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    होर्मुज़ जलमार्ग पर अमेरिकी नौसेना ने ईरानी ड्रोन को किया ध्वस्त

    खाड़ी क्षेत्र में तनाव में गुरूवार को काफी वृद्धि हो गयी जब डोनाल्ड ट्रम्प ने ऐलान किया कि अमेरिका की नौसेना ने होरमुज़ के जलमार्ग पर ईरान के ड्रोन को मार गिराया है। सिलसिलेवार हमलो के बाद यह अमेरिकी सेना के साथ ईरानी सेना का पहला आमना सामना है।

    ईरानी ड्रोन को किया ध्वस्त

    डोनाल्ड ट्रम्प ने ऐलान किया कि “जहाज यूएसएस बॉक्सर ने ईरान के ड्रोन के खिलाफ रक्षात्मक कदम उठाया था, ड्रोन जहाज और जाहज पर क्रू को भयभीत कर रहा था। यह ड्रोन तत्काल बॉक्सर से 914 मीटर की दूरी पर नष्ट हुआ था। यह ईरान के द्वारा हालिया कई भड़काऊ और शत्रुतापूर्ण कार्रवाई है। वह अंतरराष्ट्रीय जलमार्ग पर संचालित जहाजो के खिलाफ कार्रवाई करता है।”

    उन्होंने कहा कि “अमेरिका के समक्ष अपने सैनिको, सुविधाओं और हितो की रक्षा करने का अधिकार है और उन्होंने सभी राष्ट्रों से ईरान द्वारा नौचालन की आज़ादी को और वैश्विक वाणिज्य को बाधित करने की कोशिशो की आलोचना करने की है।”

    तेहरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद जरीफ ने पत्रकारों से कहा कि “उन्हें आज एक ड्रोन के खो जाने की कोई जानकारी नहीं है क्योंकि वह यूएन के महासचिव एंटोनियो गुएट्रेस के साथ मुलाकात के लिए यूएन के मुख्यालय गए थे।” ईरान ने रविवार को पनामा के ध्वज आगे जहाज रिआह और 12 क्रू सदस्यों को कब्जे में लेने का बचाव किया था और जहाज पर ईंधन की तस्करी का आरोप लगाया था।

    हाल ही में खाड़ी क्षेत्र में कई सिलसिलेवार हमले का जिम्मेदार ईरान को ठहराया था। ईरान की सरकारी सेना की तरफ से विश्वनीय और खतरे के संकेत की प्रतिक्रिया में पेंटागन ने मई में ईरान के जलमार्ग के नजदीक एयरक्राफ्ट कार्रिएर स्ट्राइक ग्रुप और एक बमवर्षक की तैनाती का ऐलान किया था।

    जून में तेहरान ने भी अमेरिका के निगारानी ड्रोन को गिराया था और डोनाल्ड ट्रम्प ने इसके तुरंत बाद हमले के आदेश दिए थे, हालाँकि हमले से कुछ समय पूर्व ही इस आदेश को वापस ले  लिया था। 4 जुलाई को ब्रोतें ने ईरान के तेल टैंकर को गिब्राल्टर के बंदरगाह से जब्त किया था और आइल कथित तौर पर सीरिया को तेल सप्लाई किया जा रहा था, जो प्रतिबंधो का उल्लंघन है।

    ईरान और पश्चिम के बीच गहराता संघर्ष

    ईरान ने ब्रिटेन की कार्रवाई को समुंदरी डकैती करार दी थी और इसका प्रतिकार लेने की धमकी दी थी। इन वारदात ने खाड़ी क्षेत्र में अमेरिका और सहयोगियों में संघर्ष के भय को बढ़ा दिया है। अमेरिका ने विगत वर्ष वैश्विक ताकतों के साथ हुई परमाणु संधि को तोड़ दिया था और ईरान पर एकतरफा आर्थिक प्रतिबंधों को थोप दिया था।

    बुधवार को न्यूयोर्क में यूएन के मुख्यालय में जावेद जरीफ ने अमेरिका पर आर्थिक आतंकवाद को भड़काने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि “गैरकानूनी प्रतिबन्ध, ईरान और अन्य पड़ोसी मुल्कों के सतत विकास के लक्ष्य को हासिल करने में सबसे बड़े खतरे का प्रतिनिधित्व करता है।”

    दोनों पक्षों के बीच बातचीत के आसार हैं लेकिन ईरान प्रतिबंधों के हटने पर ही बातचीत के लिए तैयार होगा। डोनाल्ड ट्रम्प भी बातचीत के लिए कई बार संकेत दे चुके हैं।

    ट्रम्प ने पत्रकारों से कहा कि “ईरान पर दबाव ने देश को क्षेत्रीय गतिविधियों को कम करने के लिए मजबूर किया है और यह बातचीत की राह बनाएगा। यह खुद को पीछे धकेल रहे हैं, इसलिए नहीं कि वह हमसे मोहब्बत करते हैं बल्कि उनके पास पैसे नहीं है। हम एक निष्पक्ष समझौते चाहते हैं और पुरानी संधि बेकार थी। हम कुछ जल्दी कर सकते हैं या अपना समय ले सकते हैं। में किसी हड़बड़ी में नहीं हूँ।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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