा है कि राज्यसभा सीट पर कुमार विश्वास की दावेदारी कमजोर करने के लिए केजरीवाल खेमे ने यह चाल चली है।

    हालाँकि इस विषय पर सफाई देते हुए आम आदमी पार्टी राजस्थान ने कहा था कि अजमेर लोकसभा उपचुनावों में कुमार विश्वास की उम्मीदवारी की खबरें गलत हैं। अपने ट्विटर हैंडल पर आप राजस्थान ने लिखा था, “आप राजस्थान के कुछ कार्यकर्ता केंद्रीय कार्यालय के कुछ भ्रामक लोगों के षड्यंत्र के प्रभाव में आ रहे हैं। अजमेर लोकसभा क्षेत्र से कुमार विश्वास की उम्मीदवारी की सूचना गलत है। राजस्थान की धरती पर यहीं का कार्यकर्ता चुनाव लड़ेगा। कुमार विश्वास समय पर यहाँ प्रचार करें और चुनाव जितवाएं। यह खुशी की बात होगी।” कुमार विश्वास के अजमेर लोकसभा उपचुनावों में दावेदारी के खबरें तब जोर पकड़ रही हैं जब वह दिल्ली की 3 राज्यसभा सीटों में से 1 सीट की मांग कर चुके हैं।

    बता दें कि 2018 की शुरुआत में जनवरी में दिल्ली की 3 राज्यसभा सीटों पर चुनाव होने हैं। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार है और इन तीनों सीटों पर ही उसके सांसद चुने जाएंगे। आप के संस्थापक सदस्यों में से एक कुमार विश्वास के पिछले कुछ वक्त से पार्टी संगठन से मतभेद चल रहे हैं। कुमार विश्वास कई मौकों पर खुलकर पार्टी की खिलाफत कर चुके हैं। बीते दिनों तो यह उड़ती-उड़ती खबर आई थी कि कुमार विश्वास आप का दामन छोड़ सकते हैं। कुमार विश्वास की नाराजगी को दूर करने के लिए उन्हें आप की राजस्थान इकाई का प्रभारी बनाया गया था।

    कुमार विश्वास ने बीते दिनों पार्टी आलाकमान से अपने लिए दिल्ली की एक राज्यसभा सीट मांगी थी। केजरीवाल खेमे के अहम सदस्य और आप की पॉलिटिकल अफेयर कमेटी के सदस्य संजय सिंह, आशुतोष और गोपाल राय अभी तक राज्यसभा चुनावों के नाम पर चुप्पी साधे हुए हैं। जल्द ही आप की पॉलिटिकल अफेयर कमेटी की बैठक होगी जिसमें राज्यसभा भेजने के लिए उम्मीदवारों के नाम पर विचार किया जाएगा। कुमार विश्वास भी कमेटी के सदस्य हैं और बैठक में वह भी शामिल होंगे। कमेटी आप के अन्य प्रदेशों के नेताओं के अतिरिक्त दिल्ली कैबिनेट और संगठन में शामिल कुछ अंदरूनी नेताओं के नाम भी आगे कर सकती है।

    बीते दिनों मीडिया से हुई बातचीत में आप के प्रवक्ता सौरभ भरद्वाज ने कहा था, “राज्यसभा में नाम किसका जाएगा ये पॉलिटिकल अफेयर कमिटी तय करेगी। अभी फिलहाल कमेटी की कोई मीटिंग नहीं हुई है। जहाँ तक कुमार विश्वास के अजमेर से लोकसभा उपचुनाव लड़ने की बात है तो वो खुद आगे आएं और दावेदारी करें।” बीते दिनों हुए आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में कुमार विश्वास ने मंच से अरविन्द केजरीवाल और अपने अन्य विरोधियों पर तंज कसते हुए परोक्ष रूप से तीखे प्रहार किए थे।

    कुमार विश्वास कई बार यह जता चुके हैं कि आम आदमी पार्टी में उन्हें दरकिनार किया जा रहा है और सक्रिय राजनीति में उनकी भूमिका ना के बराबर हो गई है। सियासी मंचों से लेकर ट्विटर हैंडल तक हर जगह कुमार विश्वास का यह दर्द छलक जाता है। आज कल सोशल मीडिया पर भी कुमार विश्वास को राज्यसभा भेजने की मांग जोर पकड़ रही है और कई सियासी दिग्गज भी इसकी वकालत कर चुके हैं।

    कुमार विश्वास की सियासी समझ और प्रभावी भाषा शैली राज्यसभा चुनावों के लिए उन्हें एक योग्य उम्मीदवार बनाती है। ऐसे में केजरीवाल खेमा कुमार विश्वास की दावेदारी को धूमिल करने के लिए अजमेर लोकसभा उपचुनावों में उनका नाम आगे कर सकता है। इस तरह बिना किसी विरोध के केजरीवाल खेमा अपने पसंदीदा चेहरों को राज्यसभा भेज सकता है और कुमार विश्वास फिर से दरकिनार हो जाएंगे। अब सबकी नजरें आप की पॉलिटिकल अफेयर कमेटी की बैठक पर टिकी हैं।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।