हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने आतंकवाद का साथ देने के लिए पाकिस्तान को चेताया था। पाकिस्तान ने इसका कड़ा विरोध किया था। पाकिस्तान के हालिया फैसलों से यह साफ है कि भविष्य में पाकिस्तान और अमेरिका के बीच संबंधों में और दूरियां आ सकती हैं।
आपको बता दें कि हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका का अफगानिस्तान में आतंवादियों के खिलाफ चल रहे युद्ध के बारे में भाषण दिया था। इस दौरान डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था कि पाकिस्तान आतंकवादियों को शरण देता आया है। पाकिस्तान के ऊपर जल्द कोई ना कोई फैसला करना होगा। पाकिस्तानी अधिकारीयों ने ट्रम्प के इस भाषण का जबरदस्त विरोध किया था। इसके साथ ही चीन ने पाकिस्तान का इस मसले पर साथ दिया था।
चीन ने कहा था कि पाकिस्तान सालों से आतंकवाद से लड़ता आया है। चीन के मुताबिक पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में बहुत सी जन-सम्पति को खोया है। इससे पहले चीनी उपराष्ट्रपति ने पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस पर पाकिस्तान का दौरा किया था। पाकिस्तान चीन का आर्थिक गलियारे का निर्माण में मदद कर रहा है। इसी के साथ चीन भी पकिस्तान में करोड़ों डॉलर निवेश कर रहा है।
डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने भाषण में अफगानिस्तान में भारत की भूमिका का जिक्र भी किया था। ट्रम्प ने कहा था कि हम भारत की भूमिका की सराहना करते हैं और भविष्य में आशा करते हैं कि भारत इस मसले में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाएगा। पाकिस्तान को भारत की अफगानिस्तान में बढ़ती भूमिका से भी खतरा नज़र आ रहा है। भारत और अमेरिका को पाकिस्तान अपने लिए एक विरोधी के रूप में देख रहा है। ऐसे में पाकिस्तान के पास सिर्फ एक ही रास्ता है, और वह है चीन से अपने रिश्ते अच्छे करना।
अमेरिका के खिलाफ पाकिस्तान ने अपना रवैया साफ कर दिया है। हाल ही में पाकिस्तानी विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ ने अपने अमेरिकी दौरे को स्थगित कर दिया था। इससे पहले भी उन्होंने पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हुई बैठक को स्थगित कर दी थी। इसके बाद अमेरिकी मीडिया ने पाकिस्तान पर जमकर सवाल उठाये हैं।