अयोध्या के राममंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद पर आज दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। दोनों पक्षों ने अपनी दलीलों को रखा। केस के दौरान बहस बढ़ने पर और गवाहों और दस्तावेजों की पुष्टि न होने पर अदालत ने केस की सुनवाई 5 दिसंबर तक टाल दी है और कहा है कि उसके बाद तारीख बढ़ाई नहीं जायेगी और किसी भी पक्ष को और मोहलत नहीं दी जायेगी।
जाहिर है वर्षों से चले आ रहे राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी थी। सुनवाई से कुछ दिन पहले ही सिया बोर्ड ने बड़ा बयां देते हुए कहा था कि विवादित भूमि पर राम मंदिर बन जाए और उससे थोड़ी दूर ही मस्जिद बना दी जाए। इस फैसले का राम भगतों और बीजेपी नेताओं ने समर्थन किया था।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने गवाहों और जरूरी दस्तावेजों की पुष्टि के लिए 12 हफ़्तों का समय माँगा है। वहीँ मामले के पक्षकर रामलल्ला विराजमान के कहने पर अदालत ने उन्हें चार हफ़्तों का समय दे दिया है। अदालत में पेश हुए दस्तावेजों और जरूरी पन्नो में लिखी जानकारी मूलतः उर्दू, पाली, फ़ारसी, संस्कृत और अरबी में हैं और इसके अनुवाद के लिए सुन्नी बोर्ड ने अदालत से मांग की थी।
इससे पहले साक्षी महाराज ने विवादित जगह पर पूजा करने की अनुमति अदालत से मांगी थी। महाराज ने कहा कि यह करना उनका मौलिक अधिकार है। हालाँकि उनकी इस मांग पर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने विरोध जताया था और कहा कि इस मसले पर अदालत पहले ही फैसला कर चुका है और जब तक विवादित जमीन के मालिकाना हक़ का मसला हल नहीं होता है, तब तक ऐसा कुछ नहीं हो सकता।