पाकिस्तान ने अमेरिका में निर्वासित नागरिकों और वीजा अवधि के बावजूद वहां रहने वाले अपने नागरिकों को वापस लेने से इंकार कर दिया है और इसके बाद अमेरिका ने पाकिस्तान पर प्रतिबन्ध लगा दिए हैं और चेतावनी दी है कि “वह पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रोक देंगे और इसकी शुरुआत उसके आला अफसरों से होगी।”
राज्य विभाग ने शुक्रवार को कहा कि “पाकिस्तान में वांशिगटन दूतावास में अभी कोई परिवर्तन नहीं हुआ है लेकिन प्रतिबंधों के तहत 22 अप्रैल से अमेरिका सभी पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा पर रोक लगा सकता है और इसकी शुरुआत उसके आला अफसरों से होगी।”
पाकिस्तान उन 10 देशों की फेरहीशत में शुमार हो गया है जिन पर अमेरिकी कानून के तहत प्रतिबन्ध थोपे गए हैं। जिसके तहत जो देश अपने नागरिकों को वापस लेने से इंकार करें, उनके नागरिकों को अमेरिकी वीजा से वंचित किया जाए। ट्रम्प प्रशासन के कार्यकाल में आठ देशों पर वीजा प्रतिबंद थोपे गए हैं। घाना और पाकिस्तान को इस सूची में इसी वर्ष शामिल किया है।
अन्य देश साल 2001 में गुयाना, 2016 में गैम्बिया, साल 2017 में कम्बोडिया, इरीट्रिया, गुइना और सिएरा लियॉन और साल 2018 में बर्मा और लाओस पर प्रतिबन्ध लगाए थे। प्रवासी और नागरिकता कानून के अनुच्छेद 243 (डी) के मुताबिक, होमलैंड सिक्योरिटी सेक्रेटरी के आदेश पर राज्य विभाग के सचिव किसी भी देश को प्रवासी या गैर प्रवासी वीजा नुहैया करने की सुविधा पर रोक लगा सकते हैं क्योंकि वह देश अपने नागरिकों को वापस लेने के लिए बगैर कारण देरी या इंकार रहा है।
राज्य विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि “यह पाकिस्तानी सरकार और अमेरिका के बीच जारी द्विपक्षीय वार्ता का मुद्दा है और अभी इस पर तफसील से जानकारी नहीं दी जा सकती है।” अमेरिका में पूर्व पाकिस्तानी राजदूत हुसैन हक्कानी ने कहा कि यह पाकिस्तानियों के लिए मुश्किलें बढ़ा देंगी। यह कदम अमेरिका जाने के इच्छुक और जरूरतमंद लोगो के लिए मुश्किल होंगे और इसे नज़रअंदाज़ किया जा सकता था यदि पाकिस्तानी सरकार अमेरिका के अनुरोध का सम्मान करती।”
उन्होंने कहा कि “अमेरिका से भेजे गए अपने नागरिकों को स्वीकार न करना कोई नयी बात नहीं है। अमेरिका अब पाकिस्तानी अधिकारियों के व्यवहार को ज्यादा देर तक बर्दाश्त करने के इच्छुक नहीं है। खुशमिजाजी को प्रतिबंधों और पाबंदियों में बदलने का श्रेय इस्लामाबाद की नीति निर्णयों को जाता है।”
बीते कुछ वर्षों में भारत ने भी अंतराल में अपने नागरिकों को वापस लिया है। ट्रम्प सरकार ने सत्ता में आने के बाद ही कहा कि वह ऐसे प्रावधानों का सख्ती से पालन करेगा और जो देश अपने नागरिकों को वापस लेने से इंकार करें, उनके नागरिकों को अमेरिकी वीजा से वंचित कर दिया जायेगा।
प्रतिबंधों की शुरुआत सम्बंधित मंत्रालय में कार्यरत अधिकारीयों पर निशाना साधकर की जाती है और इसके बाद अधिकारीयों के परिवार के सदस्यों को वीजा मुहैया नहीं किया जाता है। अगर शुरूआती प्रतिबन्ध प्रभावी नहीं होते तो अन्य मंत्रालयों के अधिकारीयों और वीजा आवेदनकर्ताओं को वीजा नहीं मुहैया किया जाता है।