अशोक कुमार भारतीय फिल्मो के बहुत पुराने अभिनेताओं में से एक हैं। उन्होंने अपने अभिनय की वजह से कई सारे हिंदुस्तानीयों का दिल जीता है। अशोक की पहचान ना केवल एक अभिनेता के रूप में ही होती हैं बल्कि उन्हें एक बेहतरीन चित्रकार और गायक के रूप में भी जाना जाता है। अशोक ने हिंदी फिल्मो के साथ साथ कई सारी बंगाली फिल्मो में भी अपने अभिनय को दर्शाया है।
अशोक कुमार के द्वारा अभिनय किए गए फिल्मो की बात करे तो उन्होंने ‘प्रेम कहानी’, ‘सावित्री’, ‘इज़्ज़त’, ‘बंधन’, ‘अनजान’, ‘किस्मत’, ‘नज्म’, ‘साजन’, ‘संग्राम’, ‘मशाल’, ‘अफसाना’, ‘बेवफा’, ‘परिणीता’, ‘शतरंज’, ‘रागिनी’, ‘फरिश्ता’, ‘धुल का फूल’, ‘करोड़पति’, ‘राखी’, ‘आज और कल’, ‘बहु बेटी’, ‘दादी माँ’, ‘बहु बेगम’, ‘विक्टोरिया न. 203’, ‘प्रेम नगर’, ‘छोटी सी बात’, ‘हिरा और पत्थर’, ‘तवायफ’, ‘अम्मा’, ‘मिस्टर इंडिया’, ‘मेरा दामाद’ जैसी कई फिल्मो में अपने अभिनय को दर्शाया है।
अशोक कुमार ने ना केवल अपने अभिनय की वजह से करोडो जनता का दिल जीता है और कई अवार्ड्स को अपने नाम किया है बल्कि इसके साथ ही अशोक ने हिंदी सिनेमा में दिए अपने योगदान की वजह से कई सारे सम्मानों को हासिल भी किया है।
अशोक कुमार का प्रारंभिक जीवन
अशोक कुमार का जन्म 13 अक्टूबर 1911 को भागलपुर, बंगाल प्रेसिडेंसी (बिहार) में हुआ था। अशोक के पिता का नाम ‘कुंजलाल गांगुली’ था जो पेशे से एक वकील थे। उनकी माँ का नाम ‘गौरी देवी’ था जो घर परिवार को सम्हालने का काम करती थीं। गौरी एक बहुत ही अमीर परिवार की बेटी थीं।
अशोक का असली नाम ‘कुमुदलाल गांगुली’ था जिसे उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में आने से पहले ‘अशोक कुमार’ में बदला था। अशोक के दो भाई हैं और एक बहन हैं। भाइयो का नाम ‘कल्याण कुमार गांगुली’ था, जो अभिनेता ‘अनूप कुमार’ के नाम से जाने जाते थे और दूसरे भाई का किशोर कुमार था, जो एक अभिनेता होने के साथ साथ एक गायक और म्यूजिशियन भी थे। अशोक की बहन का नाम ‘सीता रानी देवी’ था। अशोक ने अपने स्कूल की पढाई बिहार से ही पूरी की थी और इसके बाद उन्होंने ‘प्रेसीडेंसी यूनिवर्सिटी’, कोलकाता से अपने ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की थी।
अशोक कुमार का दिहांत 10 दिसंबर 2001 को हुआ था और तब उनकी उम्र 90 वर्षीय थी। अशोक का दिहान मुंबई, महाराष्ट्र में दिल की धड़कन रुकने की वजह से हुआ था। मुख्यमंत्री अटल बिहारी वाजपाई ने हमेश अशोक कुमार के सम्मान में यही कहा था की ‘वह बहुत ही प्रभाव शैली व्यक्ति थे और आगे आने वाली कई पीड़ियों को उनसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।’
व्यवसाय जीवन
अशोक कुमार का फिल्मो का शुरुआती सफर
अशोक कुमार ने अपने व्यवसाय जीवन की शुरुआत एक अभिनेता के रूप में नहीं बल्कि एक लेबोरेटरी असिस्टेंट के रूप में शुरू किया था। अशोक के पिता उन्हें वकील बनाना चाहते थे लेकिन अशोक की सोच अपने पिता से इस बात पर मेल नहीं खाती थी। अशोक कुमार ने अपनी बहन के पास मुंबई आने का फैसला लिया था और अपने जीजा से उनकी कंपनी, ‘बॉम्बे टॉकीज’ में नौकरी लगाने की दर्ख़ास्त की थी। अशोक के जीजा ने उन्हें अपनी कंपनी में लेबोरेटरी असिस्टेंट के पद पर नौकरी दिलाई थी।
अशोक के पिता इस बात से बिलकुल ना खुश थे लेकिन अपने दमांद के कहने पर उन्होंने अशोक को ना चाहते हुए भी इसकी इज़ाज़त दी थी। अशोक कुमार ने लगभग 5 सालो तक उस कंपनी में एक लेबोरेटरी असिस्टेंट के पद पर काम किया था।
अशोक का अभिनेता बनाने का सफर साल 1936 में शुरू हुआ था। बॉम्बे टॉकीज के मालिक ने अशोक को अभिनेता ‘नज्म-उल- हसन’ की जगह पर अभिनेत्री ‘देविका रानी’ के साथ मुख्य किरदार को दर्शाने के लिए चुना था। अशोक की पहली फिल्म का नाम ‘जीवन नैया’ था जिसमे उन्होंने ‘रंजीत’ नाम के किरदार को दर्शाया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘फ्रांज़ ओस्टेन’ थे।
उसी साल अशोक ने दो और फिल्मो में अभिनय किया था जिनका नाम ‘अछूत कन्या’ और ‘जन्मभूमि’ था। साल 1937 की शुरुआत अशोक ने फिल्म ‘सावित्री’ के साथ की थी। इस फिल्म में उन्होंने ‘सत्यवान’ नाम का किरदार अभिनय किया था। इसके बाद उन्होंने फिल्म ‘प्रेम कहानी’ में भी अभिनय किया था जिसके निर्देशक ‘फ्रांज़ ओस्टेन थे। उस साल का अंत अशोक कुमार ने फिल्म ‘इज़्ज़त’ में ‘कन्हैया’ के किरदार को दर्शाने के साथ किया था।
अशोक कुमार का फिल्मो का बाद का सफर
साल 1940 में सबसे पहले अशोक को फिल्म ‘बंधन’ में देखा गया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘एन. आर. आचार्य’ थे और फिल्म में अशोक ने ‘निर्मल’ नाम के किरदार को दर्शाया था। इस फिल्म में अशोक के साथ लीला और सुरेश ने मुख्य किरदार को दर्शाया था। उसी साल उन्होंने फिल्म ‘आज़ाद’ में भी अभिनय किया था।
साल 1941 से साल 1945 तक अशोक को कई फिल्मो में देखा गया था। उनमे से कुछ सफल फिल्मो के नाम ‘नया संसार’, ‘झूला’, ‘अनजान’, ‘नज्म’, ‘अंगूठी’, ‘किरन’, ‘बेगम’ और ‘हुमायूँ’ हैं।
साल 1946 में अशोक ने फिल्म ‘शिकारी’ में अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘सवक वि. वाचा’ थे और फिल्म में मुख्य किरदारों को अशोक कुमार, किशोर कुमार, पारो देवी और वीरा ने अभिनय किया था। इसके बाद उसी साल उन्होंने फिल्म ‘उत्तरा अभिमन्यु’ में अभिनय किया था।
साल 1947 में अशोक ने अपना डेब्यू बंगाली फिल्मो में भी किया था। उनकी पहली बंगाली फिल्म का नाम ‘चंद्रशेखर’ था जिसमे उन्होंने ‘प्रताप’ नाम के किरदार को दर्शाया था। इसके बाद उसी साल उन्होंने हिंदी फिल्म ‘साजन’ में अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘किशोर साहू’ थे और फिल्म में अशोक ने ‘प्रकाश’ नाम के किरदार को दर्शाया था। इस फिल्म में अशोक और रेहाना को मुख्य किरदार को दर्शाते हुए देखा गया था।
साल 1950 की अशोक कुमार की सबसे पहली फिल्म का नाम ‘समाधी’ था। इस फिल्म के निर्देशक ‘रमेश सैगल’ थे और फिल्म में अशोक ने ‘शेखर’ नाम के किरदार को दर्शाया था। इस फिल्म के बाद अशोक ने उसी साल फिल्म ‘संग्राम’ में अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘ज्ञान मुख़र्जी’ थे और फिल्म में अशोक ने ‘कुंवर’ नाम के किरदार को दर्शाया था।
उसी साल उन्होंने फिल्म ‘आधी रात’ में अभिनय किया था और साल का अंत फिल्म ‘मशाल’ के साथ किया था। इस फिल्म में अशोक ने ‘समर’ नाम के किरदार को दर्शाया था और फिल्म के निर्देशक ‘यश चोपड़ा’ थे।
साल 1951 की बात करे तो उस साल अशोक को फिल्म ‘अफसाना’ में देखा गया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘बलदेव राज चोपड़ा’ थे और फिल्म में अशोक ने ‘रतन कुमार’ और ‘दीवान चमन कुमार’ नाम का किरदार अभिनय किया था। इस फिल्म में मुख्य किरदारों को अशोक कुमार, प्राण और वीना ने दर्शाया था। उसी साल उन्होंने एक और फिल्म में भी अभिनय किया था जिसका नाम ‘दीदार’ था। इस फिल्म में अशोक ने ‘डॉ. किशोर’ नाम का किरदार अभिनय किया था।
साल 1952 में अशोक ने फिल्म ‘राग रंग’, ‘काफिला’, ‘जलपरी’, ‘बेताब’, ‘पूनम’, ‘सलोनी’ और ‘तमाशा’ में अभिनय किया था। इन फिल्मो के अलावा उन्हें फिल्म ‘बेवफा’ में भी देखा गया था जिसके निर्देशक ‘एम एल आनंद’ थे। फिल्म में अशोक ने ‘अशोक’ नाम के किरदार को दर्शाया था।
साल 1953 से साल 1955 की बात करे तो उन सालो में अशोक कुमार ने कुल 7 ही फिल्मो में अभिनय किया था। साल 1956 की शुरुआत अशोक ने फिल्म ‘इंस्पेक्टर’ के साथ की थी। इस फिल्म के निर्देशक ‘शक्ति समानता’ थे और फिल्म में अशोक ने ‘श्याम’ नाम के किरदार को दर्शाया था। इस फिल्म में मुख्य किरदारों को गीता बलि, प्राण और अशोक कुमार ने ही दर्शाया था।
उसी साल उन्होंने फिल्म ‘भाई- भाई’ में ‘अशोक कुमार’ नाम का ही किरदार अभिनय किया था। उस साल का अंत अशोक ने फिल्म ‘एक ही रास्ता’ के साथ किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘बी. आर चोपड़ा’ थे और फिल्म में अशोक ने ‘प्रकाश मेहता’ नाम का किरदार अभिनय किया था।
अशोक कुमार का फिल्मो का सफल सफर
साल 1957 में अशोक को फिल्म ‘जीवन साथी’ में अभिनय करते हुए देखा गया था। इसके बाद अशोक को फिल्म ‘शेरू’, ‘उस्ताद’, ‘मिस्टर एक्स’, ‘बंदी’, ‘तलाश’ और ‘एक साल’ में भी देखा गया था।
साल 1958 की शुरुआत अशोक ने फिल्म ‘नाईट क्लब’ के साथ की थी। इस फिल्म में अशोक ने ‘इंस्पेक्टर किशोर’ नाम का किरदार अभिनय किया था और उनके साथ फिल्म में ‘कामिनी कौशल’ को देखा गया था। इसके बाद उस साल अशोक ने फिल्म ‘सवेरा’ में भी अभिनय किया था जहाँ उनके किरदार का नाम ‘कुंदन’ था।
उसी साल की अशोक की तीसरी फिल्म का नाम ‘फरिश्ता’ था जिसके निर्देशक ‘रविंद्र दावे’ थे। फिल्म में अशोक ने ‘अशोक’ नाम के ही किरदार को दर्शाया था। इस फिल्म के बाद उन्होंने फिल्म ‘सितारों से आगे’ में अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘सत्येन बोस’ थे और फिल्म में अशोक ने ‘राजेश’ नाम के किरदार को दर्शाया था।
साल 1959 और साल 1960 में अशोक को फिल्म ‘बाप बेटे’, ‘नई राहें’, ‘ढाका’, ‘धुल का फूल’, ‘कल्पना’, ‘हॉस्पिटल’, ‘आँचल’, ‘मोनसून, ‘काला आदमी’ और ‘कानून’ में अभिनय किया था। साल 1961 की शुरुआत अशोक ने फिल्म ‘डार्क स्ट्रीट’ के साथ किया था। इसके बाद उन्हें फिल्म ‘फ्लैट न. 9’, ‘वारंट’, ‘धर्मपुत्र’ और ‘करोड़पति’ में भी देखा गया था।
साल 1962 की शुरुआत अशोक ने फिल्म ‘इसी का नाम दुनिया है’ के साथ किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘शक्ति समानता’ थे और फिल्म में अशोक ने ‘राजा’ नाम के किरदार को दर्शाया था। इसके बाद उन्होंने फिल्म ‘नक़ली नवाब’, ‘मेहंदी लगी मेरे हाथ’, ‘बरमाह रोड’, ‘बेज़ुबान’, ‘प्राइवेट सेक्रेटरी’ में अभिनय किया था।
इसके बाद उसी साल अशोक ने फिल्म ‘राखी’ में भी अभिनय किया था, जिसके निर्देशक ‘ए. भीम सिंघ’ थे। इस फिल्म में अशोक ने ‘राज कुमार’ उर्फ़ ‘राजू’ नाम का किरदार अभिनय किया था। साल की अशोक की आखरी फिल्म का नाम ‘आरती’ था जिसमे अशोक ने ‘डॉ. प्रकाश’ नाम का किरदार अभिनय किया था।
साल 1963 में अशोक ने फिल्म ‘मेरा मेहबूब’, ‘उस्तादों के उस्ताद’, ‘गुमराह’, ‘बंदिनी’, ‘आज और कल’ और ‘मेरी सूरत तेरी आँखे’ में अभिनय किया था। यह सभी फिल्मे बॉक्स ऑफिस में सुपरहिट रहीं थीं। साल 1964 में भी अशोक ने सुपरहिट फिल्मे ‘पूजा के फूल’, ‘फूलों की सेज’ और ‘चित्रलेखा’ में अभिनय किया था।
साल 1965 से साल 1970 तक का सफर अशोक का फाफी दिलचस्ब रहा था। उन सालो में अशोक कुमार ने ‘आकाशदीप’, ‘बहु बेटी’, ‘भीगी रात’, ‘चाँद और सूरज’, ये ज़िन्दगी कितनी हसीन है’, ‘दादी माँ’, ‘अफसाना’, ‘बहु बेगम’, ‘आशीर्वाद’, ‘इंतक़ाम’, ‘दो भाई’, ‘पैसा या प्यार’, ‘भाई बहन’, ‘शराफत’, ‘सफर’, ‘जवाब’ जैसी कई सारी फिल्मो में अपने अभिनय को दर्शाया था।
साल 1971 में सबसे पहले अशोक को फिल्म ‘अधिकार’ में देखा गया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘एस. एम सागर’ थे और फिल्म में अशोक ने ‘बैरिस्टर शुक्ला’ नाम का किरदार अभिनय किया था। इसके बाद उस साल की अशोक की अगली फिल्म ‘हम तुम और वो’ थी जिसमे उन्होंने ‘महेन्द्रनाथ’ नाम के किरदार को दर्शाया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘शिव कुमार’ थे।
उसी साल फिर अशोक ने फिल्म ‘नया ज़माना’ में अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘प्रमोद चक्रवोर्ति’ थे और फिल्म में अशोक ने ‘सचिन चौधरी’ नाम के किरदार को दर्शाया था।
साल 1972 में भी अशोक ने सुपरहिट फिल्म ‘विक्टोरिया न. 203’ में अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘ब्रिज’ थे और फिल्म में अशोक ने ‘राजा’ नाम का किरदार अभिनय किया था। इसी साल अशोक कुमार को फिल्म ‘राखी और हथकंडी’ में देखा गया था। इस फिल्म में अशोक ने ‘ठाकुर वीरेंदर सिंह’ नाम का किरदार अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘एस एम सागर’ थे।
साल 1973 से साल 1975 तक अशोक ने कुल 18 फिल्मो में अभिनय किया था। उन सभी फिल्मो में से जो फिल्मे बॉक्स ऑफिस में सफल रहीं थीं उनके नाम ‘हिफाज़त’, ‘खून की कीमत’, ‘प्रेम नगर’, ‘दुल्हन’, ‘एक महल हो सपनो का’, ‘चोरी मेरा काम’, ‘टैक्सी ड्राइवर’, ‘दफा 302’, ‘मिली’ और ‘छोटी सी बात’ हैं। इनके अलावा बाकी सभी फिल्मो को दर्शको ने ना पसंद किया था।
साल 1976 में अशोक ने फिल्म ‘बालिका वधु’ में काम किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘तरुण मजूमदार’ थे और फिल्म में अशोक ने अपनी आवाज़ का उपयोग किया था।
साल 1977 की शुरुआत अशोक कुमार ने फिल्म ‘चला मुरारी हीरो बनने’ में अभिनय करने के साथ किया था। फिल्म के निर्देशक ‘जी असरानी’ थे और फिल्म में अशोक ने ‘रामेल’ नाम का किरदार अभिनय किया था। इसके बाद उन्होंने फिल्म ‘हीरा और पत्थर’ में अभिनय किया था जहाँ उनके किरदार का नाम ‘डॉ. आनंद’ था। अशोक ने उस साल कुछ और हिट फिल्मो में भी अभिनत किया था जिनका नाम ‘ड्रीम गर्ल’, ‘मस्तान दादा’ और ‘अनुरोध’ था।
साल 1980 की शुरुआत अशोक ने फिल्म ‘ज्योति बने ज्वाला’ के साथ कि थी, जिसके निर्देशक ‘दसारी नारायणा राओ’ थे। इस फिल्म में अशोक ने ‘डॉ. बोस’ नाम का किरदार अभिनय किया था। इसके बाद उन्होंने फिल्म ‘आप के दीवाने’ में भी अभिनय किया था। इस फिल्म में उन्होंने ‘इन्शाल्ला खान’ नाम का किरदार अभिनय किया था।
साल 1982 में अशोक को फिल्म ‘अनोखा बंधन’ में देखा गया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘मेहुल कुमार’ थे और फिल्म में अशोक ने ज़मींदार का किरदार अभिनय किया था। उन्होंने उस साल फिल्म ‘शक्ति’, ‘शौक़ीन’, ‘पत्थर की लकीर’, ‘डायल 100’, ‘मेहंदी रंग लाएगी’, ‘दर्द का रिश्ता’ और ‘हीरों का चोर’ में भी अभिनय किया था।
साल 1983 में अशोक ने फिल्म ‘चोर पुलिस’ में अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘अमजद खान’ थे और फिल्म में अशोक ने ‘मिस्टर सिन्हा’ नाम का किरदार अभिनय किया था। इसके बाद साल 1984 में अशोक ने फिल्म ‘दुनिया’ में अभिनय किया था। इस फिल्म में उन्होंने ‘आर. डी. पूरी’ नाम के किरदार को दर्शाया था।
साल 1986 में अशोक कुमार द्वारा अभिनय किए गए फिल्मो के नाम ‘असली नक़ली’, ‘अम्मा’, ‘कटी’, ‘इन्तेक़ाम की आग’ और ‘शत्रु’ थे। साल 1987 में अशोक एक बार फिर एक सुपरहिट फिल्म का हिस्सा बने थे। उस फिल्म के नाम ‘मिस्टर इंडिया’ था, जिसके निर्देशक ‘शेखर कपूर’ थे। इस फिल्म में अशोक को ‘प्रोफेसर सिन्हा’ नाम का किरदार अभिनय करते हुए देखा गया था।
साल 1988 से साल 1990 तक अशोक ने फिल्म ‘फैसला’, ‘भारत एक खोज’, ‘इन्तेक़ाम’, ‘दाना पानी’, ‘अनजाने रिश्ते’, ‘क्लर्क’, ‘मजबूर’, ‘ममता की छाओ में’ मे अभिनय किया था।
साल 1993 में अशोक ने दो ही फिल्मो में अभिनय किया था। उनमे से पहले फिल्म का नाम ‘कन्यादान’ था। उस साल की अशोक की दूसरी फिल्म का नाम ‘आँसू बने अंगारे’ था, जिसके निर्देशक ‘मेहुल कुमार’ थे।
साल 1995 में अशोक को सबसे पहले फिल्म ‘मेरा दामाद’ में देखा गया था। इस फिल्म में उन्होंने ‘अजित खन्ना’ नाम का किरदार अभिनय किया था और फिल्म के निर्देशक ‘पार्थो घोष’ थे।
साल 1996 में अशोक ने फिल्म ‘आँखों में तुम हो’ में अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘अशीम समानता’ थे और फिल्म में अशोक ने ‘मिस्टर कपूर’ उर्फ़ ‘दादू’ नाम का किरदार अभिनय किया था। इसके बाद उसी साल उन्होंने फिल्म ‘बेकाबू’ और ‘दुश्मन दुनिया का’ में अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘अशोक मिश्रा’ थे और फिल्म में अशोक ने ‘डॉक्टर’ का किरदार दर्शाया था।
अशोक कुमार की हिंदी सिनेमा की आखरी फिल्म का नाम ‘रिटर्न ऑफ़ ज्वेल थीफ’ था जिसके निर्देशक ‘अशोक त्यागी’ थे। फिल्म में अशोक ने ‘प्रिंस अर्जुन सिंह’ नाम का किरदार अभिनय किया था।
पुरस्कार और उपलब्धियां
- साल 1959 में ‘संगीत नाटक अकैडमी अवार्ड’ से सम्मानित लिया गया था।
- साल 1962 में फिल्म ‘राखी’ के लिए ‘बेस्ट एक्टर’ का अवार्ड मिला था।
- साल 1963 में फिल्म ‘गुमराह’ के लिए ‘बेस्ट एक्टर’ का अवार्ड मिला था।
- साल 1969 में फिल्म ‘आशीर्वाद’ के लिए ‘बेस्ट एक्टर’ का अवार्ड मिला था।
- साल 1988 में ‘दादासाहेब फाल्के अवार्ड’ से सम्मानित किया गया था।
- साल 1994 में ‘स्टार स्क्रीन’ की तरफ से ‘लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड’ से सम्मानित किया गया था।
- साल 1999 में ‘पद्मा भूषण’ अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
- साल 2007 में ‘स्पेशल अवार्ड’ से सम्मानित किया गया था।
अशोक कुमार का निजी जीवन
अशोक कुमार ने 20 अप्रैल 1936 को ‘शोभा देवी’ से शादी की थी। अशोक और शोभा का एक बेटा है और तीन बेटियां हैं। बेटे का नाम ‘अरूप कुमार गांगुली’ है और बेटियों के नाम ‘प्रीती गांगुली’, ‘भारती जफ्फेरी’ और ‘रूपा गांगुली’ हैं।
अशोक कुमार की पसंदीदा चीज़ो की बात करे तो उनकी पसंदीदा अभिनेता ‘देविका रानी’ हैं। अशोक के पसंदीदा गायक ‘के एल सैगल’ हैं। उन्हें फिल्मो में सबसे अधिक पसंद फिल्म ‘चलती का नाम गाडी’ है।
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