पाकिस्तान की कैद से हाल ही में आज़ाद हुए एक अहमदी व्यक्ति ने पाकिस्तान में उनके समुदाय के उत्पीड़न पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की बुधवार को सराहना की थी। पाकिस्तान के लेखक और विश्लेषक तारक फतह के द्वारा ट्वीट की गयी विडियो में यह जानकारी दी गयी है।
डोनाल्ड ट्रम्प की सराहना
विडियो के मुताबिक, “मैं एक अहमदिया मुस्लिम समुदाय का व्यक्ति हूँ। साल 1974 में हमें गैर मुस्लिम करार दे दिया गया था। हमारे घरो को आगजनी और हमारी दुकानों को लूटा गया था। मैं रब्वाह विस्थापित हो गया, जहां मैंने किताबे बेचने की दुकान शुरू की थी। लेकिन किताबो को बेचने के लिए मुझे पांच साल की सज़ा दी गयी और छह लाख पाकिस्तानी रूपए जुर्माना लगाया गया था। मुझे तीन सालो के बाद रिहा किया गया था।”
व्यक्ति ने कहा कि “वह खुद को अमेरिका में मुस्लिम कह सकता है लेकिन वह पाकिस्तान में भय के कारण ऐसा नहीं कर सकता था। हमने किसी के खिलाफ कभी बदला लेने की नहीं सोची और सब कुछ भगवान पर छोड़ दिया था। मैं दुआ करूँगा कि ईश्वर आप पर कृपा दृष्टि रखे और आपको एक लम्बी उम्र दें।”
पाक में अहमदिया मुस्लिमो पर अत्याचार
हाल ही ट्रम्प ने व्हाइट हाउस में विभिन्न देशों में धार्मिक उत्पीड़न के पीड़ितो से मुलाकात की थी। अहमदिया मुस्लिम जमात, भारत में ब्रिटिश हुकूमत के दौरान पंजाब में शुरू हुआ एक इस्लामिक धार्मिक आन्दोलन था। यह 19 सदी का आखिरी दौर था। बहरहाल पाकिस्तान के संविधान ने इस समुदाय को गैर मुस्लिम करार दे दिया था।
अधिकतर अहमदी पंजाब प्रान्त के रब्वाह में रहते हैं। पाकिस्तान पैनल कोड ने अहमदियो पर कई कानूनी पाबंदिय लगा रखी है और अधिकारिक तौर पर भेदभाव को पाबंद कर रखा है। यदि इस समुदाय के लोग खुद को मुस्लिम संबोधित करते हैं तो यह अपराध की श्रेणी में आता है। इसके आलावा इनके उपदेश देने, अपनी आस्था के पदार्थो का प्रचार करने और मस्जिदों या धार्मिक स्थलों पर जाने से रोका जाता है।
धार्मिक भड़काऊ हमले अहमदिया समुदाय पर कई दफा हुए हैं। अहमदिया जमात के लोगो पर पाकिस्तानी सरकार आतंक रोधी कानून इस्तेमाल करती है।