विषय-सूचि
अल्ट्रावायलेट किरणें क्या है? (ultraviolet rays definition in hindi)
विसबल लाइट, इंफ्रारेड और रेडियो वेव्स की तरह ही अल्ट्रावायलेट लाइट भी एलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन है। स्पेक्ट्रम पर, UV लाइट 4 से 400 नैनोमीटर तक वेवलेंथ के साथ वायलेट लाइट और एक्स किरणो के बीच होता है।
यद्यपि यह नग्न आंखों से नही देखी जाती लेकिन सूर्य के अधिक सम्पर्क में आने से हम इसके प्रभावों को नोट कर सकते है। क्योंकि यही रेडिएशन सनबर्न, स्किन कैंसर और अन्य बीमारियों को बनाती है।
अल्ट्रावायलेट किरणों का विभाजन (classification of ultraviolet rays in hindi)
वैज्ञानिकों ने स्पेक्ट्रम के UV हिस्से को तीन क्षेत्रों में विभाजित किया है। निकट यू वी( NUV), दूर यू वी(FUV) और चरम यु वी(EUV)। तीनो क्षेत्रों को अल्ट्रावायलेट रेडिएशन की ऊर्जा और वेवलेंथ के आधार पर अलग किया गया है।
नियर यु वी, या कहें कि NUV ऑप्टिकल या दृश्यप्रकाश( विज़िबल लाइट) के निकट है। एक्सट्रीम यू वी , EUV, एक्स किरण के सबसे नजदीकी अल्ट्रावायलेट लाइट है और यह इन तीनों प्रकार में से सबसे ऊर्जावान है। फार यु वी , FUV नियर UV और EUV क्षेत्रो के बीच स्थित है।
एलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम और अल्ट्रावायलेट विकिरण (uv rays in electromagnetic spectrum in hindi)
अल्ट्रावायलेट रेडिएशन को एक्स किरणें और विज़िबल लाइट के बीच एलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम के हिस्से के रूप में परिभाषित किया जाता है। यानी, 40 और 400 nm( 30-3 इवी) के बीच।
यू वी स्पेक्ट्रम वैक्यूम यू वी(40-190nm), UVC(220-290nm), UVB(290-320) और UVA(320-400nm) में बाटा गया है।
अल्ट्रावायलेट रेडिएशन के स्त्रोत (sources of ultraviolet rays in hindi)
सूर्य युवी विकिरण का हमारा प्राथमिक प्राकृतिक स्रोत है। कृत्रिम स्तोत्र में टैनिंग बूथ, ब्लैक लाइट, क्युरिंग लैंप, जरमिसाइडल लैंप, हैलोजन लाइट, हाई intensity डिस्चार्ज लैंप्स, फ्लोरोसेंट और इंकैंडिसेंट सोर्सेज और कुछ प्रकार के लेज़र(एक्सीमर लेज़र, nitrozen लेज़र और तीसरे वेर्मोनिक एनडी शामिल है:याग लेज़र)।
अल्ट्रावायलेट रेडिएशन की खोज (discovery of ultraviolet rays in hindi)
अल्ट्रावायलेट रेडिएशन की खोज 1801 में हुई थी। जर्मन भौतिक वैज्ञानिक जोहान विल्हेम रिटेर ने देखा की दिखाई देने वाले स्पेक्ट्रम के वायलेट एन्ड से परे अदृश्य किरणें चांदी के क्लोराइड soaked कागज को वायलेट लाइट से ज्यादा तेजी से अंधेर कर देती है।
उन्होंने रासायनिक प्रतिक्रियाशीलता पर जोर देने के लिए उन्हें ‘ऑक्सीडइज़िंग किरणें’ कहा और उन्हें ‘हीट रे’ से भी अलग करने के लिए कहा जो पिछले वर्ष दिखाई देने वाले स्पेक्ट्रम के दूसरे छोर पर पाए गए थे।
इसके बाद शीघ्र ही रासायनिक किरणों को अपनाया गया था।1903 तक यह ज्ञात था कि सबसे प्रभावी वेवलेंथ 250 nm थी। 1960 में डीएनए पर अल्ट्रावायलेट विकिरण का प्रभाव स्थापित कीआ गया।
1893 में जर्मन भौतिक वैज्ञानिक श्युमन द्वारा 200nm से नीचे ववेलेंथ के साथ अल्ट्रावायलेट रेडिएशन की खोज की गई जिसे वैक्यूम अल्ट्रावायलेट नाम दिया गया।
अल्ट्रावायलेट किरणें और ओजोन परत (uv rays and ozone layer in hindi)
ओज़ोन परत को जीवन सहायक इसलिए माना जाता है कि इसमें कम वेवलेंथ का प्रकाश जो कि 300 नैनोमीटर से कम हो को अपने मे अवशोषित करने की विलक्षण क्षमता है।
जहां पर वातावरण में ओज़ोन उपस्थित नही होगी, वहां सूर्य की हानिकारक अल्ट्रावायलेट रेज़ पृथ्वी पर पहुचने लगेंगी। ये किरणें मनुष्य के साथ साथ जीव जंतुओं और पेड़ पौधों के लिए भी बहुत खतरनाक है। ओज़ोन पृथ्वी से 60 किलोमीटर की ऊंचाई पर पाई जाती है।
वायुमण्डल का यह क्षेत्र स्ट्रेटसफेयर कहलाता है। ध्रुवों के ऊपर इसकी परत की मोटाई 8 किलोमीटर है और विषुवत रेखा (equator line) के ऊपर इसकी मोटाई 17 किलोमीटर है।
अल्ट्रावायलेट किरणों के घातक प्रभाव (harmful effects of ultraviolet rays in hindi)
युवी किरणें घातक बीमारियों के लिए भी कसूरवार है।
- शरीर की त्वचा का काला पड़ते जाना।
- शरीर पर झुर्रियां पड़ना।
- समय स पहले बुढापा आना।
- त्वचा कैंसर- अल्ट्रावायलेट किरणे हमारे पर्यावरण में सबसे प्रमुख और सार्वभौमिक कैंसर पैदा करने वाला एजेंट है। त्वचा के कैंसर के तीन मुख्य प्रकारों में से प्रत्येक सूर्य के सम्पर्क में होता है। शोध से पता चलता है कि 90 प्रतिशत त्वचा कैंसर अल्ट्रावायलेट रेडिएशन के कारण है।
- यह आँखों को भी नुकसान पहुँचाता है। इनसे मोतियाबिंद जैसी बीमारियों में वृद्धि हो सकती है।
- वैज्ञानिकों का मानना है कि सूरज की रोशनी सूर्य के 24 घण्टे सम्पर्क से मनुष्य में बीमारियों से लड़ने वाले वाइट ब्लड सेल्स के वितरण और कार्य को बदल सकती है। अल्ट्रावायलेट रेडिएशन के बार बार शरीर एक्सपोज़र से यह इम्युनिटी सिस्टम को काफी नुकसान पहुँचा सकती है।
- ये किरणें पौधों की वृद्धि पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती है। जैसे- फोटोसिंथेसिस की क्रिया को कम कर देती है। इन किरणों के चलते पौधों और फसलों में बीजों का अंकुरण देर से होता है।
- लोग ऐसा अनुमान लगाते हैं कि ओज़ोन की परत को होने वाली क्षति से जलीय पारिस्थितिकी, विशेष रूप से मछलियां प्रभावित होती हैं।
अल्ट्रावायलेट किरणों के फायदे (benefits of ultraviolet rays in hindi)
- हमारे शरीर द्वारा विटामिन डी का उत्पादन करने के लिए सूर्य से यु वी की आवश्यकता होती है। विटामिन डी हड्डियों, मासपेशियों और शरीर के इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत करने में मदद करता है।
- यु वी का उपयोग त्वचा की बीमारियों के इलाज में किया जाता है। जैसे छालरोग, इस बीमारी में त्वचा अपनी कोशिकाओं(सेल्स) को बहुत तेज़ी से बहाती है और खुजली, पैच विकसित करती है। अल्ट्रावायलेट का एक्सपोज़र त्वचा कोशिकाओं के विकास को धीमा करता है और लक्षणों से राहत देता है।
- शोध से पता चलता है कि सूर्य की रोशनी मस्तिष्क में कुछ रसायनों का उत्पादन करने के लिए उत्तेजित करती है। जैसे ट्राईपटामाइंस ये रसायन हमारी मनोदशा में सुधार करती है।
- अल्ट्रावायलेट रेडिएशन सूरज की रोशनी या गर्मी की तरह नही है, जिसे हम देख सके या महसूस कर सके। आपकी इंद्रिया यु वी रेडिएशन का पता नही लगा सकती है।
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