आकाश चोपड़ा की जीवनी:
आकाश चोपड़ा एक पूर्व भारतीय क्रिकेटर हैं, जो एक दाहिने हाथ के बल्लेबाज के रूप में खेलते हैं, जिनका जन्म 19 सितंबर, 1977 को हुआ था। वह उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में जन्मे थे।
पृष्ठभूमि:
आकाश चोपड़ा ने दिल्ली में स्थित सॉनेट क्रिकेट क्लब के लिए एक सलामी बल्लेबाज के रूप में खेलकर अपनी क्रिकेट यात्रा शुरू की। उन्होंने 1995 में वेस्ट इंडीज की अपनी यात्रा के दौरान इंडिया स्कूल बॉयज़ के लिए खेला। चोपड़ा ने अंडर-16 और अंडर-19 स्तरों पर भी दिल्ली का प्रतिनिधित्व किया और उत्तरी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया।
उन्होंने दिलीप ट्राफी में अपना पदार्पण किया और वहां दो अर्धशतक मारे जिससे उन्हें घरेलु क्रिकेट में पहचान मिली। इसके बाद उन्होंने दिल्ली के लिएमैच खेले जिससे उन्हें राजस्थान की रणजी डिवीज़न में गेस्ट प्लेयर के रूप में प्रवेश मिल गया। अगले दो वर्षों तक राजस्थान ने लगातार दो ट्राफी जीती जिससे वो सबसे पहली टीम बनी जिसने ऐसा किया। अपने घरेलु करियर में आकाश ने 10,000 से अधिक रनों का पहाड़ खड़ा कर दिया था।
प्रथम प्रवेश:
चोपड़ा ने अपना टेस्ट डेब्यू 8 अक्टूबर 2003 को इंग्लैंड के खिलाफ अहमदाबाद में किया था। उनका पहला मैच प्रभावशाली था क्योंकि उन्होंने अपनी पहली पारी में 42 और दूसरे में 31 रन बनाए थे। उनका रूप और भी बेहतर हो गया क्योंकि उन्होंने मोहाली में आयोजित दूसरे टेस्ट में दो अर्धशतक बनाए। उनके टेस्ट करियर की शुरुआत शानदार फॉर्म से हुई, जो इस श्रृंखला से आगे बढ़ी।
उदय:
2003-04 में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेली गई श्रृंखला के बाद, भारत को उस वर्ष के अंत में ऑस्ट्रेलिया से खेलना था। चोपड़ा ने वीरेंद्र सहवाग के साथ कई मजबूत विकेटों की साझेदारी की। मेलबोर्न और सिडनी में क्रमशः उनकी दो शतकीय ओपनिंग पार्टनरशिप थीं।
पाकिस्तान के अगले दौरे पर, उन्होंने वीरेंद्र सहवाग के साथ एक और शतक लगाया, क्योंकि भारत ने पहली पारी में 600 से अधिक रन बनाए और इसके साथ ही भारत ने अपने चीर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान को एक करारी शिकस्त दी।
पतन:
युवराज सिंह ने अपने प्रदर्शन के लिए मैच टर्निंग बल्लेबाज (और ऑल राउंडर) होने की प्रतिष्ठा हासिल करना शुरू कर दिया, चोपड़ा ने टीम में अपनी जगह खोनी शुरू कर दी। उन्हें 2004 में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के लिए चुना गया था। हालांकि, उनका प्रदर्शन निराशाजनक था और उन्होंने असफलता के साथ श्रृंखला समाप्त की।
उस टूर्नामेंट के बाद आकाश का रूप बिगड़ने लगा और उन्हें जल्द ही उनकी जगह टीम ने गौतम गंभीर को ओपनिंग करने के लिए चुना। उनकी कम स्कोरिंग दर के कारण, उन्हें किसी भी एकदिवसीय मैच के लिए नहीं चुना जा रहा था।
क्लब कैरियर:
आकाश चोपड़ा को इंडियन प्रीमियर लीग के पहले दो सत्रों में कोलकाता नाइट राइडर्स द्वारा साइन किया गया था। हालाँकि उन्हें तेज ट्वेंटी 20 खेल खेलने के लिए अनफिट समझा गया था। उन्हें आईपीएल के चौथे सीजन में राजस्थान रॉयल्स ने साइन किया था। आईपीएल में उनका स्कोर निराशाजनक रहा क्योंकि उन्होंने 6 पारियों में 8.83 की औसत और 74.65 की स्ट्राइक रेट से 53 रन बनाए।
निवृत्ति:
लगभग दो वर्षों तक कोई मैच नहीं खेलने के बाद, चोपड़ा ने 2015 में खेल के सभी रूपों से अपनी सेवानिवृत्ति की घोषणा की। उन्होंने भारतीय टीम के लिए 10 टेस्ट अपने नाम किए और 60 के उच्चतम स्कोर के साथ 437 रन बनाए।
चोपड़ा ने तब बीसीसीआई के साथ कमेंट्री की और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मैचों में कमेंट्री करते हुए नजर आए। वह खेलों के दौरान अपने हिंदी कमेंट्री के लिए प्रसिद्ध थे।
वह मिड-डे और क्रिकइन्फो के लिए कॉलम लिखते हैं। वर्तमान में उनके पास स्टार स्पोर्ट्स, सोनी और सोनी ईएसपीएन के साथ अनुबंध हैं। उन्होंने क्रिकेट से अपनी सेवानिवृत्ति के बाद चार किताबें लिखी हैं, जो हार्पर कॉलिन्स द्वारा प्रकाशित की गई हैं।
अधिक जानकारी :
आकाश चोपरा को कई टैलेंट वाला व्यक्ति कहा जा सकता है। अपनी शुरूआती ज़िन्दगी में उन्होंने क्रिकेट में अपना भाग्य आजमाया जिसमे वे खरे उतरे और इससे सेवानिवृत होने के बाद उन्होंने क्रिकेट में कमेन्ट्री शुरू कर दी जिसमे वे शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं।
अब वे क्रिकेट कमेन्ट्री के साथ लेखन में करियर बना रहे हैं। उन्हें क्रिकेट के बारे में अपने गहरे ज्ञान के बारे में जाना जाता है। उन्होंने इस समय में दो किताबें भी लिखीं है जोकि बियॉन्ड द ब्लूज और आउट ऑफ़ द ब्लूज है। इसके साथ ही हाल ही में उन्होंने अपनी द इनसाइडर भी लिखी है किताबों के साथ साथ वे कुछ अखबारों के कॉलम लिखने में भी दिलचस्पी रखते है जैसे हिंदुस्तान टाइम्स आदि।
वर्तमान में वे स्टार स्पोर्ट्स के साथ कमेंटेटर और एनालिस्ट के पद पर कार्य कर रहे हैं। कमेंटेटर के तौर पर उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में चैनल 7 के साथ कार्य किया है आज लाखों लोग उनकी हिंदी कमेंटरी को सराहते हैं। उन्होंने एक बार यह भी बयान दिया की जब वह क्रिकेट का प्रशिक्षण ले रहे थे तब वह अपने साथ एक डायरी रखते थे जिसमे वह सारी जानकारी जो भी सीखते थे उसे लिख लेते थे चाहे वह किसी दुसरे खिलाड़ी के बारे में हो।
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