BharatPe के संस्थापक और प्रबंध निदेशक अशनीर ग्रोवर पिछले कुछ दिनों से कई गलत वजहों से सुर्खियां बटोर रहे हैं। BharatPe के सह-संस्थापक की मुश्किलें खत्म ही नहीं हो रही हैं। पिछले कुछ दिनों से उन पर धोखाधड़ी के आरोपों के लिए जांच की जा रही है और ऐसे संभावना पनपती नज़र आ रही है कि उन्हें अपनी ही कंपनी से निकाल दिया जाएगा। इन आयोजनों के विपरीत, वहीं दूसरी ओर अशनीर ग्रोवर इन्ही ने कंपनी के बोर्ड के सदस्यों से सीईओ सुहैल समीर को बोर्ड से हटाने की पुरज़ोर मांग की है। ग्रोवर ने 2 फरवरी को बोर्ड के सदस्यों को सम्बोधित करते हुए एक नोट में लिखा,”मैं, अब , एसएचए के खंड 3.7 और एओए के खंड 91.7 द्वारा मुझमें निहित शक्ति का प्रयोग करते हुए, कंपनी के निदेशक मंडल में मेरे द्वारा नामित निदेशक के रूप में सुहैल समीर के मेरे नामांकन को वापस लेते हैं। इस दस्तावेज की समीक्षा ECONOMIC TIMES ने की है।
सुहैल समीर को 2020 में ग्रोवर द्वारा नौकरी पर रखा गया था और अगस्त 2021 में भारतेपे का मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO के रूप में कार्यभार सँभालने के लिए नामांकित किया था। ठीक उसी समय ग्रोवर ने प्रबंध निदेशक की भूमिका के रूप में कार्यभार संभाला था ।
गौर करने की बात यह है कि नोट में सुहैल समीर को बोर्ड से हटाने के लिए भारतपे के अन्य सह-संस्थापक शाश्वत मनसुखभाई नाकरानी की सहमति भी शामिल है। शाश्वत नाकरानी और अशनीर ग्रोवर ने संयुक्त रूप से समीर को 20 अगस्त, 2021 को कंपनी के निदेशक के रूप में नामित किया था।
भारतपे के शेयरधारक के समझौते के तहत, पत्र में उल्लेख किया गया है कि प्रत्येक संस्थापक को बोर्ड के निदेशक के रूप में नामित करने का अधिकार है और किसी अन्य व्यक्ति को निदेशक के रूप में नामित किया जा सकता है (स्वयं संस्थापक के बजाय) जब निवेशकों की पूर्व सहमति हो, जो दर्शाता हो ‘ बहुसंख्यक निवेशक सीमा’।
रिपोर्ट में ‘वित्तीय अनियमितताओं’ का खुलासा किया गया है
शुक्रवार की सुबह, ECONOMIC TIMES ने सूचित किया कि BharatPe के बोर्ड द्वारा शुरू किए गए प्रारंभिक जांच में गैर-मौजूद विक्रेताओं को भर्तियों और भुगतान के आसपास वित्तीय अनियमितताओं के सबूत मिले थे। यह जांच Alvarez and Marsal (A&M) द्वारा की गई है। A&M की 24 जनवरी की रिपोर्ट में यह बताया गया है कि BharatPe अपने माध्यम से भर्ती किए गए कर्मचारियों के लिए कई ‘परामर्शदाताओं’ को भर्ती शुल्क का भुगतान करता था।
रिपोर्ट के अनुसार,“पांच मामलों में, कर्मचारियों ने विक्रेता चालान में शामिल होने की तारीख की पुष्टि की है। लेकिन उन्होंने कथित सलाहकार या उनके किसी भी जानकार के माध्यम से भर्ती होने या नियुक्त होने या इस बात की भनक होने तक से इनकार किया है। इस रिपोर्ट की समीक्षा ईटी द्वारा की गई है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ग्रोवर की पत्नी माधुरी जैन ने इनमें से कम से कम तीन चालान स्वयं लिए और उन्हें भुगतान के लिए कंपनी को भेज दिया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चालान माधुरी जैन के भाई श्वेतांक जैन ने बनाया था। रिपोर्ट का कहना है,”इन सभी का ‘पानीपत कनेक्शन’ प्रतीत होता है।” गौर करने की बात है कि माधुरी ग्रोवर मूल रूप से पानीपत की रहने वाली हैं।