ईरान पर अमेरिका ने आर्थिक प्रतिबन्ध लगा दिए थे और सभी देशों को ईरानी तेल खरीदने के लिए इनकार कर दिया था। अमेरिका ने कई देशों को तेल खरीदने में रियायत बरती थी। ईरान के वरिष्ठ ऊर्जा अधिकारी ने कहा कि अमेरिका प्रतिबंधों के बावजूद ईरान को नए खरीददार ढूंढने की उम्मीद है।
अमेरिका ने बीते माह ईरान के साथ हुई परमाणु संधि को तोड़ दिया था और ईरान की बैंकिग व वित्तीय प्रणाली पर प्रतिबंध लगा दिए थे। अमेरिका ने मात्र आठ देशों को ईरानी तेल खरीदने की इजाजत दी है। इसमें चीन, भारत, दक्षिण कोरिया, और अन्य देश शुमार हैं, जिन्हें अमेरिका के प्रतिबंधों से रियायत मिली थी। ईरानी तेल मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका द्वारा रियायत बरते गए देश एक बैरल अधिक तेल खरीदने के इच्छुक नहीं है।
ईरानी तेल मंत्री होस्सेन ज़मानिनिया ने बिना धिक् जानकारी देते हुए कहा कि “ईरानी बाज़ार पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद, तेल खरीदने वाले शसक्त खरीददारों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है, क्योंकि यह प्रतिस्पर्धी बाज़ार, लालची और अधिक फायदे की चाह रखने के कारण ऐसा संभव हो रहा है।
अमेरिका ने इटली, ग्रीस, ताइवान और तुर्की को 180 दिन की रियायत भी दी थी। वांशिगटन ईरानी के निर्यात को शून्य करना चाहता है ताकि सरकार पर परमाणु कार्यक्रम और मिसाइल कार्य को बंद करवा सके और मिडिल ईस्ट में अपने राजनीतिक और सैन्य प्रभुत्व को बढ़ा सके।
ईरान ने यूरोपीय देशों से आग्रह किया कि ईरानी तेल की राकमको अदा करने के लिए एक वित्तीय तंत्र का निर्माण करें। यूरोपीय देश अभी भी परमाणु संधि का पालन कर रहे हैं। तेल मंत्री ने कहा कि यह वित्तीय तंत्र (स्पेशल पर्पस वाइकल फॉर ट्रेड) मददगारी साबित होगा, लेकिन यूरोपीय देशों पर अमेरिकी प्रभाव के कारण यह संभव नहीं है।