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    Harish-Rao-To-Sacrifice-for-KCR-

    तेलंगाना में टीआरएस के शानदार जीत दर्ज लगातार दूसरी बार वापसी करने के बाद माना गया कि नई सरकार में केसीआर के बेटे के टी रामा राव की बड़ी भूमिका होगी। ये अंदाजा इसलिए भी लगाया जा रहा था क्योंकि चुनाव में विजय प्राप्त करने के बाद केसीआर ने कहा था कि अब वो दिल्ली की राजनीति में कदम रखेंगे।

    उनके इस बयान के बाद आशंका जताई जाने लगी कि शायद मुख्यमंत्री की कुर्सी के टी रामा राव को मिले लेकिन गुरुवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ ले कर केसीआर ने तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के अगले ही दिन केसीआर ने अपने बेटे को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष घोषित कर दिया और पार्टी को ये सन्देश दिया कि आने वाले वक़्त में केटीआर बड़ी भूमिका निभाएंगे।

    2014 में तेलंगाना के गठन के बाद अपने बेटे केटीआर और भतीजे टी हरीश राव को कैबिनेट मंत्री बनाया। तेलंगाना आन्दोलन में हरीश राव ने केसीआर का बहुत साथ दिया था और उन्हें पार्टी में केसीआर के बाद दुसरे नंबर पर माना जाता था और समझा जाता था कि केसीआर के बाद पार्टी में बड़ी भूमिका वही निभाएंगे।

    लेकिन तेलंगाना के गठन और केसीआर की सरकार बनने के बाद 5 सालों में सबकुछ बदल गया। कैबिनेट में केसीआर ने बेटे केटीआर को ज्यादा तरजीह दी और उनके हिस्से में आईटी, ग्रामीण विकास और पंचायती राज जैसे मंत्रालय आये जबकि भतीजे हरीश राव को जल संसाधन जैसा लो प्रोफाइल मंत्रालय दिया गया।

    केसीआर सरकार में केटीआर ताकतवर बन कर उभरे और माना जाने लगा कि असली मुख्यमंत्री वही हैं। अमेरिका में पढ़े केटीआर सभी महत्वपूर्ण बैठकों में हिस्सा लेते और उच्च स्तरीय मीटिंग में पार्टी और सरकार का चेहरा होते। उनके व्यक्तित्व, शिक्षा और फर्राटेदार इंग्लिश बोलने की कला ने उन्हें तेलंगाना के उभरते सितारे के तौर पर मान्यता दिलाई।

    हालाँकि हरीश राव ने कभी भी अपने साथ हुए अन्याय के बारे में मुंह नहीं खोला कोयोंकी शायद वो भी जानते हैं कि सब्र और समय सबसे बड़े योद्दा होते हैं।

    इतिहास गवाह रहा है भारतीय राजनीति में बेटो को ही ज्यादा तरजीह दी है और वही वारिस बने हैं चाहे वो उद्धव ठाकरे हों या अखिलेश यादव या फिर सुखबीर बादल।

    हरीश शायद महाराष्ट्र के राज ठाकरे और पंजाब के मनप्रीत सिंह बादल की कतार में शामिल हो जाएँ।

    By आदर्श कुमार

    आदर्श कुमार ने इंजीनियरिंग की पढाई की है। राजनीति में रूचि होने के कारण उन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ कर पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया। उन्होंने कई वेबसाइट पर स्वतंत्र लेखक के रूप में काम किया है। द इन्डियन वायर पर वो राजनीति से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं।

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