हिंदी हार्टलैंड के तीन राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने कांग्रेस की उम्मीदों से कहीं बढ़ कर प्रदर्शन किया और मध्य प्रदेश और राजस्थान में किंग मेकर साबित हुई।
मई में कर्नाटक में हुए विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस ने जेडीएस और बहुजन समाज पार्टी के साथ चुनाव बाद गठबंधन करके भाजपा को सत्ता में आने से रोका जीके फलस्वरूप मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस और बसपा के बीच चुनव पूर्व गठबंधन की सुगबुगाहट शुरू हुई लेकिन परवान नहीं चढ़ सकी और बसपा ने मध्य प्रदेश में अकेले और छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लिया। राजस्थान में भी बसपा अकेले ही चुनाव में उतर गई।
कांग्रेस और बसपा के बीच गठबंधन न हो पाने पर अनुमान लगाया गया कि इससे कांग्रेस को नुकसान पहुँच सकता है। हालाँकि कांग्रेस ने तीनों राज्यों में सरकार तो बना ली लेकिन डॉ राज्यों में उसे बसपा के समर्थन की जरूरत पड़ी।
तीनों राज्यों में अपने प्रदर्शन से बसपा ने साबित किया कि उसे कमतर आंकना भारी भूल होगी क्योंकि वो अकेले दम पर सत्ता में भले ही न आ पाए लेकिन इतनी वोटें तो सालिल कर ही लेगी कि किंग मेकर बन सके।
तीनो राज्यों में बसपा ने कुल 10 सीटें जीती जो 2013 में तीनो राज्यों में जीती गई सीटों से 2 अधिक है। मतलाब साफ़ है कि बसपा ने अपने प्रदर्शन में सुधर किया। हालाँकि 2008 में पार्टी ने तीनो राज्यों में 15 सीटें जीती थी। 2008 में बसपा ने मध्य प्रदेश में 7 सीटें जीती थी जो 2018 में घट कर 2 पर आ गई।
मध्य प्रदेश में बसपा के नुकसान की बात करें तो उसने अपना कोर वोट बैंक गंवाया। 2008 और 2013 में तीनो राज्यों में बसपा का आरक्षित सीटों पर वोट शेयर जनरल सीटों पर वोट शेयर से ज्यादा था। 2018 में बसपा को इन आरक्षित सीटों पर नुकसान उठाना पड़ा जिसका मतलब है कि बसपा का कोर वोटर उससे छिटक गया।
ग्राफ से साफ़ जाहिर होता है कि मध्य प्रदेश में आरक्षित सीटों पर बसपा ने अपना कोर वोटर खोया।
जहाँ तक सीटों सीटों पर प्रभाव डालने की बात है बसपा ने मध्य प्रदेश में 50 और राजस्थान में 29 सीटें पर भाजपा और कांग्रेस का खेल बिगाड़ा किसकी वजह से राजस्थान और मध्य प्रदेश में नजदीकी मुकाबला हुआ।
मध्य प्रदेश में पार्टी ने भाजपा और कांग्रेस को 23-23 सीटों पर प्रभावित किया जबकि राजस्थान में भाजपा को 16 और कांग्रेस को 11 सीटों पर प्रभावित किया।
बसपा ने तीनो राज्यों में करीब 82 सीटों पर अपना असर डाला और नतीजों को प्रभावित किया।