वर्तमान ‘कारागार अधिनियम, 1894’ आज़ादी से पहले का अधिनियम है और लगभग 130 वर्ष पुराना है। यह अधिनियम मुख्य रूप से अपराधियों को हिरासत में रखने और जेलों में अनुशासन और व्यवस्था लागू करने पर केंद्रित है। इसमें कैदियों के सुधार और पुनर्वास का कोई प्रावधान नहीं है।
पिछले कुछ दशकों में, विश्वस्तर पर जेल और कैदी के बारे में एक नया दृष्टिकोण विकसित हुआ है। आज, जेलों को सज़ा के स्थान के रूप में नहीं बल्कि ऐसे सुधारात्मक और परिवर्तन करने वाले संस्थानों के रूप में देखा जाता है जहां कैदियों के व्यवहार में बदलाव लाकर उन्हें कानून का पालन करने वाले नागरिकों के रूप में समाज के साथ दोबारा जोड़ा जाता है।
भारतीय संविधान के अनुसार, ‘कारागार’ या ‘हिरासत में लिए गए व्यक्ति ‘एक ‘राज्य’ सूची है। जेल प्रबंधन और कैदियों के प्रशासन की जिम्मेदारी पूरी तरह से राज्य सरकारों की है जो खुद इस संबंध में वैधानिक प्रावधान बनाते हैं।
गृह मंत्रालय के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में, मौजूदा कारागार अधिनियम में कई खामियां हैं। मौजूदा अधिनियम में सुधारोन्मुखी प्रावधानों के अभाव के अलावा, आधुनिक समय की जरूरतों और जेल प्रबंधन की आवश्यकताओं के अनुरूप अधिनियम को संशोधित और अपग्रेड करने की आवश्यकता है।
औपनिवेशिक काल के पुराने कारागार अधिनियम की समीक्षा की जा रही है। आज की ज़रूरतों और सुधार पर ज़ोर देने के लिए इसे संशोधित किया जा रहा है। गृह मंत्रालय ने कारागार अधिनियम, 1894 के संशोधन का ज़िम्मा पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो को सौंपा है।
वर्तमान कारागार अधिनियम की मौजूदा कमियों, जिनमें जेल प्रबंधन में प्रौद्योगिकी का उपयोग, पैरोल, फर्लो (Furlough) प्रदान करने, अच्छे आचरण को बढ़ावा देने के लिए कैदियों की सजा माफ करने, महिला व ट्रांसजेंडर कैदियों के लिए विशेष प्रावधान, कैदियों की शारीरिक और मानसिक कुशलता के प्रावधान करने तथा कैदियों के सुधार और पुनर्वास पर ध्यान, आदि शामिल हैं।
एक व्यापक ‘आदर्श कारागार अधिनियम, 2023’ को अंतिम रूप दिया है, जो राज्यों के लिए मार्गदर्शक दस्तावेज के रूप में काम कर करेगी।
इसके साथ ही गृह मंत्रालय द्वारा, ‘कारागार अधिनियम, 1894’, ‘कैदी अधिनियम, 1900’ और ‘कैदियों का स्थानांतरण अधिनियम, 1950’ की भी समीक्षा की गई है और इन अधिनियमों के प्रासंगिक प्रावधानों को ‘आदर्श कारागार अधिनियम, 2023’ में शामिल किया गया है।
राज्य सरकारें और केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन ‘आदर्श कारागार अधिनियम, 2023’ में अपनी ज़रूरत के अनुसार संशोधन करके इसे अपने यहां लागू कर सकते हैं और मौजूदा तीन अधिनियमों को निरस्त कर सकेंगे।