वित्तीय मंत्री अरुण जेटली ने रविवार वाले दिन अपने ब्लॉग पोस्ट में लिखा कि आधार लागू करने की वजह से 90,000 करोड़ रूपये की बचत हुई है जो ‘आयुष्मान भारत’ जैसी तीन और बड़ी योजनाओं को फण्ड करने के लिए काफी है।
उनके मुताबिक, “सरकार का ये अनुमान है कि पिछले कुछ सालों से मार्च 2018 तक, आधार के इस्तेमाल करने की वजह से 90,000 करोड़ रूपये की बचत हुई है। कई नकली लाभार्थी और गैर-मौजूद लाभार्थी भी खत्म हो गए हैं। वर्ल्ड बैंक द्वारा तैयार की गयी डिजिटल डिविडेंड रिपोर्ट का ये अनुमान है कि हर साल भारत आधार के इस्तेमाल करने की वजह से 77,000 करोड़ रूपये बचा सकता है।”
जेटली ने कहा कि पिछले 28 महीनों में, 122 करोड़ से अधिक आधार नंबर जारी किए गए हैं, जो भारत की 99% आबादी की 18 वर्ष से ऊपर की आयु को कवर करते हैं।
उन्होंने कहा, “कुछ राज्य सहायता योजनायें जैसे डीबीटी तंत्र को आधार से जोड़ा गया है। 22.80 करोड़ PAHAL और उज्जवला लाभार्थी को उनके आधार से जुड़े बैंक खातों में डीबीटी द्वारा खाना पकाने वाली गैस सब्सिडी दी गयी। 58.24 करोड़ राशन कार्ड धारक जुड़े हुए हैं। 10.33 करोड़ MGNREGA कार्ड धारकों को उनके बैंक खातों में डीबीटी के माध्यम से मजदूरी भुगतान मिलता है। राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के 1.93 करोड़ लाभार्थी और अन्य लाभार्थी को भी ये लाभ मौजूद हैं। आयकर विभाग ने पहले ही 21 करोड़ पैन कार्ड धारकों को उनके आधार नंबर के साथ जोड़ दिया है।”
जेटली ने आगे कहा कि 15 दिसम्बर, 2018 वाले दिन, 63.52 करोड़ बैंक खातों को विशिष्ट पहचान से जोड़ा गया था। लगभग 425 करोड़ सब्सिडी लेनदेन हुई थी। आधार के माध्यम से अब तक जितनी सब्सिडी दी गयी है, वो 169,868 करोड़ हैं।