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    अर्धचालक semiconductor in hindi

    विषय-सूचि

    अर्धचालक क्या है? (semiconductor definition in hindi)

    अर्धचालक (semiconductor) पदार्थ वह होता है जिसके विद्युतीय गुण सुचालकों तथा कुचालक के मध्य होते हैं। जर्मेनियम तथा सिलिकॉन इन पदार्थ के सबसे चर्चित उदाहरण हैं।
    ऊर्जा बैंड धारणा के अनुसार कमरे के ताप पर अर्धचालक पदार्थ वे हैं जिनके:

    1. चालन व संयोजी बैंड आंशिक रूप से भरे हुए हो।
    2. जिनके मध्य का निषिद्ध ऊर्जा बैंड (Forbidden energy band) काफी संकरा लगभग एक इलेक्ट्रॉन वोल्ट की कोटि का हो, जैसे- जर्मेनियम के लिए यह 0.75 इलेक्ट्रॉन वोल्ट तथा सिलिकॉन के लिए लगभग 1.12 इलेक्ट्रॉन वोल्ट की कोटि का होता है।

    अर्धचालकों के विशेष गुण (special properties of semiconductor in hindi):

    1. ताप बढ़ाने पर अर्धचालकों की विद्युत चालकता बढ़ती है, इस कारण ही अर्धचालकों का प्रतिरोध ताप गुणांक ऋणात्मक होता है।
    2. अर्धचालकों में बहुत से अन्य उपयोगी गुण भी देखने को मिलते हैं, जैसे किसी एक दिशा में दूसरे दिशा की अपेक्षा आसानी से धारा का प्रवाह होना अर्थात् भिन्न-भिन्न दिशाओं में विद्युतचालकता का भिन्न-भिन्न होना।
    3. इसके अलावा नियंत्रित मात्रा में अशुद्धियाँ (impurities) डालकर अर्धचालकों की चालकता को कम या अधिक किया जा सकता है।
    4. इन अशुद्धियों को मिलाने की प्रक्रिया को ‘डोपन’ (doping) कहते हैं। डोपिंग करके ही इलेक्ट्रानिक युक्तियों (डायोड, ट्रांजिस्टर आदि) का निर्माण किया जाता है।
    5. इनकी चालकता को बाहर से लगाए गए विद्युत क्षेत्र या प्रकाश के द्वारा भी परिवर्तित किया जा सकता है।

    अर्धचालक के प्रकार (Type of semiconductor in hindi):

    अर्धचालक दो प्रकार के होते हैं-

    1. निज अर्धचालक (Intrinsic Semiconductor in hindi):

    अर्धचालक जिसमें कोई भी अशुद्धियां या अपद्रव्य ना मिला हो उसे निज अर्धचालक कहते हैं। इस प्रकार शुद्ध जर्मेनियम तथा सिलिकॉन अपनी प्राकृतिक अवस्था में निज अर्धचालक हैं।

    2. बाह्य अर्धचालक (Extrinsic Semiconductor in hindi):

    निज अर्धचालकों की वैद्युत चालकता बहुत कम होती है। परंतु यदि किसी ऐसे पदार्थ को बहुत थोड़ी सी मात्रा, जिसकी संयोजकता 5 अथवा 3 हो,  शुद्ध जर्मेनियम अथवा सिलिकॉन क्रिस्टल में अशुद्धि के रूप में मिश्रित करते है तो क्रिस्टल की चालकता काफी बढ़ जाती है।

    मिश्रित करने की प्रक्रिया को डोपिंग (Doping) कहते हैं। ऐसे अशुद्ध अर्धचालक को बाह्य अर्धचालक कहते हैं।

    बाह्य अर्धचालक दो प्रकार के होते हैं-

    n-टाइप अर्धचालक (n-type Semiconductor in hindi):

    जब किसी जर्मेनियम अथवा सिलिकॉन क्रिस्टल में पांच संयोजकता वाला अपद्रव्य परमाणु मिलाया जाता है तो तो वह जर्मेनियम के एक परमाणु को हटाकर उसका स्थान ले लेता है।

    अपद्रव्य परमाणु के पांच संयोजक इलेक्ट्रानों में से 4 इलेक्ट्रान अपने चारों ओर स्थित जर्मेनियम के चार परमाणुओं के एक-एक संयोजक इलेक्ट्रॉन के साथ सहसंयोजक बंध बना लेते हैं। 5 वां संयोजक इलेक्ट्रॉन अपद्रव्य के परमाणु से अलग हो जाता है तथा क्रिस्टल के भीतर मुक्त रूप से चलने लगता है।

    यही इलेक्ट्रान और आवेश वाहक का कार्य करता है करता। इस प्रकार शुद्ध जर्मेनियम में अपद्रव्य  मिलाने से मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या बढ़ जाती है अर्थात क्रिस्टल की चालकता बढ़ जाती है।

    इस प्रकार के अशुद्ध जर्मेनियम क्रिस्टल को  n-टाइप अर्धचालक कहते हैं क्योंकि इसमें आवेश वाहक (मुक्त इलेक्ट्रॉन) ऋणात्मक होते हैं। अपद्रव्य परमाणुओं को दाता परमाणु परमाणु परमाणु कहते हैं क्योंकि ये क्रिस्टल को चालक इलेक्ट्रॉन प्रदान करते हैं।

    p-टाइप अर्धचालक (p-type Semiconductor in hindi):

    यदि जर्मेनियम अथवा सिलिकॉन क्रिस्टल में तीन संयोजकता वाला अपद्रव्य परमाणु को मिलाया जाता है तो यह भी एक जर्मेनियम परमाणु का स्थान ले लेता है। इसके तीन संयोजक इलेक्ट्रॉन तीन निकटतम जर्मेनियम परमाणुओं के एक-एक संयोजक इलेक्ट्रॉन के साथ मिलकर सहसंयोजक बंध बना लेते हैं।

    जबकि जर्मेनियम का चौथा संयोजक इलेक्ट्रॉन बंध नहीं बना पाता। अतः क्रिस्टल में अपद्रव्य परमाणु के एक ओर रिक्त स्थान रह जाता है जिसे कोटर (Hole) कहते हैं।

    बाह्य वैद्युत क्षेत्र लगाने पर कोटर में पड़ोसी जर्मेनियम परमाणु से बंधा हुआ एक इलेक्ट्रॉन आ जाता है जिससे पड़ोसी परमाणु में एक स्थान रिक्त होकर कोटर बन जाता है।

    इस प्रकार कोटर क्रिस्टल के भीतर एक स्थान से दूसरे स्थान पर विद्युत क्षेत्र की विपरीत दिशा में चलने लगता है। स्पष्ट है कि कोटर धनावेशित कण के तुल्य जो इलेक्ट्रॉन के सापेक्ष विपरीत दिशा में चलता है।

    इस प्रकार के अपद्रव्य मिले जर्मेनियम क्रिस्टल को p-टाइप अर्धचालक कहते हैं क्योंकि इसमें आवेश वाहक धनात्मक होते हैं। अपद्रव्य परमाणुओं को ग्राही परमाणु कहते हैं क्योंकि वह शुद्ध अर्धचालक से इलेक्ट्रॉनों को ग्रहण करता है।

    अर्धचालक के उदाहरण, युक्ति (Semiconductor Devices in hindi):

    1. p-n संधि डायोड (p-n junction diode in hindi)

    p-n संधि डायोड एक मूल अर्धचालक युक्ति है। यह एक अर्धचालक क्रिस्टल होता है जिसके एक क्षेत्र में ग्राही अपद्रव्य की अधिकता तथा दूसरे क्षेत्र में दाता अपद्रव्यों की अधिकता होती है। इन क्षेत्रों को क्रमशः p-क्षेत्र तथा n-क्षेत्र कहते हैं तथा इन क्षेत्रों के बीच परिसीमा को p-n संधि कहते हैं।

    2. प्रकाश उत्सर्जक डायोड (Light Emitting Diodes: LED in hindi)

    एक ऐसी युक्ति है जो बायसिंग  बैटरी की विद्युतीय ऊर्जा का विकिरण ऊर्जा में परिवर्तन करती है। यह एक p-n संधि है जो सामान्य p-n संधियों से अधिक अपमिश्रित होती है।

    इसका उपयोग चोर सूचक घंटी बनाने (Burglar alarms), प्रकाशीय कंप्यूटर मेमोरी में सूचना प्रवेश के लिए, कंप्यूटर तथा केलकुलेटर के अंक व शब्द (alpha numeric display) प्रदर्शन में,तथा टेलीविजन के रिमोट कंट्रोल में भी किया जाता है।

    3. फोटो डायोड (Photo Diode in hindi)

    यह एक ऐसी युक्ति है जो प्रकाशीय संकेतों के संसूचन में प्रयोग की जाती है। फोटो डायोड एक प्रकाश संवेदनशील अर्धचालक से बनी ऐसी p-n संधि है जो कि संधि पर आपतित प्रकाश के प्रभाव पर आधारित हैं।

    इस डायोड का उपयोग प्रकाश संचालित कुंजियों (switch) कम्प्यूटर पंचकार्डों आदि को पढ़ने में किया जाता है।

    4. ट्रांजिस्टर (Transistor in hindi)

    यह p व n प्रकार के अर्धचालकों से बनी एक ऐसी इलेक्ट्रॉनिक की की युक्ति है जो ट्रायोड वाल्व के स्थान पर प्रयोग की जाती है। ट्रान्जिस्टर का उपयोग अनेक प्रकार से होता है।

    इसे प्रवर्धक, स्विच, वोल्टेज नियामक (रेगुलेटर), संकेत न्यूनाधिक (सिग्नल माडुलेटर), आसिलेटर आदि के रूप में काम में लाया जाता है।

    अर्धचालक उपकरणों के लाभ (advantage of semiconductor devices in hindi)

    1. चूंकि अर्धचालक उपकरणों में कोई फिलामेंट नहीं होता है, इसलिए इलेक्ट्रॉनों के उत्सर्जन के कारण उन्हें गर्म करने के लिए कोई शक्ति की आवश्यकता नहीं होती है।
    2. चूंकि कोई हीटिंग की आवश्यकता नहीं है, सर्किट चालू होने पर अर्धचालक उपकरण तुरंत काम करना शुरू हो जाते हैं।
    3. वैक्यूम ट्यूबों की तुलना में अर्धचालक उपकरणों को कम वोल्टेज ऑपरेशन की आवश्यकता होती है।
    4. वैक्यूम ट्यूबों की तुलना में सेमीकंडक्टर डिवाइस सस्ता हैं। अर्धचालक उपकरणों का लगभग असीमित जीवन है।

    अर्धचालक उपकरणों के नुकसान (disadvantages of semiconductor devices in hindi):

    1. वैक्यूम ट्यूबों की तुलना में अर्धचालक उपकरणों में शोर का स्तर अधिक है।
    2. साधारण अर्धचालक उपकरण, वैक्यूम ट्यूबों की तुलना में अधिक शक्ति सहन नहीं कर कर सकते हैं।

    इस विषय से सम्बंधित यदि आपके पास कोई सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

    12 thoughts on “अर्धचालक क्या है? प्रकार, उदाहरण, गुण, उपयोग”
    1. सेमीकंडक्टर का एक उदाहरण क्या है?

    2. प टाइप और प टाइप सेमीकंडक्टर का उपयोग क्या है?

    3. एक पी प्रकार अर्धचालक जर्मेनियम के साथ doped है बनाने के लिए?

    4. Upar diye gaye sabhi ardhchalakon me see sbse achchaa ardhchaalak konsa hota hai? Kya ye electricity conduct karta hai?

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