अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष 3 जुलाई को वांशिगटन में बैठक का आयोजन करेगा जिसमे पाकिस्तान के लिए 6 अरब डॉलर के तीन वर्षों के विस्तार के बाबत विचार किया जायेगा। इस मामले के सूत्रों ने दुनिया न्यूज़ को बताया कि “पाकिस्तान ने एक टाइट मुद्रा और वित्तीय नीति को अपनाया है जो वैश्विक मोनीलॉन्डर के नियम व शर्तो पर आधारित है।”
यह बेलआउट पैकेज पाकिस्तान को बाहरी कर्ज को चुकाने में मदद करेगा, उनके वित्तीय घाटे को सुधरेगा, विदेशी मुद्रा को तीन माह के आयात और निर्यात के लिए संरक्षित करेगा और रूपए को मजीद गोटा लगाने से रोकेगा। प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार ने अगले वित्तीय वर्ष के बजट में आईएमएफ के कर्ज को जोड़ दिया है।
आईएमएफ की टीम हर तीन महीने में पाकिस्तान की यात्रा करेगी और देश के आर्थिक संकेतों की समीक्षा करेगी। विश्लेषकों के मुताबिक, नकदी से जूझ रही अर्थव्यवस्था को संवारने के लिए पाकिस्तान की सरकार के लिए मित्र देशों से मिली सहायता पर्याप्त नहीं थी।
पाकिस्तान के बेलआउट पैकेज को मंज़ूरी मिलना के मौके बेहद ज्यादा दिख रहे हैं क्योंकि मुल्क ने सभी नियमों और शर्तों को मान लिया है। यह समझौते आर्थिक वृध्दि में सकारात्मक प्रभाव डालेगा। अमेरिकी स्थित फिच सोलूशन्स ने गुरूवार को देश की जीडीपी वृद्धि में बदलाव किया और इस वित्तीय वर्ष में 4.4 फीसदी से 3.2 फीसदी कर दिया था, साल 2019-20 के वित्तीय वर्ष में 2.7 फीसदी होगी।
फिच ने कहा कि “हमारे अनुमान के मुताबिक आगामी महीनो में उपभोक्ता कीमतों में दबाव ऊपर की तरफ बढ़ेगा। आगामी महीनो में ग्राहकों की खरीद में निरंतर गिरावट आने की सम्भावना है, इसलिए उपभोग पर भाग बढ़ जायेगा।” सरकार के कुछ कदमो से कीमतों में वृद्धि से आंशिक रूप से राहत मिलेगी, मसलन प्रति महीने 300 यूनिट से कम खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को सब्सिडी मुहैया की जाएगी।
पाकिस्तान और आईएमएफ वित्तीय घाटे को सँभालने के लिए टैक्स पर आधारित कदमो पर फोकस करते हुए रज़ामंद हो गए हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी सरकार अपने महत्वकांक्षी रेवेन्यू लक्ष्यों को हासिल करने में पिछड़ जाएगी और उन्हें प्राथमिक बजट में 0.6 फीसदी के खर्च की कटौती करनी होगी।